1212 1122 1212 22/112
क़ज़ा का करके मेरी इंतिज़ाम उतरी है ।
अभी अभी जो मेरे घर मे शाम उतरी है ।।
तमाम उम्र का ले तामझाम उतरी है ।
ये जीस्त मौत को करने सलाम उतरी है ।।
अदाएं देख के उसकी ये लग रहा है मुझे ।
कि लेने हूर कोई इंतिकाम उतरी है ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 13, 2019 at 8:30pm — 4 Comments
अंतिम स्वीकार ....
जितना प्रयास किया
आँखों की भाषा को
समझने का
उतना ही डूबता गया
स्मृति की प्राचीर में
रिस रही थी जहाँ से
पीर
आँसूं बनकर
स्मृति की दरारों से
रह गया था शेष
अंतर्मन में सुवासित
अंतिम स्वीकार
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on February 13, 2019 at 7:27pm — 4 Comments
दिन-भर जो बात करते रहे आस्मान से
सूरज ढला तो लौट के आये उड़ान से
था वक़्त का ख़याल या हारे थकान से
निकले थे घर से सुब्ह जो अपने गुमान से
आसां नहीं बुलन्दी को छूना, ये है फ़लक
गुज़री हर एक राह तो मुश्किल चढ़ान से
टूटे हुए सितारों से हो किसको वास्ता
निस्बत रही सभी को फ़क़त आस्मान से
खामोशियों से करते हैं हालत मेरी बयां
आँखों से बहते अश्क मेरे बेजुबान-से
जब मग़रिबी हवाओं से मुरझा गया…
ContinueAdded by Jitendra sharma on February 13, 2019 at 5:30pm — 4 Comments
थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ
क्यों परेशां हैं चमन में तितलियाँ
***
साल सत्तर से भले आज़ाद हैं
आज भी सजती बदन की मंडियाँ
***
अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ हैं
ख़ौफ़ के साये में रहती बेटियाँ
***
ये बशर कैसी तेरी मर्दानगी
मार देता क्यों है नन्ही बच्चियाँ
***
कहते हैं हम बेटा-बेटी एक से
फ़र्क़…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 13, 2019 at 12:30am — 4 Comments
1222 1222 122
ये देखा और' सुना इस फरवरी में
बहकता दिल ज़रा इस फरवरी में।
किसी की कोशिशें कुछ काम आई
कोई जम कर पिटा इस फरवरी में।
दिखावे में ढली है जिंदगी बस
रहे सच से जुदा इस फरवरी में।
मुहब्बत को समेटा है पलों ने
हुआ ये क्या भला इस फरवरी में?
कहीं पर नेह की कोंपल भी फूटी
किसी का दिल जला इस फरवरी में।
करो कुछ याद उनको जो गये हैं
वतन पर जां लुटा इस फरवरी में।
मौलिक…
ContinueAdded by सतविन्द्र कुमार राणा on February 12, 2019 at 7:30pm — 2 Comments
Added by Balram Dhakar on February 11, 2019 at 10:30pm — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
फ़ना के बाद भी अपनी निशानी छोड़ आये हैं ।
जिसे तुम याद रक्खो वो कहानी छोड़ आए हैं ।।
सुकूँ मिलता हमें कैसे यहां परदेश में आकर ।
विलखती मां की आंखों में जो पानी छोड़ आये हैं ।।
कलेजा मुँह को आता है जरा माँ बाप से पूछो ।
जो घर से दूर जा बेटी सयानी छोड़ आये हैं ।।
हमें इंसाफ का उनसे तकाज़ा ही नहीं था कुछ ।
अदालत में तो हम भी हक़ बयानी छोड़ आये हैं ।l
तेरे प्रश्नों का उत्तर था तेरे लहजे में ही…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on February 11, 2019 at 12:55am — 3 Comments
न्याय के मंदिर की मेरी पहली परिक्रमा थी i कोर्ट के आदेश के अनुसार मुझे एक कर्मचारी की सैलरी कोर्ट में जमा करनी थी I मैं ठीक दस बजे चेक लेकर कोर्ट पहुंच गया I कैशियर साहब ग्यारह बजे आये और बोले –‘इसे स्टैंडिंग काउंसल से वेरीफाई करा के लाओ I’
स्टैंडिंग काउंसल ने डांट लगाई –‘हाउ यू डेयर कम डायरेक्टली टू मी I कम थ्रू माय आफिस I’ मैं आफिस गया I संबंधित बाबू सीट पर नहीं थे I वह एक घंटे बाद आये और आकर मोबाईल पर बतियाने लगे I दस मिनट बाद खाली हुए तो झुंझलाकर बोले- ‘क्या है…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 9, 2019 at 11:00pm — 4 Comments
नजर अपनी उठा लो तो गिले शिकवे भुला लूँ मैं
मुझे बस एक पल दे दो है क्या दिल में बता लूँ मैं
निगाहें तो मिला लेता मगर ये खौफ है दिल में
कही ऐसा न हो दिल का चमन खुद ही जला लूँ मैं
कभी तो मेरी गलियों से मेरा वो यार गुजरेगा
मेरा भी फ़र्ज़ बनता है गुलों से रह सजा लूँ मैं
तुम्हारे पग जहाँ पड़ते वहीं पर फूल खिल जाते
है हसरत दिल के सहारा में हसीं गुल इक ऊगा लूँ मैं
अगर ओंठों से निकली शै तो हंगामा…
Added by Dr Ashutosh Mishra on February 9, 2019 at 11:20am — 1 Comment
2122 2122 2122 2
मत समझना मैं पढ़ा अख़बार हूँ कल का
हमसफ़र हूँ,काबिले-आसार हूँ कल का।1
राह सिमटी जा रही है आज की पल-पल
देख लो मुझको जरा आधार हूँ कल का।2
कौड़ियों के मोल बिकता आज तुम्हारा
सच लिए चलता रहा मनुहार हूँ कल का।3
रोशनाई की उमंगों का…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on February 8, 2019 at 11:00pm — 6 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 8, 2019 at 2:30pm — 7 Comments
इस नज़र से उस नज़र की बात लम्बी हो गई
मेज़ पे रक्खी हुई ये चाय ठंडी हो गई
आसमानी शाल ने जब उड़ के सूरज को ढका
गर्मियों की दो-पहर भी कुछ उनींदी हो गई
कुछ अधूरे लफ्ज़ टूटे और भटके राह में
अधलिखे ख़त की कहानी और गहरी हो गई
रात के तूफ़ान से हम डर गए थे इस कदर
दिन सलीके से उगा दिल को तसल्ली हो गई
माह दो हफ्ते निरंतर, हाज़री देता रहा
पन्द्रहवें दिन आसमाँ से यूँ ही कुट्टी हो…
ContinueAdded by दिगंबर नासवा on February 8, 2019 at 1:30pm — 8 Comments
22 22 22 22 22 22 22 2
हर लम्हा इक चोट नई थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
मेरी हस्ती टूट रही थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
मेरे पाँव में इक कांटे से तुझको कितना दर्द हुआ
जब तू शोलों से गुजरी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
जिन सपनों को हमने मालिक के हाथों में सौंपा था
उन सपनों में आग लगी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
सारे रस्ते आकर के जिस रस्ते पर मिल जाते हैं
उस रस्ते पर पीर घनी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
छोड़…
ContinueAdded by मनोज अहसास on February 8, 2019 at 12:26pm — 6 Comments
अल्फाज़ रूठें हैं -
छोटे बच्चों की तरह,
मेरी शायरी पर -
अपने पैर पटक रहे हैं,
बहुत अरसे के बाद -
आया हूँ मिलने इनसे,
यकीनन इसलिए-
रूठे हैं मुझसे कट रहे हैं !!
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by रक्षिता सिंह on February 8, 2019 at 10:25am — 4 Comments
बह्र-
2122-2122-1221-222
सुन! जो उनसे हो मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
दरमियाँ फिर हो वही बात जाये तो क्या होगा।।
पर कहीं वो रूठ कर नजरें अपनी घुमा ली तो ।
बेबजह यूँ इश्क जजबात जाये तो क्या होगा।।
छोड़ उसको फिर न ये दर्द उलफत का देना अब।
रो के गर उसकी भी ये रात जाये तो क्या होगा।।
जानते हो ,वो यूँ मीलों सफर के जैसा है।
दो कदम चल के मुलाकात जाये तो क्या होगा ।।
मुझसे वो अच्छे से मिलना नहीं चाहती…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on February 7, 2019 at 6:37pm — 4 Comments
मन तिरता आकाश
नैनों में सपने तिरते हैं,
मन तिरता आकाश
देखूं जब भी तेरा मुखड़ा,
लगता खिला पलाश
मधुरिम गीत लिख रही मेंहदी,
पायल गाती है
माथे पर कुमकुम…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on February 7, 2019 at 5:15pm — 4 Comments
हिलता है तो लगता ज़िंदा है साया
लेकिन चुप है, शायद गूँगा है साया
कहने में तो है अच्छा हमराही पर
सिर्फ़ उजालों में सँग होता है साया
सूरज सर पर हो तो बिछता पाँवों में
आड़ में मेरी धूप से बचता है साया
असमंजस में हूँ मैं तुमसे ये सुनकर
अँधियारे में तुमने देखा…
Added by अजय गुप्ता 'अजेय on February 7, 2019 at 12:38pm — 3 Comments
रोशनी के सामने ये तीरगी क्या चीज़ है
वक़्त की आंधी के आगे आदमी क्या चीज़ है
***
जब थपेड़े ग़म के खाता है जहाँ में आदमी
तब उसे मालूम होता है ख़ुशी क्या चीज़ है
***
एक बच्चे की कोई भी आरज़ू पूरी हो जब
ग़ौर से फिर देखिये चेहरा हँसी क्या चीज़ है
***
ग़ुरबतों से लड़ के जिसने ख़ुद बनाया हो मक़ाम
बस वही तो जानता है…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 7, 2019 at 10:30am — 4 Comments
बड़े लोग कहते रहे, जीतो काम व क्रोध.
पर ये तो आते रहे, जीवन के अवरोध.
माफी मांगो त्वरित ही, हो जाए अहसास.
होगे छोटे तुम नहीं, बिगड़े ना कुछ ख़ास.
क्रोध अगर आ जाय तो, चुप बैठो क्षण आप.
पल दो पल में हो असर, मिट जाएगा ताप .
रोकर देखो ही कभी, मन को मिलता चैन.
बीती बातें भूल जा, त्वरित सुधारो बैन .
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by JAWAHAR LAL SINGH on February 6, 2019 at 10:50pm — 6 Comments
अंतिम साँझ .......
लिख लेने दो
एक अंतिम साँझ
मुझे
साँझ के पन्नों पर
अभिलाषाओं की वेदी पर
साँसों की देहरी पर
व्योम के क्षितिज़ पर
स्मृति के बिम्बों पर
मौन की गुहा में
स्पर्शों की गंध पर
श्वासों के आलिंगन में
अन्तस् के दर्पण पर
बिंदु के अस्तित्व में
लिख लेने दो
मुझे
प्राणों में लीन प्राणों की
अंतिम
साआआआं ... झ
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on February 6, 2019 at 7:24pm — 4 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |