देखो कानून की परिभाषा कैसे बदल जाती है,
नेताओं को बेल और गरीब को जेल हो जाती है ।
यहाँ धनवानों का सारा ऋण माफ हो जाता है,
किसान की ज़िंदगी ऋण में ही साफ हो जाती है ।
किसी बात पर यूं ही कभी इतबार मत करना,
घट जाए कोई घटना तो तकरार मत करना ।
विश्वास और धोखा एक ही सिक्के दो पहलू है,
एक जीने का मकसद और दूसरा छीन लेता है ।
चंदा और रोशनी एक दूजे के संग में घूम रहे ,
पर दिन में एक दूसरे के विरुद्ध जंग लड़ रहे ।
गरीब का आरक्षण कुछ…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 22, 2016 at 10:30pm — 1 Comment
Added by kanta roy on January 22, 2016 at 9:51pm — 5 Comments
Added by शिज्जु "शकूर" on January 21, 2016 at 11:13pm — 13 Comments
(आदरणीय सौरभ पाण्डेय के पितृ-शोक पर एक हार्दिक संवेदना )
पहले संदर्भ प्रसंग सहित इस जगती में परिभाषित कर
फिर हो जाते हैं हाथ दूर जीवन का दीप प्रकाशित कर
.
देते हैं वे सन्देश हमें
हर दीपक को बुझ जाना है
पर ज्योति-शेष रहते-रहते
शत-शत नव दीप जलाना है
फैलायी जो रेशमी रश्मि उसको अब रंग-विलासित कर
पहले संदर्भ प्रसंग सहित......
.
है सहज रोप देना पादप
तप है उसको जीवित रखना
करना…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 21, 2016 at 10:00pm — 4 Comments
किस लिए वो हसीं बेवफा हो गयी (एक ग़ज़ल एक प्रयास )
२१२ x ४
रदीफ़=हो गयी
काफ़िया=आ
किस लिए वो हसीं बेवफा हो गयी
जान हम से हमारी जुदा हो गयी !!१!!
अब गिला आसमां से नहीं है हमें
बे-असर अब हमारी दुआ हो गयी !!२!!
हाल अपना सुनायें किसे हम भला
लो मुहब्बत हमारी खता हो गयी !!३!!
रात भर करवटों में वो लिपटी रही
याद उनकी हमारी क़ज़ा हो गयी !!४!!
दिल भला या बुरा समझता है कहाँ
ये मुहब्बत सुल्ह की रज़ा हो गयी…
Added by Sushil Sarna on January 21, 2016 at 8:57pm — 6 Comments
एक फ़ौज़ी की मौत – ( लघुकथा ) –
"क्या हुआ नत्थी राम, किस बात पर कर ली आत्म हत्या तुम्हारे लडके ने,कोई चिट्ठी छोडी क्या"!
"थानेदार साब,वह आत्म हत्या नहीं कर सकता,वह तो एक फ़ौज़ी था,उसे मारा गया है"!
"पर उसका शरीर तो गॉव के बाहर पेड पर लटका मिला था"!
"यह सब साज़िश है,उसे मार कर लटका दिया गया"!
" ऐसा कैसे कह रहे हो, क्या तुम्हारी दुश्मनी थी किसी से "!
"दरोगा जी, मैं तो सीधा सादा आदमी हूं! मेरा बेटा शादी के लिये तीस दिन की छुट्टी ले कर आया था!जिस दिन वह…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on January 21, 2016 at 6:39pm — 10 Comments
Added by Dr T R Sukul on January 21, 2016 at 5:36pm — 2 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on January 21, 2016 at 9:51am — 8 Comments
Added by दिनेश कुमार on January 21, 2016 at 7:27am — 8 Comments
2122—1122—1122—22 |
|
दिल तो है पास, तेरा सिर्फ़ है आना बाक़ी |
और ये बात जमाने से छुपाना बाक़ी |
|
ज़िंदगी इतनी-सी मुहलत की गुज़ारिश सुन लो… |
Added by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2016 at 8:41pm — 30 Comments
एक कुआं था
बहुत बड़ा कुआं
शीतल जल से पूर्ण
वहाँ रहते थे अनेकों मेढक
कुएं के मालिक ने कुएं में
डाल दिये कुछेक साँप
एवं फूंका मंत्र
जिससे उस कुएं में कायम हो गया लोकतन्त्र
एक मोटा मेढक बना उसका प्रधान
उसने कराया कुएं में सर्वे
और पाया कि साँपों की संख्या वहाँ है कम
मोटा मेढक और उसके चमचे हुए बहुत हैरान
उन्होने बनाया एक नियम
जिससे हो सके साँपो का उत्थान
सभी साँपो को मिले एक मेढक खाने को रोज
ऐसा हुआ प्रावधान
कहा गया बहुत…
Added by Neeraj Neer on January 20, 2016 at 8:13pm — 10 Comments
इश्क़ करता है कोन दुनिया में
दिल से मरता है कोन दुनिया में
मुफ़्त शेखी बगारने वाले
तुझसे डरता है कोन दुनिया में
महवे हैरत है आसमां मुझ पर
आहें भरता है कोन दुनिया में
आईना बन गए हैं हम लेकिन
अब संवरता है कौन दुनिया में
सबको करना है कूच दुनिया से
कब ठहरता है कौन दुनिया में
अब न मुंसिफ़ कोई उमर जैसा
अद्ल करता है कौन दुनिया में
दिल की गहराई से तुझे हसरत
याद करता है कौन…
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on January 20, 2016 at 5:00pm — 5 Comments
"दुश्मन के सैनिक जैसे ही आने वाले होंगे, मैं उस झाड़ी में पत्थर फैंक कर इशारा करूंगा, तीन मिनट में टुकड़ी नंबर एक तैनात हो जायेगी और उनके सामने आते ही गोलीबारी शुरू कर देनी है| किसी को कोई शक?" सरहद पर लेफ्टिनेंट साहब ने आदेश दिया|
"उनके इरादों की भनक पहले ही लग जाने से हमने सैनिकों की इतनी भर्ती कर दी है कि इस सख्त दीवार को तोड़कर दुश्मन हमारे मुल्क का एक पत्ता भी नहीं ले जा सकता है|"…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on January 20, 2016 at 1:00pm — 4 Comments
2211 2222 2112 22
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हर हद को ही तोड़ा है बरसात के पानी ने
किस बात को माना है बरसात के पानी ने /1
उस वक्त तो सूखा था जीवन क्या हरा होता
अब गाँव डुबाया है बरसात के पानी ने /2
ये जश्न की बेला है सूखे की विदाई की
नदिया को भी न्योता है बरसात के पानी ने /3
मत खेत की बोलो तुम भाग्य ही ऐसा था
घर द्वार भी रौंदा है बरसात के पानी ने /4
कल रात…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 20, 2016 at 7:00am — 14 Comments
बिचार (छुआ-छूत विषयाधारित कथा)
मेज पर कहीं से परोसा आया रखा था..
“ये कहाँ से आया अम्मा?” भोजन सूघतें हुए मयंक ने पूछा.
“अरे वो पड़ोस से आया है सेठ जी की बरसी थी ना..”माँ ने बताया.
“मैं खा लूँ?”मयंक ने पूछा.
माँ के उत्तर देने से पहले दादी बोल उठी,
“राम राम, ‘उन लोगों’ के घर का खायेगा जिनके यहाँ आज भी जूते गांठे जाते हैं.”
“दादी उनके यहाँ लघु-उद्योग कारखाना है जूते नहीं गांठे जाते.”
मंयक ने खाना परोसते हुए कहा.
“तो…
Added by Seema Singh on January 19, 2016 at 6:00pm — 8 Comments
Added by Samar kabeer on January 19, 2016 at 1:49pm — 18 Comments
सुन्दर सुन्दर शब्दों का
संग्रह मैंने तो कर डाला
उपयोग नहीं, प्रयोग न जानू
मैंने पी ली मधुशाला
कविता लिखने के चक्कर में
मैंने क्या क्या कर डाला
लय नहीं तो क्या हुआ
मैंने प्रयास कर डाला
कवि बनने की चाह नहीं
पर कविता लिखना चाहूँ मैं
गीत नहीं संगीत नहीं
पर कविता सुनना चाहूँ…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 19, 2016 at 9:56am — 10 Comments
आदरनीय वीनस भाई जी की एक गज़ल की ज़मीन पर कहने की एक कोशिश
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22 22 22 22 22 2
दुश्मन को महमान बनाये बैठे हैं
गुलशन को वीरान बनाये बैठे हैं
सिर्फ जीतने की ख़्वाहिश है जिनकी , वो
गद्दारों को जान बनाये बैठे हैं
इंसानी कौमें हैं खुद पे शर्मिन्दा
ऐसों को इंसान बनाये बैठे हैं
जिस्म काटने की चाहत में भारत का
दिल में पाकिस्तान…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on January 19, 2016 at 8:00am — 21 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on January 19, 2016 at 7:45am — 13 Comments
2222 2222 2222 222
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सुख की बात यही है केवल म्यानों में तलवारें हैं
बरना घर के ओने कोने दिखती बस तकरारें हैं /1
खुद ही जानो खुद ही समझो उस तट क्या है हाल सनम
इस तट आँखों देखी इतनी बस टूटी पतवारें हैं /2
रोज वमन विष का होता है नफरत का दरिया बहता
यार अम्न को लेकिन बिछती हर सरहद पर तारें हैं /3
रोज निर्भया हो जाती है रेपिष्टों का यार शिकार
गाँव नगर …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2016 at 5:55am — 11 Comments
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