Added by सूबे सिंह सुजान on July 20, 2015 at 8:20pm — 13 Comments
गुस्से से उबल रहे थे चौहान जी , प्रदेश के कई भागों से दंगे की खबरे आ रहीं थी | उनको लग रहा था कि काश उनको मौका मिले तो वो उन सब को सबक सिखा दें | अचानक उनको याद आया और पूछा " रामलीला की सारी तैयारी हो गयी , रावण का पुतला बन गया कि नहीं ?
" हाँ , पुतला बन के आ गया है | वो पैसे लेने आया है , दे दीजिये "|
" ठीक है , भेज दो उसको अंदर "|
" कितना हुआ रहीम ?
" अरे जितना देना हो , दे दीजिये | इस काम के पैसे का भी मोल भाव करूँगा "|
रहीम की बात सुनकर उनको कुछ तो हुआ और यकबयक उनके…
Added by विनय कुमार on July 20, 2015 at 7:21pm — 21 Comments
"रिपोर्ट्स आ गईं बहू ?''
"जी "
"इतना परेशान होने की ज़रुरत नहीं है I चार साल ही तो हुए हैं शादी को I लग कर इलाज करवाना , सब ठीक होगा I नारी की पूर्णता माँ बनने में ही है , ऐसी दकियानूसी बातें मत सोचना I तुम्हे एक मॉर्डन सास मिली है , भाग्यशाली हो तुम "I
"पर मेरी सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल है , प्रॉब्लम इनकी रिपोर्ट्स में है "I
"क्या ? इसने भी करवाया था टेस्ट ?"
"हाँ , और मै भी इन्हें ये ही समझा रही थी कि सब ठीक हो जायगा I और ये भी समझाया कि…
ContinueAdded by pratibha pande on July 20, 2015 at 5:30pm — 20 Comments
राष्ट्र वाद पर हो रही, जाति वाद की मार ।
ज़हर घोलने के लिये, सहमत है सरकार ।।
ज़हर जाति का कर रहा, जनमत पूर्व प्रचार ।
भला नहीं आवाम का, डालेगी ये रार ।।
जनगणना के आंकड़े, नहीं राष्ट्र अनुकूल ।
भूल गये इतिहास क्यूँ , बंग भंग का मूल ।।
जांत पांत की धारणा, संख्या सोच अजीब ।
निर्धनता से जूझ कर , संभला कहां गरीब ।।
जाति प्रथा का नाश हो, सबकी इक पहचान ।
भारत के सब नागरिक, सारे है इन्सान…
ContinueAdded by Ravi Shukla on July 20, 2015 at 4:30pm — 8 Comments
Added by विनोद खनगवाल on July 20, 2015 at 4:07pm — 8 Comments
भूले से मत कीजिये, नारी का अपमान
नारी जीवन दायिनी, नारी है वरदान II 1 II
माँ बनकर देती जनम, पत्नी बन संतान
जीवन भर छाया करे, नारी वृक्ष समान II 2 II
नारी भारत वर्ष की, रखे अलग पहचान
ले आई यमराज से, वापस पति के प्रान II 3 II
नारी कोमल निर्मला, होती फूल समान
वक्त पड़े तो थाम ले, बरछी तीर कमान II 4 II
नारी के अंतर बसे, सहनशीलता आन
ये है मूरत त्याग की, नित्य करे बलिदान II…
ContinueAdded by Sachin Dev on July 20, 2015 at 2:30pm — 13 Comments
Added by Samar kabeer on July 20, 2015 at 2:06pm — 17 Comments
सुबह-सुबह ऑफिस के लिए तैयार होती दिव्या ने छोटी सी काली बिंदी माथे पर सजाई, बालों का सुरुचिपूर्ण जूड़ा बनाया और एक नज़र बरामदे में बैठी कनखियों से उसे ही देख रहीं सासू माँ पर डाली.
“ज़रा सा सिंदूर भी लगा लिया कर भली-मानस,” सासू माँ ने मजाकिया लहजे में दिल की बात कही, “शुभ होता है.”
“पर माँ बारिश का मौसम है, चार बूंदें भी गिर गई तो ऑफिस में बंदरिया बन कर पहुँचूंगी.” अपना टिफिन पैक करते हुए दिव्या ने हँसकर कहा.
“और ये काली बिंदी मुझे नहीं भाती... बिंदी लाल होती है सुहाग का प्रतीक.”…
Added by Seema Singh on July 20, 2015 at 10:00am — 18 Comments
“माँ ये औरत मुझे सूरत से ही सख्त नापसंद है! आप मना कर दो इसको हमारे ना आया करे.”
मंशा को पता नहीं क्या हो जाता था, जब भी उस महिला को देखती. उसका सिर पर हाथ फिराना, चेहरा-बाहें छूने का प्रयास तो और भी घृणा से भर देता था. कितनी बार माँ को कहा भी, “उसको बोल दो मुझसे दूर रहे.” मगर उसकी हर छोटी बड़ी जिद पूरी करने वाली माँ इस बारे में कुछ ना सुनती.
मगर आज तो हद ही हो गई. उसने मंशा को छूना चाहा और मंशा ने ज़ोर का धक्का मार दिया. वो बेचारी फर्श पर गिर गई और मेज से टकरा कर सिर में चोट भी…
ContinueAdded by Seema Singh on July 20, 2015 at 8:30am — 8 Comments
परीक्षाहाल से गणित का प्रश्नपत्र हल कर बाहर निकले रवि ने चहकते हुए जवाब दिया, “ निजी विद्यालय में पढ़ने का यही लाभ है कि छात्रहित में सब व्यवस्था हो जाती है.”
“अच्छा .” कहीं दिल में सोहन का ख्वाब टूट गया था.
“चल . अब , उत्तर मिला लेते हैं.”
“चल.”
प्रश्नोत्तर की कापी देखते ही रवि के होश के साथ-साथ उस के ख्वाब भी भाप बन कर उड़ चुके थे. वही सोहन की आँखों में मेहनत की चमक तैर रही थी .
---------------------------
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Omprakash Kshatriya on July 20, 2015 at 7:00am — 11 Comments
१
सही जगह
बोया सुकर्म बीज
महान फल
२
दूर करता
अँधेरा व् दारिद्र
कुल दीपक
३
बाधाएं होती
परीक्षा आदमी की
जोश बढायें
४
विपत्तियाँ जो
सर पर आ पड़ी
ज्ञान ने काटा
५
जंजीरें सभी
बनाती हैं गुलाम
लोहा या सोना
६
बनेंगे काम
गुरु व ईश्वर पे
श्रद्धा रखिये
७
देता जो स्वयं
अपने को…
ContinueAdded by Manisha Saxena on July 20, 2015 at 12:00am — 4 Comments
बह्र : २१२२ २१२२ २१२२ २
दुश्मनी हो जाएगी यदि सच कहूँगा मैं
झूठ बोलूँगा नहीं सो चुप रहूँगा मैं
आप चाहें या न चाहें आप के दिल में
जब तलक मरज़ी मेरी तब तक रहूँगा मैं
बात वो करते बहुत कहते नहीं कुछ भी
इस तरह की बेरुख़ी कब तक सहूँगा मैं
तेज़ बहती धार के विपरीत तैरूँगा
प्यार से बहने लगी तो सँग बहूँगा मैं
सिर्फ़ सुनते जाइये तारीफ़ मत कीजै
कीजिएगा इस जहाँ में जब न हूँगा…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 19, 2015 at 7:39pm — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on July 19, 2015 at 7:30pm — 6 Comments
“वहीँ होगा तुम्हारा लाड़ला इस वक़्त भी है न ? कितनी बार कहा दोस्ती बराबर वालों से ठीक है सर्वेंट के उस लड़के से उसने क्या समझ के दोस्ती की? कुछ तो कॉमन हो... पर तुम क्यूँ समझाती, खुद भी तो.... छोटे घर की... छोटी सोच ...
जैसे संस्कार हैं वही तो बच्चे को दोगी” व्हीस्की का घूँट गले में उतारते हुए मोहित बोला|
“हाँ पापा है न एक चीज कॉमन !! उसके पापा भी रोज ड्रिक करके इतनी रात गए घर में आते हैं और उसकी मम्मी पर इसी तरह चिल्लाते हैं, मेरी मम्मी की आँखें भी बरसती हैं और उसकी…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 19, 2015 at 9:30am — 16 Comments
तुम मेरे हो या कोई पराये
निश्चित तो कर लेने दो
मेरी सूखी आँखों में
कुछ पानी तो भर लेने दो
या तो आकर ठहर ही जाओ
या फिर दूर चले जाओ
यादों को मंजूर नहीं है
तेरा यूँ आना जाना
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by umesh katara on July 19, 2015 at 8:54am — 3 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 18, 2015 at 11:58pm — 4 Comments
बहुत सोचा तो लगा
सच ही तो कहते हैं
वे तो भर्ती होते हैं मरने के लिए
अवगत होते हैं
अपने कार्य के निहित खतरों से
पर एक बात समझ नहीं आयी
जब सामने से चलती हैं गोलियां
उनके पास भी तो होता है
भाग खड़े होने का विकल्प
पर वे भागते क्यों नहीं
देते हैं गोलियों का जवाब
पीघला देते हैं लोहे को
अपने सीने में कैद करके
बारूद को कर देते हैं बर्फ
वे धोखा नहीं दे पाते
अपनी मातृभूमि को
राजनेताओं की तरह
मेरी समझ में कुछ कमी है शायद…
Added by Neeraj Neer on July 18, 2015 at 8:18pm — 6 Comments
Added by shashi bansal goyal on July 18, 2015 at 4:23pm — 3 Comments
"हैलो रवि, घरवालों ने मेरी शादी तय कर दी है। प्लीज मुझे यहाँ से निकल ले चलो। मैं मंगलसूत्र पहनूंगी तो तुम्हारे हाथों से वरना अपनी जान दे दूंगी।"
"सुजाता, पागल मत बनो। यही तो बढिया मौका है अपने पास....."
"क्या मतलब?"
"अरे, हम अपनी जिंदगी की शुरुआत करेंगे लेकिन तुम्हारी शादी के बाद। तुम दोनों तरफ का माल समेट लेना। शादी के अगले दिन जब तुम मिलनी पर आओगी। मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा। फिर दोनों मिलकर ऐश करेंगे ऐश।"
प्यार में पागल हुई सुजाता ने पूरी प्लानिंग के साथ काम…
Added by विनोद खनगवाल on July 18, 2015 at 2:32pm — 4 Comments
लघुकथा – अंतर
रवि महेश के अनर्गल प्रलाप को यह सोच कर अनदेखा कर देता है कि हाथी चले बाजार , कुत्ते भूके हजार, “ इस पागल के मुंह कौन लगे. जब मुंह दुखने लगेगा, चुप हो जाएगा.”
और महेश यह सोच कर अनर्गल प्रलाप करता है , “ दुनियां में बहुत से लोग ढीठ, बेशर्म, नालायक और पागल होते है . जब तक उन्हें अंटशंट न बोला जाए और गालीगुप्ता न की जाए वे काम नहीं करते है.”
-----------------------------------
मौलिक और अप्रकाशित
Added by Omprakash Kshatriya on July 18, 2015 at 12:44pm — 7 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |