गंगा जमुना भारती ,सर्व गुणों की खान
मैला करते नीर को ,यह पापी इंसान .
सिमट रही गंगा नदी ,अस्तित्व का सवाल
कूड़े करकट से हुआ ,जल जीवन बेहाल .
गंगा को पावन करे , प्रथम यही अभियान
जीवन जल निर्मल बहे ,सदा करे सम्मान .
--- शशि पुरवार
Added by shashi purwar on March 20, 2013 at 4:08pm — 12 Comments
कुछ रिश्ते अनाम होते हें
बन जाते हें
यूँ हीं, बेवजह, बिना समझे
बिना देखे, बिना मिले ....
महसूस कर लेते हें एकदूजे को
जैसे हवा महसूस कर ले खुशबु को
मानो मन महसूस कर ले आरजू को
मानो रूह महसूस कर ले बदन…
Added by Amod Kumar Srivastava on March 20, 2013 at 2:00pm — 7 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 20, 2013 at 11:00am — 2 Comments
जब जिक्र मेरा हुआ होगा
वो कुछ पिघल तो गया होगा
जी भर तुझे देख ही लेता
ओझल कहीं हो गया होगा
अब सांस भर जी नहीं सकते
इस शहर में कुछ धुंआ होगा…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on March 19, 2013 at 8:02pm — 12 Comments
चतुष्पदी ,चैापैया.(10, 8, 12 अन्त में दो गुरू)
जय पाप नाशनी जीवन दानी जन मानस हितकारी!
शंकर शीश जटा उलझी सुलझी जस महदेव विचारी!!
कॅापें दिश देवा भय सब भावा सुलोक विस्मयकारी!
श्री शंभु पुरारे नाथ हमारे धावत दीनन वारी!!1
रस रस कर धारा विष तन सारा अमृत चरनहि सुखारी!
तुम दीन दयाला चॅंद सो हाला देवन की महतारी!!
हे!सुरसरि माता दुख हर जाता आवत शरण तिहारी!
तुम जाति धर्म नहि अवगुण जानहि फल जनत बिन…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 19, 2013 at 7:10pm — 7 Comments
मौलिक अप्रकाशित
धनुही ताके फाग में, आसमानि सुनसान |
नीलकंठ नीलांग को, बैंगनिया पकवान |
बैंगनिया पकवान, सभी को चढ़ी हरेरी |
पीले…
जामवंत ने याद दिलाया, सारी शक्ति पास बुलाया!
तुम हो धीर वीर बलवाना, तुम्हरे गुरू सूर्य भगवाना!!
पवन पुत्र तुम वेगि समाना, इन्द्रादि सब करे प्रनामा!
तुम्ह सागर को तालहि मानो, आप ही सकल बृह्महि जानो!1 बम बम..
काल कूट हर अमृत धारो, भूत प्रेत पटक कर मारो!
तुम हो अटल ज्ञान के राशी, दुष्ट दानव सबके गल फाॅसी!!
तुम हो सब संकट से पारा, सब गुन आगर करो विचारा!
लॅाघि करो तुम सागर पारा, जयति राम श्री राम पुकारा!!2 बम…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 19, 2013 at 10:21am — 8 Comments
जिन्दगी एक कठपुतली सी है
जिसकी डोर .....
वो जो ऊपर बैठा है
उसके हाथो में है
वो जो दीखता नही
मगर है तो सही .....
कोई कहता है कि
भगवान नही हैं
और कोई…
Added by Sonam Saini on March 19, 2013 at 9:30am — 7 Comments
घोंसलों से पलायन करते परिंदे
आकाश की ऊँचाई नापने निकलते हैं
पंख फैलाने की सीख घर से लेके
मदमस्त गगन में उड़ते हैं
जहाँ दाना देखा उतर जाते
फिर नये झुंड के साथ , नयी दिशा में मुड़ जाते
नीले गगन की सैर, इंद्रधनुष की अंगड़ाई में लीन
कभी आसमान में स्वतंतरा, कभी हवा के बहाव के आधीन
घोंसले की गर्मी और मा के दुलार को भूल
नये चेहरों को आँखटे, उनके संग हो…
Added by अनुपम ध्यानी on March 19, 2013 at 12:10am — 1 Comment
अपने अपने भीतर हैं सब
चिेकने-चुपड़े बाहर हैं सब
किस की प्यास बुझा पाएँगे
इ्क टूटी-सी गागर हैं सब
कौन समझ पाएगा इनको
बस…
Added by shyamskha on March 18, 2013 at 10:00pm — 5 Comments
जब पाप कियो तुम भोर भये, दिन रात भला तुम का करिहो!
सब नाचत - गावत ताल दियो, तुम ताल तलैयन डूब रहो!!
फिर गंग तरंग बहे न बहे, रखि आपन मान बढ़ाय रहो!
इत डारि रहे खर-मैल बढे, उत गंग कषाय बढ़ाय रहो!!1
नित डारत हैं मल नालन कै, नहि दूसर देखि उपाय रहो!
तुम बालक गंग तरंगिनि कै, कलि कालहि मातु लजाय रहो!!
अब तो सिर सौं तुम लाज करो, यह देश तुझे ललकार रहो!
तुम शान कमान धरे उर मा, गण मान कहाय लुकाय रहो!!2
अपनी छतरी अपने लड़के, नहि होत सहाय तलाड़…
ContinueAdded by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 18, 2013 at 9:52pm — 6 Comments
इक और व्यंग्य कविता पसंद आई के नही बताना जी
इस बस्ती में भेडियें रहते उनको बाहर निकाले कौन,
सब के घर अब शीशे के है पत्थर क्यों उछाले कौन।
इकलौते बेटे नें माँ बाप को ही घर से निकाल दिया,
वृद्धआश्रम में भी गद्दारी है बुजुर्गों को सम्भाले कौन।
नामी गुंडे इश्तयारी मुजरिम देखो जेल मंत्री बन बैठे,
चोरों का जब राज हो गया देखे गा अब तालें कौन।
महंगाई पे निरन्तर चढ़े जवानी ऊंचा उंचा कूद रही,
सारथी जब अनजान हुआ…
ContinueAdded by rajinder sharma "raina" on March 18, 2013 at 4:00pm — 1 Comment
हो गई होली
जलाई चन्द लकड़ियाँ, तो हो गई होली
खाई गुजिया पपड़ियाँ, तो हो गई होली
हुए हुड्दंगों मै शुमार, तो हो गई होली
निकाले दिल के गुबार, तो हो गई होली
पी दो घूँट शुरा, तो हो गई होली
निकाले चाकू छुरा, तो हो गई होली
छानी ठंडाई भांग, तो हो गई होली
खींची अपनों की टांग, तो हो गई होली
छेड़ी वेसुरी तान ,तो हो गई होली
किया नाली मै स्नान, तो हो गई होली
देखे रंगीन माल, तो हो गई…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on March 18, 2013 at 10:46am — 2 Comments
‘साठ हजार मरे पुरखे कहॅ, नाम नहीं कछु जात पुकारत!
देवनदी यदि पैर पड़े तब, मान समान बढ़े निज भारत!!
सोच विचारि करें उर नारद, बात भगीरथ को समझावत!
सारद शंकर शेष महेशहि, को अब जाय मनावहु राजत!!
जाप जपे हरि नाम रटे तप, बीत गये कइ साल युगो दिन!
शंकर होत सहाय नरायन, छोड़ रहे…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 17, 2013 at 11:30pm — 4 Comments
होली गीत
अर र र र देखो सखी तो पूरी लाल हुई
रंग ना गुलाल मै तो शर्म से लाल हुई।
पीर ना दहन मोरे तन मन में आग लगी -2
चाम ना वसन जले मै तो जल लाल हुई।
रंग ना-------------
ले के रस रंग चली देवरों की टोली - 2
घेर घेर घेर मई तो जय कन्हैया लाल हुई।
रंग ना -------------
आज तो बाबा भी करे हैं ठिठोली - 2
लाज की चुनर ओढ़ मै हँस हँस निहाल हुई।
रंग ना…
ContinueAdded by mrs manjari pandey on March 17, 2013 at 11:07pm — 9 Comments
गंगा कहती रहीं-
‘और तुम्हारे ज्ञानी गण
केवल पारब्रह्म का रास्ता ही नहीं बताते
जिस पारब्रह्म का मन्दिर सिर्फ आत्मा होती है
धरती पर वे बताते हैं मन्दिर कहाँ बनेगा!
और यहां से उठ कर
किन दिलों को तोड़ना है
सब का हिसाब बना रखा है
सब व्यवस्था कर रखी है
मानव मल का बोझ मैं ढो लूंगी
पर मानवीय क्रूरता के इस अथाह मल को
वे मेरे पानियों…
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 17, 2013 at 8:06pm — 8 Comments
खुशियाँ जब जब आई हैं
मैने मुट्ठी भर भर बिखरा दिया है चारो तरफ
इस आशा से और दुवाओं से
कि लहलहाए खुशियां की हरियाली चारो दिशा|...
कल…
Added by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on March 17, 2013 at 7:24pm — 4 Comments
व्यंग्य कविता मेरी प्यारी
सच बिकना मुश्किल यारों झूठ के खरीददार बहुत,
इसलिए तो फलफूल रहा है झूठ का व्यापार बहुत।
सच बोलने वालों को तो झट सूली पे लटका देती,
झूठ बोलने वालों का साथ देती अब सरकार बहुत।
सब में चटपटी ख़बरें है मतलब की कोई बात नही,
वैसे तो इस शहर में यारों छपते हैं अख़बार बहुत।
भारत देश के नेता तो गिरगट को भी मात दे देते,
माहिर बड़े परिपक्क हो गए बदलते किरदार बहुत।
मालिक की मर्जी से ही बचता है किसी का…
ContinueAdded by rajinder sharma "raina" on March 17, 2013 at 5:30pm — 1 Comment
दोस्तों मेरी किताब की मेरी प्यारी ग़ज़ल, आप को कैसी लगी sunday spacial.................
क्यों खफा हो कुछ बताओ तो सही,
हाल दिल का तुम सुनाओ तो सही।
हम फ़िदा तेरी अदा पे बावफा,
तेरा जलवा अब दिखाओ तो सही।
गर न समझे तो दुखी हो जिन्दगी,
नीर जीवन है बचाओ तो सही।
वो सितारा टूट कर क्यों है गिरा,
राज गहरा ये बताओ तो सही।
सांस लेना चाहते हो गर भली,
पेड़ धरती पे लगाओ…
Added by rajinder sharma "raina" on March 17, 2013 at 4:30pm — 4 Comments
बेरोजगार !!!
सुबह के सात बजे थे!
एक ही स्थान पर अट्ठारह चूल्हे जले थे!
कुल मिला कर बीस-पच्चीस मजदूरों का
भोजन तैयार हो रहा था!
पास ही एक सूखे पेड़ से टेक लगाये
बैठा इन्सान
घुटनों पर कुहनी
कुहनी पर तने हाथ की मुट्ठी पर
ठुड्ढी रखे
नजरों को अट्ठारहों चूल्हों की ओर घुमाता
आंसू बहाता
खाली पेट को रोटी और
रोटी से भूखी आत्मा को संतुष्ट करने की
सोच रहा था!
सहसा एक अश्रु बिंदु
मुह के कोर तक पहुंची
झट से इन्सान ने ढुलकते बिंदु…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 17, 2013 at 4:24pm — 4 Comments
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