For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,998)

चतुष्पथ पर...

मृगनयनी नवयौवना

लावण्य क्या कहना !

संकोच व लज्जा

बनी सुसज्जा.

सप्त-अंगुल भर

कटी प्रदेश कमाल.

ओ गजगामिनी

तेरी मदमस्त चाल.

अर्ध- पारदर्शी वस्त्र में कैद

अंग -प्रत्यंग में

लाती भूचाल,

तिर्यक दृष्टीपात

करती हृदय अघात

नारी सौंदर्य .

निहारते चक्षु.

अट्टालिकाओं से

चतुष्पथ पर...

 

 

रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा ( सौंदर्य रस पूर्ण  बिम्ब )

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 15, 2012 at 11:45am — 7 Comments

आर्तनाद!

मेरे ही पुत्रों ने,

मुझे,

लूटा है बार-बार!

एक बार नहीं,

हजार बार!

अपनी अंत: पीड़ा से

मैं रोई हूँ, जार जार!

हे, मेरे ईश्वर,

हे मेरे परमात्मा,

दे इन्हें सदबुद्धि,

दे इन्हें आत्मा,

न लड़ें, ये खुद से,

कभी धर्म या भाषा के नाम पर,

कभी क्षेत्रवाद,

जन अभिलाषा के नाम पर.

ये सब हैं तो मैं हूँ,

समृद्ध, शस्य-श्यामला.

रत्नगर्भा, मही मैं,

सरित संग चंचला.

मत उगलो हे पुत्रों,

अनल के अंगारे,

जल जायेंगे,

मनुज,संत…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on March 15, 2012 at 6:37am — 14 Comments

छलक जाते है आंसू

छलक जाते है आंसू

मेरी आंखों से

जब देखता हूं तुमको

बंद आंखों से

दिल होता है बैचेन

जब सोचता हूं

तुम्हारे बारे में

काश!

न देखा होता तुमको

न जाना होता तुमको

न आते दिल के करीब

न होता प्यार तुमसे

न होते जुदा हम

तब होती

एक ही बात

तुम भी रहती…

Continue

Added by Harish Bhatt on March 15, 2012 at 1:56am — 3 Comments

जीवन का सत्य

(१)

सुख औ दु:ख

प्रकृत या प्रारब्ध

मधु औ डंक।

(२)

आग औ धूम

प्रकाश संग तम

शराब गम।

(३)

आशा निराशा

कुछ पाने की आशा

पर हताशा।

(४)

मन है प्यासा

उत्कट अभिलाषा

जीत की आशा।

(५)

हार में जीत

हर जन से प्रीत

रहो निर्भीत।

(६)

पाने की चाह

उमंग औ उत्साह

सरल राह।

(७)

एकाग्र दृष्टि

सफलता की वृष्टि

मन की तुष्टि।

(८)

धैर्य औ ध्यान

उत्साह का उफान

लक्ष्य… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 14, 2012 at 9:00pm — 6 Comments

मोबाइल घर

मोबाइल घर

(दोस्तों हम लोगों की एक जमात से बन गयी है जहाँ एक कवि लिखता है और दूसरा पढता है मंझे हुए कवि मंझी हुई कविता  सब कुछ एकदम प्रोफेशनल मगर कोई स्थिति जिसको आप ने देखा हो और आपके दिल में अन्दर तक उतर गयी हो उस विषय पर जब आप लिखते हैं तो बात कुछ और…

Continue

Added by Mukesh Kumar Saxena on March 14, 2012 at 8:00pm — 5 Comments

कल्पद्रुम

मेरा नीड़ जिस पेड़ पर है

लोग उसे कल्पद्रुम कहते हैं

जनविश्रुत है-

वह सब कुछ देता है

जो उससे मांगा जाता है

क्या यह सच है?

मेरे देखने में तो नहीं।

क्यों?

क्योंकि

वह कल्पद्रुम खामोश सा

खड़ा रहता है

अहर्निश!!!

उसके पत्ते गिर रहे हैं

सड़-सड़ कर

टहनियां सूख रही हैं

जड़ें धीरे-धीरे

ऊपर आ रहीं हैं

वह प्यासा मर रहा है

एक घूंट पानी बिन

कार्बन डाई ऑक्साइड के बजाय

ऑक्सीजन ले रहा है

अब वह खामोश… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 14, 2012 at 7:45pm — 6 Comments

ग़ज़ल

हाँ मेरे पास कोई सहारा नहीं,

मगर मैं बेबस बेचारा नहीं;

*

सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब

मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;

*

वो जिसे हम अपना समझते रहे,

आज जाना के वो हमारा नहीं;

*

थोड़ी सी ज़मीन मुट्ठी भर आसमान,

आज…

Continue

Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 14, 2012 at 12:36pm — 18 Comments

तन्हाई बोली .. ! !

.

मैं

और

तन्हाई

लड़ते रहते हैं

कभी बिखरते

कभी संवरते

रहते हैं.

ओ तन्हाई !

तुम क्यों

दुःख -पीड़ा को

रखती हो अपने साथ

फिरती हो यहाँ वहां

लिये हाथों में हाथ .

तन्हाई मुस्काई

कुछ इठलाई

बोली ...

बचपन की यादें

मोहब्बत के बातें

कहानी कहती नानी

रिमझिम बरसता पानी

पहली मुलाकात

महबूब की बात

उनका इतराना

रूठना मनाना

सब के…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 14, 2012 at 11:57am — 6 Comments

दिन फिर गये जो जी रहे अब तक अभाव में

दिन फिर गये जो जी रहे अब तक अभाव में,

वादों से गर्म दाल परोसी चुनाव में.

ढूंढे नहीं  मिला एक भी रहनुमा यहाँ,

सच कहने सुनने की हिम्मत रखे स्वभाव में.

 

तब्दीलियाँ है माँगते यों ही सुझाव में,

फिर भेज दी है मूरतियां डूबे गाँव में,

दिल्ली में बैठ के समझेंगे वो बाढ़ को,

लाशें यहाँ दफ़न होने जाती है नाव में.

 

पूछा क्या रखोगे…

Continue

Added by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 14, 2012 at 10:00am — 14 Comments

चंद अशआर

अरे शिकवा नहीं कोई,शिकायत क्या करू तुझसे?

वली है तू सनम मेरा,इबादत की इजाजत दे||१||



बहुत अब देख ली दुनिया,नहीं अब देखना कुछ…

Continue

Added by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 14, 2012 at 8:30am — 19 Comments

मेरे हाइकू

(१)

जागरण की

वेला में सो रही है

सारी दुनिया|

(२)…

Continue

Added by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 13, 2012 at 11:18pm — 6 Comments

"समय और भाग्य"

"समय और भाग्य"

सब कुछ भले न सही, पर 

कुछ कुछ सबको मिला है ,

और यही कुछ कुछ एहसास कराता है की …

Continue

Added by Monika Jain on March 13, 2012 at 9:20pm — 7 Comments

तेरी याद



ब्रज मां होली खेले मुरारी अवध मां रघुराई

मेरा संदेसा पिया को दे जो जाने पीर पराई

 

 

कोयल को अमराई मिली कीटों को उपवन

मैं अभागिन ऐसी रही आया न मेरा साजन

 

लाल पहनू , नीली पहनू,  हरी हो  या वसंती

पुष्पों की माला भी तन मन शूल ऐसे  चुभती

 …

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 13, 2012 at 9:03pm — 20 Comments

दिल कितनॆ करीनॆ सॆ रखतॆ हैं,,,,,,,,

दिल कितनॆ करीनॆ सॆ रखतॆ हैं,,,

----------------------------------------------------------

 …

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2012 at 6:30pm — 16 Comments

खुशबू के घर

दुआ जिनको सच्चे दिलों से मिले.

ऐसे बन्दे बड़ी मुश्किलों से मिले!
*
रहगुज़र जिनकी बस खार ही खार थी,
उनकी खुशबू के घर मंजिलों पर मिले.
*
क़त्ल करके खुले आम जो छिप गए,
सरे - शाम वो  महफ़िलों  में  मिले.
*
जिनकी बैठक शहर के अखाड़ों में थी, 
वक़्त आया तो  वे  बुजदिलो में मिले.
*
चार पैसे जो मुट्ठी में क्या आ गए,
यार बिछड़े हुये तंगदिलों में…
Continue

Added by AVINASH S BAGDE on March 13, 2012 at 11:04am — 6 Comments

कविता : - स्नेह अटल है !

कविता : - स्नेह अटल है !
 …

Continue

Added by Abhinav Arun on March 13, 2012 at 9:58am — 23 Comments

प्यार का आल्हा

चढ़ल जवानी कै उदल जब,देहिया गढ़ के ऊपर नाय।

नैना यकटक देखन लागे,पुरवा चले देह घहराय॥

चन्द्रमुखी जब तिरछा ताकै,तन के आरपार होइ जाय।

मारै मुस्की जब धीरे से,दिल कै टूक-टूक उड़ि जाय॥

उड़ै दुप्ट्टा जब कान्हे से,मानौ दुइ गिरिवर बिलगाय।

देख के गोरिक भरी जवानी,लरिके मंद-मंद मुस्काय॥

आओ पंचो प्यार कै आल्हा,सुनि लौ आपन कान लगाय।

अइसन मौका फिर जिन्गी में,शायद मिलै न कब्भो आय॥

जेका यह जिन्गी में कब्भो,प्यार के रोग लगा है नाय।

मानों वै मानो कै जोनी,आपन विरथा दिहिन… Continue

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 13, 2012 at 7:01am — 25 Comments

आगाज़...

मैनें कहा

कुछ और नहीं

सिर्फ वो ही

जो युगों से

सहा था...

सहा था फूलों नें

ख्वाबों में लहराते

सावन के झूलों नें

उन शब्दों नें

जो आ न पाए

लबों पर तुम्हारे ही

ज़ुल्मों से ...

सहा था उस प्यासे नें...

जो दम तोड़ गया

समंदर में रह कर

पर छू न पाया

पानी को जुबान से कभी.

सहा था उन पलकों नें...

जो युगों से भरी हैं

अनमोल मोतियों से

आतुर हैं

छलकने को

पर…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 12, 2012 at 11:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल



आँखों में भरे खूँ लिए तलवार खड़ा है 

करने को मुझे कत्ल मेरा यार खडा है

.

दे दे तु मुझे अपनी दुआओँ का सहारा

चोखट पे तेरी आज ये बीमार खडा है

.

जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम

क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है

.

मरकर ही सही  आज ये एजाज मिला तो 

करने को मेरा आज वो दीदार खडा है

.

गर मुझको मिटाने का वो रखते हें इरादा

हसरत भी फना होने को तय्यार खडा…

Continue

Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 12, 2012 at 11:30pm — 18 Comments

चेहरे.....

चेहरे के पीछे

चेहरे है

उन पे कसे नकाब

बड़े तगड़े है..

मीठे बोलो के भीतर

तीखेपन का खंजर है..

घावों पे मरहम तो है

पर दाग बने गहरे है

लोग बने मदारी है.. और

समझे हमे जमूरा

मतलब की यारी है और

जमकर सीनाजोरी है

संभल संभल के हँसना है और

नाप तोल के कहना

मन के दुखड़े खोले तो

कहते है रोना धोना

खुल के जीने का

दम भर लो कितना भी

पर बच बच के है रहना

दुनिया गर…

Continue

Added by MAHIMA SHREE on March 12, 2012 at 5:30pm — 16 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
28 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
31 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
33 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
36 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service