(सूर घनाक्षरी एक प्रयास)
कानों में रस घोलती, कोयल की मीठी तान,
अमवा पे है बोलती, मान या ना मान.
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दादीमाँ ने नुस्खे लिखे,ज्यों औषधियों की खान,
घर में ही सब मिले,मान या ना मान.
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संकट में जो साथ दे, तू भाई उसे ही जान,
यूँ…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:00pm — 14 Comments
पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी
साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी
जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी
मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी
ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी
हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी
रोने से क्या संकट कम हो…
ContinueAdded by Albela Khatri on July 26, 2012 at 7:00pm — 38 Comments
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 26, 2012 at 6:48pm — 14 Comments
जिंदगी! एक अनबुझ पहेली है. जिसको आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है. यह एक ऐसी पहेली है, जिसको जितना सुलझाओ, उतना ही उलझ जाती है. जिंदगी सुख-दुख के दायरे में सिमटी खुशियों के साथ शुरू होती है, लेकिन इसका अंत दुख और निराशा के साथ होता है. हंसते-मुस्कराते कोई नवजात जैसे-जैसे जिंदगी के रास्तों पर आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे वह जिंदगी की उलझनों में उलझता जाता है. अपनी पहली करवट से ही उसको अहसास हो जाता है कि खुद मेहनत करने से ही खुशियां हासिल हो सकती है. इसलिए वह हर पल आगे बढऩे की कोशिश में लग जाता है.…
ContinueAdded by Harish Bhatt on July 26, 2012 at 6:39pm — 5 Comments
मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया
उसके सारे चिन्ह खो गये, कैसा ये बदलाव हो गया
नही रही अब गुरु की गुरुता, नही रहे वो शिष्य महान
काट अँगूठा तक दे देते थे करते गुरु का सम्मान
आज के युग में शिक्षा क्या, बस पैसों का व्यापार हो गया
मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो गया
नही रही धुन बाँसुरिया की, जो छेड़ा करती थी तान
कहाँ थाप तबले ढोलक की, कहाँ नगाड़े का है मान
आज कान के परदे फट जाते ऐसा संगीत हो गया
मेरा भारत अपना भारत ना जाने कहाँ खो…
Added by आशीष यादव on July 26, 2012 at 5:59pm — 19 Comments
बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2012 at 5:30pm — 13 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on July 26, 2012 at 4:00pm — 11 Comments
"गाँव जायेंगे "
हरियाली ही हरियाली
चहुँ ओर
प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य
हरी कारपेट आलौकिक माधुर्य
अहा
सोच रहा हूँ
क्यूँ न इन घटाओं को छू लूं
चूम लूं इस माटी…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 3:56pm — 5 Comments
हिडिम्बा देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के सुदूर में व्यास नदी के किनारे बसी पर्यटन नगरी मनाली में घने देवदार वृक्षों से आच्छादित है यह मंदिर परिसर | परिसर बहुत साफ-सुथरा है ।…
Added by ganesh lohani on July 26, 2012 at 2:30pm — 12 Comments
महल-अटारी
या गाय दुधारी
सम्मोहन है
खूबसूरती का
अहा
ब्यूटीफुल
वाह
काश !!!!!!
फूलते पिचकते सीने
आह…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 2:00pm — 3 Comments
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े
घर में घुस कर घेर लिए हैं दुश्मन को ललकारें
गीदड़ – गीदड़ भभकी देता बोल नहीं कुछ पाए
बिल में घुसकर दौड़ डराता अन्दर ही छुप जाये
साँसे अटकी हैं उन सब की भ्रष्टाचारी जो है
क्या मुंह ले वे सामने आयें फाईल यहाँ भरी है
ऐसे वीर शेर हैं अपने छाती ताने ठाढ़े
नमन तुम्हे हे वीर हमारे कल तुम दुनिया जीते !!
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कहते हैं तुम थाने जाओ कोर्ट कचहरी बाहर देश
शर्म नहीं…
Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 1:52pm — 6 Comments
===============छन्द================
तुम राह हसीं तुम मंजिल हो, दिल सागर है तुम साहिल हो
महताब तुम्ही बनके चमको, इस चाहत का तुम हासिल हो
हद भी तुम हो तुम बेहद भी, रख शर्म हया तुम फाजिल हो
गुल हो तुम एक गुलिस्ताँ का, खुशबू बनके तुम शामिल हो
संदीप पटेल "दीप"…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 12:34pm — 1 Comment
वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.
हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..
नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.
कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on July 26, 2012 at 12:00am — 35 Comments
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 25, 2012 at 9:20pm — 4 Comments
मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है, ये हसीनो की, है मेहरबानी //…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 25, 2012 at 2:21pm — 3 Comments
ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना
था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा, हिमालय जहाँ अब भी देता है पहरा
जहाँ चाँद बनता है बच्चों का मामा, वो भारत है मेरा वतन आशियाना
ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 25, 2012 at 12:51pm — 4 Comments
राखी का गिफ्ट
बहना बोली इस बार राखी पे
गिफ्ट अच्छा सा लूँगी
तभी आपकी कलाई पर
राखी मैं बांधूंगी
मैं बोला चाँदी से महँगा हो
गया आलू,टमाटर
ले लेना तुम गिफ्ट में बहना
इक थैला पूरा भर
खुद भी खाना सबको खिलाना
बाँटना सारे मुहल्ले में
खाया न होगा कई दिनों से
अब खाना तुम जी भर
लेकिन धीरे धीरे…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 25, 2012 at 12:43pm — 6 Comments
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 25, 2012 at 12:30pm — 5 Comments
आदमी को कर रहा है, तंग आदमी,
सभ्यता सीखा गया बे-ढंग आदमी,
कोशिशें कर-2 हुआ है, कामयाब अब,
आसमां में भर रहा है, रंग आदमी,
देख के लो हो गयीं, हैरान अंखियाँ,
ओढ़ बैठा है, बुरा फिर अंग आदमी,
सोंच के ना काम कोई आज तक…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on July 25, 2012 at 12:04pm — 6 Comments
सुर्खियाँ है बीते सप्ताह की
फिर बढे पैट्रोल के दाम
Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 25, 2012 at 10:19am — No Comments
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