पर्यावरण (दोहा छन्द)
बढ़ा प्रदूषण इस कदर, त्राहिमाम हर ओर
जल थल नभ दूषित हुआ,मचा भयंकर शोर.1.
अपने मन का सब करे,काटे वन दिन रात
दैत्य प्रदूषण दन्त से, कैसे मिले निजात.2.
धुँवा धुँवासा हो रहा ,नहीं समझते लोग
अस्पताल में भीड़ है,घर घर बढ़ता रोग.3.
धरती का छेदन करे, पानी तल से दूर
कृषक हाल बेहाल है,मरने को मजबूर.4.
घर आँगन में वृक्ष लगे, सुंदर हो परिवेश
शुद्ध हवा सबको…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on April 17, 2018 at 8:56am — 5 Comments
2122 2122 2122 2
हारकर बैठे जुआरी,हो नहीं सकता
बंदरों के सर हो टोपी,हो नहीं सकता।1
आसरों का सिलसिला चलता रहा कब से
जो सियासत में,करीबी?हो नहीं सकता।2
रास्ते जितना चले शायद मुनासिब हो
रुक गये तो तय हो बाकी,हो नहीं सकता।3
झूठ पर कुरबान सब हैं किस कदर देखो
सच कहो, हो वाहवाही,हो नहीं सकता।4…
Added by Manan Kumar singh on April 17, 2018 at 7:26am — 9 Comments
२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२
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जिस्म है मिट्टी इसे पतवार कैसे मैं करूँ
कागज़ी कश्ती से दरिया पार कैसे मैं करूँ.
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ऐ अदू तेरी तरह गुफ़्तार कैसे मैं करूँ,
फूल बरसाती ज़बां को ख़ार कैसे मैं करूँ.
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चाबियाँ मैंने ही दिल की सौंप दी थीं यादों को
आ धमकती हैं जो अब, इन्कार कैसे मैं करूँ.
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रेत का घर है ये दुनिया तिफ़्ल सी उलझन मेरी
ख़ुद बना कर ख़ुद इसे मिस्मार कैसे मैं करूँ.
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रूह बुलबुल है जिसे ये क़ैद रास आती नहीं
है क़फ़स…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 16, 2018 at 7:15pm — 18 Comments
हो जाए कोई स्वजन, अगर अचानक दूर।
तब निश्चित यह मानिए, है कुछ बात जरूर।।
है कुछ बात जरूर, वरन ऐसा क्यों होता।
जो बनता अनजान, वही अपनों को खोता।।
सिर्फ जरा सी बात, चोट दिल को पहुँचाए।
मीठे हों यदि बोल, गैर अपना हो…
ContinueAdded by Hariom Shrivastava on April 16, 2018 at 5:00pm — 8 Comments
मैं सजनी उसकी हो गयी .....
निष्पंद देह में
जाने कैसे
सिहरन सी हो गई
सानिध्य में लिप्त श्वासें
अबोध स्पर्शों की
सहचरी हो गयीं
बर्फ़ीले आलिंगन
मासूम समर्पण से
चरम की ओर
बढ़ने लगे
तृप्ति की
अतृप्ति से होड़ हो गई
शोर थम गया
सभी प्रश्न
अपने चिन्हों के घरोंदों में
सो गए
लक्ष्य
स्वप्न मग्न हो गए
असंभव
संभव हो गया
भाव वेग
तरल हो…
Added by Sushil Sarna on April 16, 2018 at 2:53pm — 8 Comments
2122-1122-1122-22
टूटकर ख्वाब ज़माने में बिखर जाते हैं ।
आज़माने में बहुत लोग मुकर जाते है ।।
वो जलाता ही रहा हमको बड़ी शिद्दत से ।
हम तो सोने की तरह और निखर जाते हैं ।।
हुस्न वालों के गुनाहों पे न पर्दा डालो ।
क्यूँ भले लोग यहां इश्क से डर जाते हैं ।।
मुन्तजिर दिल है यहां एक शिकायत लेकर ।
आप चुप चाप गली से जो गुज़र जाते हैं ।।
कुछ उड़ानों की तमन्ना को लिए था जिन्दा ।
क्या हुआ…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2018 at 1:33pm — 18 Comments
क्षीर सागर में ‘नारायण –नारायण’ की आवाज गूँज उठी . भगवान विष्णु ने स्वागत करते हुए कहा- ‘आइये मुनिवर ! क्षीरोदधि में आपका स्वागत है .’
‘भगवन कुछ चिंतित हैं ?’ नारद ने वीणा को हाथ में संभाला.
‘एक चिरंतन समस्या है, मुनिवर’ - भगवान ने उत्तर दिया .
‘समस्या और आपके सम्मुख ---? क्यों परिहास करते हैं प्रभु”
‘परिहास नही है मुने! दुर्निवार समस्या है.
‘वह क्या प्रभो ?’
‘तुमने इंडियन टिपिकल सास के बारे में तो सुना होगा.’
‘हाँ हाँ प्रभो ---‘- नारद ने…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 16, 2018 at 11:30am — 9 Comments
"वह भिखारी हमारी तरफ़ देख कर क्यों मुस्करा रहा था, जबकि हमने उस के कटोरे में कुछ भी नहीं डाला!"अतृप्त नज़रों को नज़रंदाज़ करती मॉडर्न लड़की ने भीड़-भाड़ वाली सड़क पर सपरिवार चलते हुए अपने पिता से पूछा!
पिताश्री चुप रहे और उसके गले में हाथ डाल कर बोले - "मत देख उधर! पैसों के लिए इम्प्रेस कर रहा होगा!"
सब के क़दम मेले के मुख्य द्वार की ओर तेजी से बढ़ ही रहे थे कि दादा जी धीरे से उस लड़की के कान में बोले - "दरअसल उसकी निगाहें अपने फटे-चिथे कपड़ों और तुम्हारे बदन दिखाऊ…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on April 15, 2018 at 12:24am — 8 Comments
"इन भूखों को कैसे सबक़ सिखाना है, मुझसे पूछो!" आधुनिक नव-यौवना ने पास ही खड़ी किशोर उम्र भतीजी की अत्याधुनिक कसी हुई पोशाक उसके शरीर पर किसी तरह समायोजित करते हुए कहा।
"इन पर ध्यान दिए बिना, है न!"
"हां, इन्हें दूर से ही अपनी आंखें सेंकने दो! कुछ गड़बड़ करें या छुएं, तभी अपने नुस्ख़े आजमाना है, समझीं! नीयत तो अधिकतर की वही होती है!" भतीजी की बात पर समझाते हुए युवती ने कहा - "नये ज़माने के साथ चलो और इसी ज़माने की ढालें साथ लेकर चलो! तन को पूरा ढंकलो या मनचाहा…
ContinueAdded by Sheikh Shahzad Usmani on April 15, 2018 at 12:13am — 6 Comments
गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल
2122 2122 212
*****†
ऐ ज़माने अब चला ऐसी हवा ,
लौट कर आये महब्बत में वफ़ा ।
दूरियाँ मिटती नहीं अब क्या करें,
कोई मिलने का निकालो रास्ता ।
चिलचिलाती धूप में आना सनम,
गुदगुदाती है तुम्हारी ये अदा ।
ज़ख्म दिल के देखकर रोते हैं हम,
याद आये इश्क़ का वो सिलसिला ।
तज्रिबा इतना है सूरत देख कर,
ये बता देते हैं कितना है नशा ।
वो लकीरों में था मेरे हाथ की,
मैं ज़माने में…
Added by Harash Mahajan on April 14, 2018 at 11:00pm — 8 Comments
11212 11212 11212 11212
तेरी रहमतों पे सवाल था तुझे याद हो के न याद हो ।
मुझे हो गया था मुगालता तुझे याद के न याद हो ।।1
तेरे इश्क़ में जो करार था तुझे याद हो के न याद हो ।
जो मिला था मुझको वो फ़लसफ़ा तुझे याद हो के न याद हो ।।2
वो गुरुर था तेरे हुस्न का जो नज़र से तेरी छलक गया ।
मेरे रास्ते का वो फ़ासला तुझे याद हो के न याद हो ।।3
वहां दफ़्न है तेरी याद सुन ,वो शजर भी कब से गवाह है ।
है मेरी वफ़ा का वो मकबरा तुझे याद हो…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 14, 2018 at 2:50pm — 9 Comments
उस दिन जन सामान्य का उत्साह देखते ही बनता था. टीवी, रेडियो, अखबार ..सब जगह नेता जी की पहल का चर्चा था. आख़िर किसी ने तो बेटी के महत्व को समझ कर बेटी बचाओ जैसा महान नारा दिया था समाज को ...
आज जब दो बेटियों के बलात्कार की और एक आठ साल की बेटी की नृशंस हत्या की ख़बर पढ़ी तो पहले पहल यह रोज़मर्रा की ख़बर ही लगी ... फिर ख़बर की डिटेल्स में पढने को मिला कि नेताजी के दल के लोग बलात्कारियों के समर्थन में सड़क पर तिरंगा लेकर वन्दे मातरम का घोष कर रहे हैं तो अचानक मन…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 14, 2018 at 11:30am — 14 Comments
122 122 122 122
******************
वो रंजिश में ताने दिए जा रहे हैं,
हैं अपने मगर मुझको तड़पा रहे हैं ।
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सिफर हो चला हूँ मैं ख़्वाबों से खुद ही,
तभी गम के बादल बहुत छा रहे हैं ।
.
बसी दिल में उनकी वो तस्वीर ऐसी,
कि बनकर वो साये चले आ रहे हैं ।
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सुना है कि मिलती दुआओं से मंज़िल,
नमाज़-ए-महब्बत पढ़े जा रहें हैं ।
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मैं रोया हूँ इतना छुपा कर वो आँहें,
पुराने थे रिश्ते जो इतरा रहे हैं…
Added by Harash Mahajan on April 14, 2018 at 11:30am — 13 Comments
पथरीली डगर - लघुकथा –
"माँ, अब से हम अकेले स्कूल नहीं जाया करेंगे"?
"क्यों, क्या हुआ, मेरी बच्ची"?
"आप बापू से बोलो, हमें स्कूल छोड़ने और लेने आया करें"।
"अरे कुछ बतायेगी भी कि बस एक ही रट लगा रखी है"?
"क्या बतायें, कुछ बताने लायक बात हो तब ना"?
"बिटिया, तेरे बापू को काम पर जाना होता है। कैसे तेरे साथ जायेगा"?
"तो फिर हम पढ़ाई छोड़ देते हैं"?
"कैसी बात करती है मेरी लाड़ो? तू हमारी इकलौती संतान है। हम दोनों तेरे भविष्य के लिये ही तो रात…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on April 13, 2018 at 3:45pm — 6 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 13, 2018 at 1:30pm — 16 Comments
चल दिया लेकर तगारी
© बसंत कुमार शर्मा
सिर्फ रोटी के लिए बस,
खट रही है उम्र सारी.
सूर्य निकला भी नहीं, वह,
चल दिया लेकर तगारी.
ठण्ड, बारिश, धूप तीखी,
वार…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on April 13, 2018 at 9:30am — 16 Comments
२१२२/ २१२२/ २१२२/ २१२
.
तेरी ख़ातिर कुछ न हम कर पाए प्यारी आसिफ़ा
क्या ये तेरी मौत है या फिर हमारी आसिफ़ा?
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एक हम हैं जो लड़ाई देख कर घबरा गए
एक तू जो सब से लड़ कर भी न हारी आसिफ़ा.
.
ऐ मेरी बच्ची, ज़मीं तेरे लिए थी ही नहीं
सो ख़ुदा भी कह पड़ा वापस तू आ री आसिफ़ा.
.
हुक्मराँ इन्साफ़ देगा ये तवक़्क़ो है किसे
क़ातिलों की भी मगर आएगी बारी आसिफ़ा.
.
इतनी लाशों से घिरा मैं लाश क्यूँ होता नहीं
सोच कर क्यूँ तुझ को मेरा दिल है भारी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 12, 2018 at 5:28pm — 16 Comments
जीवन .....क्षणिकाएं :....
1.
सूरज
सागर की लहरों पर
तैरती
अपनी रश्मियों के ढेर को
काटता-छाँटता रहा
ताकि
मिल सके
रोशनी
हर किसी को
हर किसी के
नसीब की
.... .... .... .... .... ....
2.
देखा जो
आसमाँ से
उतरते हुए
लाल सूरज को
सागर के आँगन में
घबरा गया
मयंक
कि कहीं
सागर वीचियों पर
उसका अस्तित्व
मेरे अस्तित्व का
हरण न करले
..... .... ....…
Added by Sushil Sarna on April 12, 2018 at 2:00pm — 7 Comments
पढ़ाते रहे
कभी पढ़ जो पाते
बच्चे का मन ।
आदर्शवाद ?
हुआ किताबी भाषा
धूल फाँकता ।
घर आँगन
सूना, मन उदास
बची है आस
.... मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Neelam Upadhyaya on April 12, 2018 at 12:52pm — 6 Comments
2122 1212 22
जाम छलका है पास आ जाओ ।
ले के खाली गिलास आ जाओ ।।
जिंदगी फिर बुला रही है तुझे ।
लब पे आई है प्यास आ जाओ ।।
हिज्र के बाद चैन मिलता कब ।
मन अगर है उदास आ जाओ ।।
तीरगी बेहिसाब कायम है ।
चाहिए अब उजास आ जाओ ।।
कोई बैठा है मुन्तजिर होकर ।
मत लगाओ कयास आ जाओ ।।
आ रहे हैं तमाम भौरे अब ।
गंध में है मिठास आ जाओ…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 11, 2018 at 10:03pm — 7 Comments
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