Added by VIRENDER VEER MEHTA on December 22, 2017 at 10:45pm — 8 Comments
क्रांतिकारियों ने क्या-क्या सहा होगा,
देशभक्ति का मजा जाने कैसा रहा होगा,
मेरे वीरों का जब लहू बहा होगा,
पवित्र खून से चाबुक धन्य हुआ होगा,
फिरंगियों को भगत ने
दौड़ा-दोड़ा कर कूटा होगा,
बिस्मिल ने भी खजाना
मजे से लूटा होगा,
तो आजाद ने भी जंगल में,
योजना बनाई होगी,
और आजादी पाने वीरों ने,
खूनी होली मनाई होगी,
हथियार लूटने का मजा भी,
अलग रहा होगा,
गरमदल को देख,
ब्रिटिश का पसीना बहा होगा,
गांधी के भी अपने,
ठाठ रहे…
Added by Manoj kumar shrivastava on December 22, 2017 at 9:46pm — 8 Comments
हमने भी की इधर-उधर की बातें...
तुमने समझी इधर-उधर की बातें...
खो गये अर्थ वायदों के जब,
याद आयी इधर-उधर की बातें...
जब सरेआम चोरी पकडी गई,
फिर भी की इधर-उधर की बातें...
रोज वो ताश खेलने बैठें,
धूप करती इधर-उधर की बातें..
मुझ पे विश्वास कर महब्बत में,
छोड पगली इधर-उधर की बातें..
मौलिक व अप्रकाशित
Added by सूबे सिंह सुजान on December 22, 2017 at 8:57pm — 6 Comments
भंडारे में भंडारी
दोपहर पाली का एक स्कूल(दिल्ली )
“जिन बच्चों को लिखना नहीं आता कॉपी लेकर मेरे पास आओ |-----------अरमान,मोहित,रितिश और शंकर तू भी |” अध्यापक सुमित ने क्लास की तरफ देखते हुए कहा
“क्या लिखवाया जाए ?” फिर अरमान की तरफ देखते हुए
“सुबह नाश्ते में क्या खा कर आए हो?”
“चाय-रोटी |”अरमान ने सपाट सा जवाब दिया
ठीक है लो ये “चाय” लिखो,ठीक-ठीक मेरी तरह बनाना |
“और मोहित तुमने क्या खाया ?”
“रात का…
ContinueAdded by somesh kumar on December 22, 2017 at 8:22pm — 3 Comments
काफिया : आत ; रदीफ़ : चाहिए
बहर : २२१ २१२१ १२२१ २१२
मतभेद दूर करने’ मकालात चाहिए
कैसे बने हबीब मुलाक़ात चाहिए |
वादा निभाने’ में तुझे’ दिन रात चाहिए
हर क्षेत्र में विकास का’ इस्बात चाहिए |
आतंकबाद पल रहा’ है सीमा’ पार में
जासूसी’ करने’ एक अविख्यात चाहिए |
तू लाख कर प्रयास नही पा सकेगा’ रब
भगवान को विशेष मनाजात चाहिए…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 22, 2017 at 9:00am — 5 Comments
212 1212
मिल गई नई नई ।
हुस्न की परी कोई ।।
झुक गई नजर वहीं।
जब नज़र कभी मिली।।
देखकर उसे यहां ।
खिल उठी कली कली ।
हिज्र की वो रात थी ।
लौ रही बुझी बुझी ।।
खा गया मैं रोटियां ।
बिन तेरे जली जली ।।
कुछ तो बात है जो वो।
रह रही कटी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 11:53pm — 5 Comments
सूखी सी शाख
बैठा पंछी अकेला
पतझड़ में ।
नयी नवेली
लाजवंती वधू सी
सिमटी धूप ।
सूरज जब
अलसाया, चल पड़ा
क्षितिज पार ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Neelam Upadhyaya on December 21, 2017 at 2:34pm — 9 Comments
2122 1122 22
जब कभी छत पे नज़र जाती है ।
उनकी सूरत भी निखर जाती है ।।
पा के महबूब के आने की खबर।
वो करीने से सँवर जाती है ।।
कोई उल्फत की हवा है शायद ।
ज़ुल्फ़ लहरा के बिखर जाती है ।।
इक मुहब्बत का इरादा लेकर ।
रोज साहिल पे लहर जाती है ।।
बेसबब इश्क हुआ क्या उस से ।
वो तसव्वुर में ठहर जाती है ।।
अब न चर्चा हो तेरी महफ़िल में ।
चोट फिर से वो उभर जाती है…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 1:31am — 12 Comments
अजीब सी कशमकश में गुजर रहे थे हरी बाबू पिछले एक हफ्ते से, एक तरफ उनके खुद के विचार तो दूसरी तरफ एक छोटी सी चीज पर उनकी असहमति| बेटी अर्पिता पिछले दो साल से नौकरी में थी और उन्होंने कह रखा था कि या तो खुद ही शादी कर लो या जहाँ मन हो बता देना, शादी कर देंगे| लेकिन अपने उदार सोच और प्रगतिशील विचारों के बावजूद एक छोटी सी बात वह चाह कर भी किसी से नहीं कह पाए थे|
वैसे तो उनके सभी मज़हब और जातियों के दोस्त थे और उन्होंने कभी उनमें फ़र्क़ भी नहीं किया| लेकिन पिछले कई वर्षों से धर्म के आधार पर हो…
Added by विनय कुमार on December 20, 2017 at 6:30pm — 4 Comments
2122 2122 212
जीतने की जिस किसी ने ठान ली
मंजिलों की राह खुद पहचान ली ।1।
हार का अहसास उसको खा गया
पूछ मत अब ये कि क्यों कर जान ली।2।
है वचन शीशा न कोई टूटेगा
पत्थरों की बात चाहे मान ली ।3।
कोयलों ने होंठ अपने सी लिये
झुंड में आ मेंढकों ने तान ली ।4।
भ्रष्ट जब सारी सियासत है यहाँ
क्या है कैसे कितनी राशी दान ली।5।
मौलिक अप्रकाशित
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 1:54pm — 23 Comments
121 22 121 22
है आई खुश्बू तेरी जिधर से ।
गुज़र रहा हूँ उसी डगर से ।।
नशे का आलम न पूछ मुझसे ।
मैं पी रहा हूँ तेरी नज़र से ।।
हयात मेरी भी कर दे रोशन ।
ये इल्तिज़ा है मेरी क़मर से ।।
हजार पलके बिछी हुई हैं ।
गुज़र रहे हैं वो रहगुजर से ।।
खफा हैं वो मुफलिसी से मेरी ।
जो तौलते थे मुझे गुहर से ।।
यूँ तोड़कर तुम वफ़ा के वादे ।
निकल रहे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2017 at 3:00am — 17 Comments
212 1222 212 1222
इस तरह मुहब्बत में दिल लुटा के चलते हो ।
हर कली की खुशबू पर बेसबब मचलते हो ।।
मैंकदा है वो चहरा रिन्द भी नशे में हैं ।
बेहिसाब पीकर तुम रात भर सँभलते हो ।।
टूट कर मैं बिखरा हूँ अपने आशियाने में ।
क्या गिला है अब मुझसे रंग क्यूँ बदलते हो ।।
दिल चुरा लिया तुमने हुस्न की नुमाइस में ।
बेनकाब होकर क्यूँ घर से तुम निकलते हो…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 19, 2017 at 9:00pm — 10 Comments
अरकान- फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
आप अंदाज़ रखें हँसने हँसाने वाला
यही किरदार तो है साथ में जाने वाला।1।
आज क्या बात है, नफ़रत से मुझे देखता है
मेरी तस्वीर को सीने से लगाने वाला।2।
काटने वाले तो हर सिम्त नज़र आते हैं
पर न दिखता है कोई पेड़ लगाने वाला।3।
आख़िरी बार उसे देख ले तू जी भर के
फिर न आएगा कभी लौट के, जाने वाला।4।
आबरू की भी लगा देती है क़ीमत दुनिया
गर चला जाये किसी…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 6:27pm — 16 Comments
212 212 212 212 -
रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो
गीत ख़ुशिओं के हर वक़्त गाते रहो
-
मोतियों की तरह जगमगाते रहो
बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो
-
जब तलक आसमां में सितारें रहें
ज़िंदगी में सदा मुस्कुराते रहो
-
इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे
दोनों हांथों से उनको लुटाते रहो
-
सिर्फ़ कल की करो दोस्तों फिक़्र तुम
जो गया वक़्त उसको भुलाते रहो
-
हम भी तो आपके जां निसारों में हैं
क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते…
Added by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 4:55pm — 21 Comments
1222 1222 1222 1222
हमें जब आज़माता है तुम्हारी याद का मौसम
सुकूँ भी साथ लाता है तुम्हारी याद का मौसम
ग़मों ने कोशिशें तो लाख कीं पलकें भिंगोने की
लबों पर मुस्कुराता है तुम्हारी याद का मौसम
हमारे रूबरू ठहरो कभी पल भर तो समझाएं
हमें कितना सताता है तुम्हारी याद का मौसम
इसे मैं छोड़ आता हूँ कहीं सुनसान सहरा में
मगर फिर लौट आता है तुम्हारी याद का मौसम
वहाँ तुम हो तुम्हारी पुरकशिश कमसिन अदाएं हैं
यहाँ 'ब्रज'…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 18, 2017 at 11:00pm — 26 Comments
जीवन
तुम हो
एक अबूझ पहेली,
न जाने फिर भी
क्यों लगता है
तुम्हे बूझ ही लूंगी.
पर जितना तुम्हें
हल करने की
कोशिश करती हूँ,
उतना ही तुम
उलझा देते हो.
थका देते हो.
पर मैंने भी ठाना है;
जितना तुम उलझाओगे ,
उतना तुम्हें
हल करने में;
मुझे आनन्द आएगा.
और
इसी तरह देखना;
एक दिन
तुम मेरे
हो जाओगे.…
Added by Veena Sethi on December 18, 2017 at 8:30pm — 5 Comments
एक अहंकारी पुष्प
अपनी प्रसिद्धि पर इतरा रहा है,
भॅंवरों का दल भी,
उस पर मंडरा रहा है,
निश्चित ही वह,
राग-रंग-उन्माद में,
झूल गया है,
स्व-अस्तित्व का,
कारण ही भूल गया है,
तभी तो,
बार-बार अवहेलना,
कर रहा है,
उस माली की,
जिसने उसे सुंदरता के,
मुकाम तक पहुचाया,
संभवतः उसे ज्ञात नहीं,
बयारों ने भी,
करवट बदल ली है,
जो संकेत है,
बसंत की समाप्ति…
ContinueAdded by Manoj kumar shrivastava on December 18, 2017 at 7:30pm — 12 Comments
अरकान :1222 1222 1222 1222
अजब सी कश्मकश से यकबयक दो चार कर देगा
तुम्हे पहचानने से वो अगर इनकार कर देगा
ज़माने में जियो खुल के जवानी साथ है जब तक
करोगे क्या बुढ़ापा जब तुम्हे लाचार कर देगा
हक़ीक़त सामने है आज यह जो, देख लेना कल
सही को भी ग़लत ये सुब्ह का अखबार कर देगा
रखें कुछ भी नहीं दिल में छुपा के आप भी मुझसे
नहीं तो शक खड़ी इक बीच में दीवार कर देगा
समझना मत कभी कमज़ोर, दुश्मन को…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on December 18, 2017 at 1:30pm — 20 Comments
सूरते जान जो'रौनक वो, कही' नूर नहीं
यह अलग बात है दुनिया में' वो मशहूर नहीं
प्यार करता हूँ’ मैं’ पागल की’ तरह पर क्या’ करूँ
हर समय प्यार जताना उसे’ मंज़ूर नहीं |
सांसदों में अभी’ दागी हैं’ बहुत से नेता
दाग धोना बड़ा’ दू:साध्य है’, नासूर नहीं |
चाह ऐसी कि सज़ा सबको’ मिले जो दोषी
पर सज़ा सबको’ मिले ऐसा’ भी’ दस्तूर नहीं |
लोक सरकार अभी, राज है’ जनता का यह
हैं सभी स्वामी’ यहाँ ,कोई’ भी’ मजदूर नहीं…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 18, 2017 at 8:30am — 14 Comments
बहर - 221 2122 221 2122
यूँ मेरी नज़रें ग़ज़लों की हर किताब पर हैं .......
जैसे....... शराबियों की नज़रें शराब पर हैं ....
जब .चल दिया मैं उनकी महफ़िल से तो वो बोले
ठहरो ......कुछेक पल लब मेरे ज़वाब पर हैं .....
हाँ , बेगुनाह होती है अपनी भावनायें
इल्जाम इसलिये तो लगते शबाब पर हैं .....
ऐ - मौला तुम भी रखना अपनी निगाहें उस पर
नज़रें ज़माने भर की उस इक ग़ुलाब पर हैं ......
मैंने चमकने की है जब से यूँ बात…
ContinueAdded by पंकजोम " प्रेम " on December 17, 2017 at 9:17pm — 10 Comments
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