और किसको शाद करने जा रहे हो
क्यों मुझे बरबाद करने जा रहे हो
बज्म में चर्चा मेरी बदनामियों का
और तुम इरशाद करने जा रहे हो
जो हकीकत थी सुनानी तुम उसे ही
अन- कही रूदाद करने जा रहे हो
जिस चमन में फूल नफरत के उगे हैं
तुम उसे आबाद करने जा रहे हो
ठोकरों से चोट खाकर पत्थरों के
द्वार पर फरियाद करने जा रहे हो
..................................... अरुन श्री !
Added by Arun Sri on March 25, 2012 at 11:00am — 17 Comments
हमको बहुत लूटा गया,
फिर घर मेरा फूंका गया.
झगड़ा रहीम-औ-राम का,
पर, जान से चूजा गया.
दर पर, मुकम्मल उनके था,
बाहर गया, टूटा गया.
भारी कटौती खर्चो में,
मठ को बजट पूरा गया ,
मजलूम बन जाता खबर,
गर ऐड में ठूँसा गया. (ऐड = प्रचार/विज्ञापन/Advertisement)
उत्तम प्रगति के आंकड़े,
बस गाँव में, सूखा गया.
वादा सियासत का वही,
पर क्या अलग बूझा गया!!
है चोर, पर…
ContinueAdded by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 24, 2012 at 11:30pm — 22 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 24, 2012 at 5:30pm — 3 Comments
हमको यहाँ लूटा गया,
वादा तेरा झूठा गया.
वो कब मनाने आये थे?
हम से नहीं, रूठा गया.
चोटें तो दिल पर ही लगी,
खूं आँख से चूता गया.
जो चुप रहे, ढक आँख ले,
राजा ऐसा, ढूंढा गया.
पैसों से या फिर डंडों से,
सर जो उठा, सूता गया.
दारु बँटा करती यहाँ!
यह वोट भी, ठूँठा गया. (ठूँठ = NULL/VOID)
संन्यास ले, बैठा कहीं,
घर जाने का, बूता गया.
नव वर्ष 'मंगल' कैसे हो?
दिन आज भी रूखा गया.…
Added by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 24, 2012 at 12:30am — 16 Comments
तेरी खामोशी
ये कहां ले आई मुझे
तेरी एक
हां के इंतजार में
बदल गए
रास्ते जिंदगी के
जाना था कहां
पहुंच गए यहां
तेरी राह
देखते-देखते
इरादे पस्त हो गए
अब तो यह आलम है
दिल रोता है
शब्द निकलते है
दुनिया हंसती है
और
कहती है…
Added by Harish Bhatt on March 23, 2012 at 11:50am — 5 Comments
अब तो आहट सी रहती है आवाज़ की,
Added by Yogyata Mishra on March 23, 2012 at 11:49am — 5 Comments
(प्रेमी की मनः स्थिति )
कोई नहीं है चाहता विछड़े वो यार से,
दोनो का यदि मिलन हो विदाई भी प्यार से .
हो आत्मा में वास तो फिर प्रियतमा मिले ,
होता चमन गुलिस्तां है जैसे बहार से ..
* * * * *
मुझको ये था यकीन कि है प्यार भी तुम्हे,
मेरे बगैर जीना तो दुश्वार है तुम्हे.
ये बंदिशें थीं प्यार की जो उलझने मिली,
ये सोंचना गलत था कि स्वीकार है…
ContinueAdded by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 12:00am — 16 Comments
भुजंग तुम
वतन के लिए
व्याल हम
वतन के लिए
कलंक तुम
वतन के लिए
तिलक हम
वतन के लिए
दुश्मन हो
वतन के लिए …
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 11:06pm — 20 Comments
समय सँपेरा बीन बजाता छलता जाये
नागिन जैसी उम्र संग ले चलता जाये.
तन्त्र -मंत्र के जाल सुनहले पग पग पर हैं
नख शिख पल पल मोम सरीखा गलता जाये.
रीझ न जाओ माया नगरी पर जगती…
ContinueAdded by अरुण कुमार निगम on March 22, 2012 at 11:00pm — 6 Comments
राष्ट्र धर्म राष्ट्र चेतना
की सुधि किन्हें कब आती है
घर की देहरी पर चुपके से वो
जलते दीपक को आँचल उढ़ाती है
कुछ करते नमन शहीदों को
कुछ घर में ही रह जाते हैं…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 9:00pm — 21 Comments
मेरी ज़िन्दगी मुझसे रूठी रही
Added by Deepak Sharma Kuluvi on March 22, 2012 at 5:46pm — 7 Comments
गीतों से दिल की बातें, कैसे तुम्हें सुनाऊं .
बेबस नयन की बोली, कैसे तुम्हें दिखाऊ.
दिल कुमुदनी सा देखो, प्रियतम मेरी तुम्हारा ,
चन्द्र चन्द्रिका से दिल की, कैसे इसे खिलाऊं .
दर्पण से दिल में जो भी ,संजोये तुमनें सपने ,
दर्पण में अक्स दिल का , कैसे तुम्हें दिखाऊ.
काज़ल ने है बचाया, नज़र से ज़माने की ,
वो ख्वाब तुम्हारे हैं, ज़माने से मैं छिपाऊं .
ऋतु बसंत पतझड़ पर, छा गयी गुलिस्ताँ में,
मैं खिल उठा…
ContinueAdded by Dr Ajay Kumar Sharma on March 22, 2012 at 4:36pm — 8 Comments
Added by Chaatak on March 22, 2012 at 4:22pm — 5 Comments
दुनिया बहुत मतलबी है
एक दोस्त की तलाश में
कदम-कदम पर खाया है धोखा
गिर-गिर कर संभला हूं
कैसे करूं यकीन अब तुझ पर
अब तो खुद से ही लगता है डर
कही मैं भी तो मतलबी नहीं
सोचता हूं जब एकांत में
समझ आता है कुछ-कुछ
मैं भी हूं मतलबी
क्योंकि मतलबी दुनिया में
मैं कोई खुदा तो नहीं
आखिर…
Added by Harish Bhatt on March 22, 2012 at 2:04pm — 5 Comments
है बड़ी बात तो बड़ी बात ही रह जाने दो ..
Added by Lata R.Ojha on March 22, 2012 at 1:58pm — 11 Comments
तोड़ो इन्हें की अब तो मुरझा रहे है फूल.
डाली पे रहते-रहते उकता रहे है फूल.
.
जाते समय तो घर से जुड़े में हंस रहे थे
लौटते कदम है,कुम्हला रहे है फूल.
.
ख़ुशबुओ का लेकर पैगाम साथ-साथ
दोनों दिलो क़े रिश्ते सुलझा रहे है फूल.
.
देने को सब खड़े है बस आखरी सलाम.
मिटटी बनी है देह सुस्ता रहे है फूल.
.
महका रहे थे महफ़िल रातो को देर तक.
घूरे की शान अब तो बढा रहे है फूल.
.
अविनाश…
ContinueAdded by AVINASH S BAGDE on March 22, 2012 at 10:30am — 12 Comments
आज मन में क्यूँ उठी मेरे लहर
चाँद जाने दे गया कैसी खबर
चलो घर को अपने करीने से सजा लूँ
किसको साथ लाती है मेरी सहर
बहकी बहकी सी फ़िजा लगती है
कौन जाने है ये किसका असर
वो तो समझो है शाइस्तगी मेरी
वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर
आजकल दरवाजे उनके बंद रहते हैं
चुपचाप ना जाने वो गए किधर
रुसवाइयों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
कसम से हैं वो बड़े बेखबर
रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
मुड़ गया इस और जो…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 21, 2012 at 2:09pm — 20 Comments
ऐसा लगता है की मेरा यों अब गुजरा जमाना है,
बेगाना रुख किये 'साकी'! यहाँ तेरा मैखाना है.
फकीरों को कहाँ यारो कभी मिलता ठिकाना है,
बना था आशियाना, आज जो बिसरा मैखाना है!
कभी अपना बना ले पर कभी बेदर्द ठुकरा दे,
सयाना जाम साकी! और आवारा मैखाना है.
तेरी हर एक हंसी पर ही चहक कर के मचल जाना.
हमेशा हुस्न-ए-जलवो पर जहाँ हारा मैखाना है.
तेरी तस्वीर के बिन ही मै पीने आज बैठा हूँ,
ख़ुशी या गम हो जुर्माना मुझे मारा मैखाना है. …
Added by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 21, 2012 at 9:35am — 14 Comments
शस्य श्यामला धरती अपनी
भाल हिमालय मुकुट श्रंगार है
झर झर झरते झरने मही पर
कल कल बहती नदियों की बहार है
ये भारत देश हमार है
कई सम्प्रदायों से बसी ये धरती…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 20, 2012 at 4:03pm — 19 Comments
मेरी चाहत जवां होती है
तेरी हां के इंतजार में
तेरा आना, तेरा जाना
कर देता है बेकरार
मेरी चाहत जवां होती है
तेरी हां के इंतजार में
दिन पर दिन
रात दर रात
गुजरती जा रही
आंखों से नींद
दिल से चैन
गायब हो जाते रहे
अब तो हाल यह है कि
मेरी चाहत भी
मुर्दा होती…
Added by Harish Bhatt on March 20, 2012 at 11:31am — 3 Comments
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