२१२२ २१२२ २१२२ २१२
ज़र्बे दिल तू दे, पे हम दिल की दवाई तो करें
हम तेरी ख़ू ए गुनह की मुस्तफ़ाई तो करें //१
कह के दिल की बात किस्मत आज़माई तो करें
करते हों गर वो जो मुझसे कज अदाई तो करें //२
नफ़रतों को ख़त्म कर दिल की सफ़ाई तो करें
आप समझें गर हमें भी अपना भाई,तो करें //३
गर मिलें हम, कुछ नहीं पर, ख़ुश अदाई तो करें
आप हमसे…
Added by राज़ नवादवी on December 8, 2018 at 3:00pm — 8 Comments
122 122 122 122
दिया आप ने था हमें जो सिला कुछ ।
बड़ा फैसला हमको लेना पड़ा कुछ ।।
कहा किसने अब तक नहीं है जला कुछ ।
धुंआ रफ़्ता रफ़्ता है घर से उठा कुछ ।।
बहुत हो चुकी अब यहाँ जुमले बाजी ।
तुम्हारे मुख़ालिफ़ चली है हवा कुछ ।।
बहुत दिन से ख़ामोश दिखता है मंजर ।
कई दिल हैं टूटे हुआ हादसा कुछ ।।
कदम मंजिलों की तरफ बढ़ गए जब ।
तो अब पीछे मुड़कर है क्या देखना…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 8, 2018 at 1:04am — 8 Comments
बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
अख़बारों की बातें छोड़ो कोई ग़ज़ल कहो
ख़ुद को थोड़ा और निचोड़ो कोई ग़ज़ल कहो
वक़्त चुनावों का है, उमड़ा नफ़रत का दर्या
बाँध प्रेम का फौरन जोड़ो कोई ग़ज़ल कहो
हम सबके भीतर सोई जो मानवता…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 7, 2018 at 10:48pm — 6 Comments
दो क्षणिकाएं :
पिघल गयी
दे कर आघात
बेदर्दी याद
......................
ढाया कह्र
आफ़ताब ने
ओस की बूँद पर
बिखर गई रेज़ा-रेज़ा
तन्हा-तन्हा
रोया गुलाब
.....................
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on December 7, 2018 at 8:56pm — 10 Comments
भिखारी सोचता रहा. आधी रात लगभग बीत चुकी थी . लेकिन उसकी आँखों में नींद कहाँ ? पिछले एक सप्ताह से वह ज्वर में तप रहा था. इस अवधि में गरमागरम चाय और नमकीन बिस्किट की कौन कहे, उसे ढंग की दवा तक नसीब नहीं हुयी . वह तो भला हो उस ‘लंगड़े’ का जो किसी तरह ‘अजूबी’ की कुछ टिकिया ले आया था. पर उससे क्या ? आज तो भिखारी के शरीर में इतनी भी ताब न थी कि वह घड़े में रखे कई दिनों के बासी और सड़े–गले पानी को मिट्टी के प्याले में ढालकर अपनी प्यास बुझा पाता . उसने पथराई आँखों से अँधेरी झोंपड़ी में चारों ओर देखा .…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2018 at 12:48pm — 6 Comments
221-2121-1221-212
धज्जी उड़ी हुई है सभी इन्तज़ाम की
क़ानून की सिफ़त है बची सिर्फ नाम की//१
तुम थे हवा हवाई बचा के नज़र गए
मेरी तरफ़ से कब थी मनाही सलाम की।//२
दिल में जगा के टीस चले मुस्कुरा के तुम
अब दिल में धक लगी है तुम्हारे पयाम की//३
बौरा के जब बसन्ती हवा झूमती चले
कोयल सुनाए कूक तुम्हारे कलाम की//४
अब ज्ञान बाँटने का है ठेका उन्हें मिला
जो खा रहे हैं मुफ़्त में बिल्कुल हराम की/५
इक शाम जो…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 6, 2018 at 10:31pm — 7 Comments
221 1221 1221 122
वेदना के पल कुँवारे ले चलो
कुछ तो जीने के सहारे ले चलो
दिल बहुत मायूस है परदेस में
बस हमें अब घर हमारे ले चलो
झील सी आंखों में हैं खामोशियाँ
थोड़े से सपने उधारे ले चलो
मैकदे में बंटती है अब भी शिफा
मैकदे में ज़ख्म सारे ले चलो
दुनिया मे महफूज कोई भी नहीं
साथ कितने भी सहारे ले चलो
मौलिक और अप्रकाशित
Added by मनोज अहसास on December 6, 2018 at 8:38pm — 7 Comments
मापनी २२१ १२२२ २२१ १२२२
नफरत के’ किले सारे, हमको ही’ ढहाना है
जो हाथ मिलाया है, तो दिल भी’ मिलाना है
यूँ रोज हमें खलती, पानी की’ कमी बेशक…
Added by बसंत कुमार शर्मा on December 6, 2018 at 4:49pm — 8 Comments
२२१२ २२१२ २२१२ १२
जब से मैं अपने दिल का सूबेदार हो गया
सहरा भी मेरे डर से लालाज़ार हो गया //१
छोड़ा जो तूने साथ, ख़ुद मुख्तार हो गया
तू क्या, ज़माना मेरा ख़िदमतगार हो गया //२
आईन मेरा ग़ैर क्या बतलायेंगे मुझे
मैं ख़ुद ही अपना आइना बरदार हो गया //३
गर बेमज़ा है आशिक़ी मेरे हवाले से
तू क्यों फ़साने में मेरे किरदार हो गया…
Added by राज़ नवादवी on December 6, 2018 at 3:00pm — 11 Comments
थोडा सा मुस्काने से गम हल्का भी हो सकता है
हर पल की तड़पन से दिल को खतरा भी हो सकता है
अक्सर धोखा हो जाता है देर से प्यासी आंखों को
तुम जिसको दरिया कहते हो सहरा भी हो सकता है
मैं तो अपने दिल से ही हर बार शिकायत करता हूं
वो भी मुझको भूल गया हो ऐसा भी हो सकता है
अब तो मैं यह सोच कर उसकी राहों से हट जाता हूं
इन आंखों से उसका दामन मैला भी हो सकता है
लोग तो अपने मन से बस इल्जाम लगाते रहते हैं
जो दरिया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 11:30pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
माबूद कह दिया कभी मनहूस कह दिया
उसकी निगाहों ने सदा तस्लीम ही कहा
मुझको ये कैसा दिल दिया तूने मेरे खुदा
जिसको खुशी और गम का सलीका नहीं पता
ओझल नजर से हो गई तस्वीर आपकी
बस इतना होने के लिए क्या-क्या नहीं हुआ
जीवन के सारे हादसे आंखो में आ गए
मुरझा के एक फूल जो मिट्टी में जा गिरा
आया है अब की बार इक दूजे ही रंग में
तन्हाइयों से दर्द का रिश्ता नया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 10:53pm — 4 Comments
ख़्याल ...
मैं सो गयी
इस ख़्याल से
कि तेरा ख्याल भी
साथ मेरे सो जाएगा
मगर
तेरा ख़्याल
तमाम शब्
मेरी नींदों से
खिलवाड़ करता रहा
मैं उनींदी सी सोयी रही
उसके लम्स
मेरे ज़ह्न को
झिंझोड़ते रहे
अंततः
सौंप दिया स्वयं को
ख़्याल बनके
उस ख़्याल के हवाले
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on December 5, 2018 at 6:54pm — 3 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२
कभी तो बख्त ये मुझपे भी मेहरबाँ होगा
मेरी ज़मीन के ऊपर भी आस्माँ होगा //१
गवाह भी नहीं उसका न कुछ निशाँ होगा
जो तेरे हुस्न के ख़ंजर से कुश्तगाँ होगा //२
हम एक गुल से परेशाँ हैं उसकी तो सोचो
वो शख्स जिसकी हिफ़ाज़त में गुलसिताँ होगा //३
ये ख़ल्क हुब्बे इशाअत का इक नतीजा है
गुमाँ नहीं था कि होना सुकूंसिताँ होगा…
Added by राज़ नवादवी on December 5, 2018 at 3:27pm — 6 Comments
अच्छी लगी है आपकी तिरछी नज़र मुझे ।।
समझा गयी जो प्यार का ज़ेरो ज़बर मुझे ।।1
आये थे आप क्यूँ भला महफ़िल में बेनक़ाब ।
तब से सुकूँ न मिल सका शामो सहर मुझे ।।2
नज़दीकियों के बीच बहुत दूरियां मिलीं ।
करना पड़ा है उम्र भर लम्बा सफर मुझे ।।3…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2018 at 12:34am — 10 Comments
1222-1222-1222-1222
अगर दिल को अदब औ शायरी से प्यार हो जाए
तुम्हें भी इश्क की खुशबू का कुछ दीदार हो जाए //१
मचलते दिल की धड़कन में चुभे जब इश्क का कांटा ।
ख़ुदा से रूह का रिश्ता तभी बेदार हो जाये//२
खुदा की सारी रहमत इश्क़ के आँचल में रहती है
छुपा लो सर को आँचल में हसीं संसार हो जाए//३
फ़ना हो जाए दीवाना जुनूने इश्क़ की ख़ातिर
खुशी से चूमे सूली को ख़ुदा का यार हो जाए//४
ये दिल बेजान वीना की तरह खामोश रहता…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 5, 2018 at 12:23am — 7 Comments
जायस के ऊसर में खानकाह बने कई माह बीत चुके थे I किछौछा से आये हजरत खवाजा मखदूम जहाँगीर किसी परिचय के मोहताज नही थे I बहुत जल्द ही उनके पास मुरीदों और मन्नतियों की भीड़ आने लगी i मुहम्मद यद्यपि छोटा था पर वह अक्सर वहाँ जाने लगा i वह बुजुर्ग पीर के छोटे-मोटे काम कर देता I पीर तो उसका भविष्य जान ही चुके थे I वह भी उसे अपने पोते की तरह मानने लगे I
एक दिन पीर सफ़ेद भेड़ की उन का लम्बा चोगा पहने अपनी पसंदीदा खानकाह में बैठे थे I उनके चेले और कुछ मजहबपरस्त लोग उन्हें घेरे हुए थे…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 4, 2018 at 8:57pm — 5 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२
दुश्मनी को भूल जाऊँ दोस्ती की बात तो हो
नफरतों को छोड़ भी दूँ इश्क़ के हालात तो हो।…
ContinueAdded by Ashish Kumar on December 4, 2018 at 1:30pm — 7 Comments
घर में किसी के और अब अनबन कोई न हो
सूना पड़ा हमेशा ही आगन कोई न हो।१।
कुछ तो सहारा दो उसे हँसने जरा लगे
होकर निराश घुट रहा जीवन कोई न हो।२।
झुकना पड़े तनिक तो खुद झुकना सदा ही तुम
यारो मिलन की राह में उलझन कोई न हो।३।
आओ बनायें आज फिर ऐसा समाज हम
ओढ़े बुढ़ापा जी रहा बचपन कोई न हो।४।
जल जाएँ…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2018 at 12:22pm — 14 Comments
राजा ये सोचता है कि प्यादा मज़े में है
प्यादा ये सोचता है कि राजा मज़े में है
लंगड़ा ये सोचता है कि अंधा मज़े में है
अंधा ये सोचता है कि लंगड़ा मज़े में है
हर नाज़ नखरे दिल के उठाता है ज़िस्म ये
पर दिल ये सोचता है कि गुर्दा मज़े में है
गुल के बिना वुजूद तो इसका भी कुछ नहीं
पर सोचता गुलाब कि काँटा मज़े में है
उस वक्त चढ़ गई थी हवाओं…
Added by rajesh kumari on December 4, 2018 at 11:15am — 12 Comments
2122 2122 2122 212
बाग़पैरा क्या करे गुल ही न माने बात जब
शम्स का रुत्बा नहीं कुछ, हो गई हो रात जब //१
बाँध देना गाँठ में तुम गाँव की आबोहवा
शह्र के नक्शे क़दम पर चल पड़ें देहात जब //२
दोस्त मंसूबा बनाऊं मैं भी तुझसे वस्ल का
तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक़दमात जब //३
इक किरन सी फूटने को आ गई बामे उफ़ुक़
रौशनी की जुस्तजू में खो गया…
Added by राज़ नवादवी on December 3, 2018 at 7:30pm — 7 Comments
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