मेरी बन्द मुट्ठी में
कसमसाता हुआ आसमान
मुझे छोड दो
बाकी आसमान तुम्हारा है
तलवों से ढ़की धरती
मुझे छोड दो
बाकी धरती तुम्हारी है
मेरे माथे की तीनों लकीरें
तुम्हारे झुँझलाते हुये उन प्रश्नों
का उत्तर हैं
जो किये थे तुमने
मेरे हारते समय
बर्षों से बन्द मेरी जुबान
शायद गल चुकी है
अब इसे तनिक भी हिलाया
तो टूट जायेगी
तुम्हारे नाम के सिवाय
इसे कुछ बोलना नहीं था
मगर तुमने इसकी
इजाजत न दी
तो…
Added by umesh katara on March 3, 2015 at 9:00pm — 6 Comments
तुझे वो याद करके दिल जलाती है चले आओ
तड़प कर गीत वो गम के सुनाती है चले आओ
बुलाती हैं तुझे हरदम तुम्हारे गॉंव की गलियॉं
तुम्हें वो याद करके अश्क बहाती है चले आओ
न भूलेगीं कभी गलियॉं शरारत याद है तेरी
कसम तुमको शरारत की दिलाती है चले आओ
जले है हाथ फिर भी सेकती रोटी तुम्हारी मॉं
तुम्हारा नाम ले ले वो बुलाती है चले आओ
न सुख मिलता यहॉं शहरी न बिजली है न बत्ती है
मगर खुद चॉंदनी रस्ता…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on March 3, 2015 at 7:13pm — 20 Comments
२१२२ ११२२ १२२२ २२/११२ तेरी मुस्कान तेरी शान तेरा ये जलवा काजू किशमिश से भरा जैसे बादामी हलवा तू न होता तो भला कैसे दिल से दिल मिलते ऐ हंसी गुल किसी जूही से मुझे भी मिलवा तेरी खुशबू में छुपा धड़कने दूंगा दिल की बात जैसे भी बने बात तो मेरी बनवा फायले दिल में हैं उनके तमामों नाम लिखे फैसला होने से पहले मेरी अर्जी… |
Added by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:30pm — 11 Comments
अचानक घिर आये बादलों को देखकर बल्लू घबरा गया , हवाएँ भी तेज हो गयी थीं | मार्च का महीना , गेहूं की फसल अपनी जवानी पर थी , बालियां निकल आई थीं और कुछ दिनों में इनके पकने की शुरुवात होने वाली थी |
कल खेत से लौटते हुए मन कितना हर्षित था उसका , इस बार तो बैंक का क़र्ज़ चुका ही देगा | पिछले हफ्ते ही नोटिस आया था क़िस्त जमा करने के लिए और उसने उसे बेफिक्री से फेंक दिया था | एक गाय भी लेनी थी उसे इस बार , फिर तो दूध से भी थोड़ी आमदनी बढ़ जाएगी | रात में उसने पत्नी को प्यार से बाँहों में भींच लिया ,…
Added by विनय कुमार on March 3, 2015 at 1:32pm — 24 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ |
कामयाबी रंग लाये तब जमाना पास आये | |
रंज बैरी भूल जाये हाथ थामे रास आये | |
पात ना आये अगर डाली कहीं सूखी हुई हो , |
फूल डाली पर खिले जैसे नजारा खास आये |… |
Added by Shyam Narain Verma on March 3, 2015 at 1:00pm — 12 Comments
Added by Poonam Shukla on March 3, 2015 at 11:30am — 9 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 10:45am — 20 Comments
22--22—22--22--22—2 |
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दिल्ली से जो बासी रोटी आई है |
अपने हिस्से में केवल चौथाई है… |
Added by मिथिलेश वामनकर on March 3, 2015 at 9:30am — 31 Comments
ओ भाई ,
नहीं , आपसे नहीं , होली दिवाली वालों से नहीं
किसी भी कौम के आस्तिकों नहीं
मै उनसे मुखातिब हूँ
अंध श्रद्धा , अंध विश्वास का ढोल पीटने वाले भाइयों से
हाँ , आपसे ही कह रहा हूँ
कितनी बार देखे हैं सर्टिफिकेट, डाक्टरी
इलाज कराने से पहले
जांचे हैं कभी ?
भेजे यूनिवर्सिटी तस्दीक करने के लिये सही है या गलत ,
फर्जी तो नहीं है सर्टिफिकेट देखे कभी , अपनीं आँखों से
कर लिये न.... विश्वास , वही.....अंध…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on March 3, 2015 at 8:20am — 20 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on March 3, 2015 at 7:45am — 17 Comments
शादी की दावत -1
स्टेशन से सीधे हम अजय भईया के घर पहुँचे |मड़वा में स्त्रियाँ उन्हें हल्दी-उबटन मल रही थीं |बड़े बाउजी यानि की मानबहादुर सिंह परजुनियों को काम समझाने में व्यस्त थे |बीच-बीच में वे द्वार पर आ रहे मेहमानों से मिलते उनकी कुशल-खैर पूछते और आगे बढ़ जाते |
“अरे सीधे ,स्टेशन से आ रहे हो क्या ?” हमारा समान देखकर शायद उन्हें अंदाज़ा हो गया था |
“जी,हमनें आपस में बात कर ली थी |गाड़ी आने के समय में भी ज़्यादा फ़र्क नहीं था इसलिए हम सब स्टेशन पर ही - -- “बारी-बारी से…
ContinueAdded by somesh kumar on March 2, 2015 at 11:03pm — 7 Comments
डरना हो तो बुरे कर्म से , डरना सीखो मतवाले !
उनको चैन कभी ना मिलता , जिनके होते मन काले !!
तोल सको तो पहले तोलो, बिन तोले कुछ मत बोलो !
मौन रहो जितना संभव हो , कम बोलो मीठा बोलो !!
खाना हो तो गम को खाओ, आंसू पीकर खुश होना !
गम सहने की चीज है बंधू , अपना गम न कहीं रोना !!
जला सको तो अहं जला दो , वरना अहं जला देगा !
हिरण्यकश्यप रावण के सम, तुमको भी मरवा देगा !!
दिखा सको तो राह दिखाओ , उसको जो पथ में भूला !
भगत…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 9:00pm — 16 Comments
पुलिस को पीछे आते देखकर डाकू रुक गये I इंस्पेक्टर ने ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग कर कहा – ‘पुलिस ने कोई घेरा नहीं डाला है सरदार से कहो बात करे I’
’अरे हम है धन्ना सिंह I आवा हो इंस्पेक्टर तोहार हिस्सा तैयार बा, ल्या और ऐश करा I’- सरदार ने आगे आकर इंस्पेक्टर को एक पैकेट दिया I दोनों ने मुस्कराकर हाथ मिलाया I जाते-जाते सरदार ने एक कान्स्टेबिल के पैरो में गोली मार दी I कान्स्टेबिल गिर पड़ा I डाकू चले गए I कुछ देर बाद उस राह से दो राहगीर गुजरे I इंस्पेक्टर ने उन्हें गोली मार…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 2, 2015 at 2:30pm — 21 Comments
बह्र : २१२२ १२१२ २२
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फ़स्ल कम है किसान ज़्यादा हैं
ये ज़मीनें मसान ज़्यादा हैं
टूट जाएँगे मठ पुराने सब
देश में नौजवान ज़्यादा हैं
हर महल की यही कहानी है
द्वार कम नाबदान ज़्यादा हैं
आ गई राजनीति जंगल में
जानवर कम, मचान ज़्यादा हैं
हाल क्या है वतन का मत पूछो
गाँव कम हैं प्रधान ज़्यादा हैं
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(मौलिक एवम् अप्रकाशित)
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 2, 2015 at 1:00pm — 41 Comments
पूरी कॉलोनी वालों की बेफ़िक्र नींद का राज़ था - रानी, वो पालतू न होते हुए भी कॉलोनी में रात के समय भौंक भौंक कर, किसी भी अपरिचित को नहीं घुसने देती थी. बदले में कॉलोनी के लोग भी रानी को खाने के लिये कुछ न कुछ दे देते थे. समय के साथ रानी ने गर्भधारण भी किया, लेकिन उन दिनों में उसकी थकान के बाद भी उसे खाने को कम ही मिलता. जब उसे प्रसव पीड़ा आरम्भ हुई, तब भी वो अकेली थी. उसने पांच बच्चों को जन्म दिया, प्रसव के पश्चात्, रानी को बड़ी तेज़ भूख लगी, लेकिन आज उसके पास खाने को किसी ने कुछ रखा ही…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2015 at 11:19am — 30 Comments
चुभन मत याद रखना तुम मिली जो खार से यारो
रहे बस याद फूलों की मिले जो प्यार से यारो
*****
नहीं शिव तो हुआ क्या फिर उपासक तो उसी के हम
गटक लें द्वेष का विष अब चलो संसार से यारो
*****
न समझो हक तम्हें तब तक सुमारी दोस्तो में है
रखो गर दुश्मनी भी तो मिलो अधिकार से यारो
*****
हमें जल के ही मरना था जलाया नीर ने तन मन
खुशी दो पल रही केवल बचे अंगार से यारो
*****
भरत वो हो नहीं सकता सदा …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2015 at 11:00am — 11 Comments
२२२२ २२२२ २२२२ २
शर्मिंदा आज किसी रूह की पैदाइश होगी---रूह में ह साइलेंट है
गैरों के आगे फिर सूरत की नुमाइश होगी
फिर से टूटेगा रब की रहमत का देख भरम
फिर आज किसी की किस्मत की आजमाइश होगी---(आजमाइश की मात्रा गिराकर अजमाइश किया है)
ज़र्रे ज़र्रे में महकेगी दौलत की खुशबू
नजरों नजरों में फिर कोई फर्माइश होगी
हँस हँस के मिटेगी जल जल के लुटेगी रात शमा
धज्जी धज्जी…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 2, 2015 at 10:30am — 24 Comments
छन्द – छन्न पकैया
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छन्न पकैया छन्न पकैया , होली फिर से आई
बूढ़े बाबा की भी देखो , जागी है तरुणाई
छन्न पकैया छन्न पकैया , रंग प्यार का लेके
लूले लंगड़े भी दौड़े जो , चलते हैं ले दे के
छन्न पकैया छन्न पकैया, होली बड़ी निराली
कौवा रंग लगा के पूछे , कैसी लगती लाली
छन्न पकैया छन्न पकैया , आ जा भंग चढ़ायें
फिर बैठे बैठे घर में ही, आसमान तक जायें
छन्न पकैया छन्न पकैया , सूना…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on March 2, 2015 at 10:30am — 28 Comments
२११-२११-२११-२११-२११-२११
होली का कुछ और मज़ा था उस बस्ती में
जश्न नहीं था एक नशा था उस बस्ती में
दिल के जंगल में यादों के टेसू लहके
तेरा मेरा प्यार नया था उस बस्ती में
शहरों में क्या धूम मचेगी, होली पर वो
भांग घुटी थी रंग जमा था उस बस्ती में
चंग बजाते घर घर जाते रसियों के दल
हरदम दिल का द्वार खुला था उस बस्ती में
जोश युवाओं का भी ठंडा ठंडा है अब
बूढों का भी जोश युवा था उस बस्ती…
ContinueAdded by khursheed khairadi on March 1, 2015 at 9:00pm — 21 Comments
जनमत जिसके साथ में, उसकी होती जीत,
अहंकार जिसने किया, जनता करे न प्रीत |
जनता करे न प्रीत, जीत न उसे मिल पाए
जो भी चाहे जीत, काम जनता के आए
कह लक्ष्मण कविराय, मिटावे दिल से नफरत
जनहित की हो सोच, उसे ही मिलता जनमत |
दिल में भाव अभाव है,कोरा है वह चित्र
दुख में कभी न छोड़ता,वह है सच्चा मित्र |
वह है सच्चा मित्र, श्रेय न कभी वह लेता
कपट धूर्तता बैर, पास न फटकने देता
लक्ष्मण देती साथ,ह्रदय से पत्नी इसमें
रहे…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2015 at 7:30pm — 19 Comments
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