For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,998)

पाँच हाइकू

 दिल लगाया.

वादे बहुत किये.

मोल चुकाया! 

*

बाज,बाज है.

गिद्ध, ' दृष्टि' रखता.

चालबाज है.

*

अजगर भी.

बैठ-बैठ के खाते.

अफसर भी! 

*

रंग-बिरंगी.

गलियाँ जीवन की.

बड़ी बेढंगी!

*

खून खौलता.

मुट्ठियाँ भींच जाती.

मुख बोलता.

*

अविनाश बागडे.

Added by AVINASH S BAGDE on February 11, 2012 at 10:30am — 8 Comments

फिर क्यों ?

तुम .

मेरी चेतना के पंख

रूह के मंदिर में 

बजता भोर का शंख

मन की उड़ान 

देह की जान

बनती बिखरती कहानी

निर्मल निर्झर का

बहता हुआ सा पानी

फूलों की खुशबू

या वो पवन

जो लाती है वो जादू

जो बना देता है

मतवाला अक्सर .

तुम ही तो हो

ये सब .

फिर क्यों

कभी कभी

मैं हो जाता हूँ

तन्हा.

बताओ तो जरा…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on February 9, 2012 at 9:28pm — 1 Comment

मुझे सीने से लगाओ या मसल दो मुझको.....

हमनशीं राह पे बस और ना छल दो मुझको,
मुझे सीने से लगाओ या मसल दो मुझको।

मसनुई प्यार से अच्छा है के नफरत ही करो,
शर्त बस ये है के नफरत भी असल दो मुझको।

दिले बीमार ने बस कोने मकाँ माँगा है,
मेरी चाहत ये कहाँ ताजो महल दो मुझको।

मेरे बिगड़े हुए हालात में तुम आ जाओ,
वक़्त ए आखिर है के दो पल तो सहल दो मुझको।

डबडबाई हुई आँखों से न रुखसत करना,
बड़ा लम्बा है सफर खिलते कँवल दो मुझको।

Added by इमरान खान on February 8, 2012 at 2:46pm — 10 Comments

पुरुष और प्रकृति

जब उठाया घूंघट तुमने,

दिखाया मुखड़ा अपना

चाँद भी भरमाया

जब बिखरी तुम्हारे रूप की छटा

चाँदनी भी शरमायी

तुम्हारी चितवन पर

आवारा बादल ने सीटी बजाई ।

तुमने ली अगंड़ाई, अम्बर की बन आई

तुमसे मिलन की चाह में फैला दी बाहें,

क्षितिज तक उसने

भर लिया अंक में तुम्हें, प्रकृति, उसने

तुम्हारे…

Continue

Added by mohinichordia on February 7, 2012 at 6:30am — 10 Comments

पत्नियाँ

डूबती इक नाव होती आदमी की जिंदगी,

ग़र न होतीं जिंदगी में मुस्कुराती पत्नियाँ।

 

बेसुरा संगीत होती आदमी की जिंदगी,

ग़र न होतीं जिंदगी में गुनगुनाती पत्नियाँ।

 

गूंजता अट्टहास होती आदमी की जिंदगी,

ग़र न होतीं जिंदगी में  खिलखिलाती पत्नियाँ।

 

मौन सा आकाश होती आदमी की जिंदगी,…

Continue

Added by Prof. Saran Ghai on February 7, 2012 at 4:42am — 11 Comments

दो जन्म

( दो जन्म )

हाँ , आज  हुआ है मेरा 

जन्म , 
एक शानदार हस्पताल में ....
कमरे में टीवी है ...
बाथरूम है ...फ़ोन है ....
तीन वक्त का खाना 
आता है .....
जब मेरा जन्म हुआ 
तो मेरे पास ...
डाक्टरों और नर्सों 
का झुरमट ....
मेरी माँ मुझे देखकर 
अपनी पीड़ा को 
कम करने की कोशिश 
कर रही है .....
हर तरफ ख़ुशी…
Continue

Added by राज लाली बटाला on February 6, 2012 at 10:30pm — 21 Comments

मॆरी बात तॊ समझॊ,,,,,,,,,

मॆरी बात तॊ समझॊ,,,,,,,,,

-----------------------------

उछलॊ मत यार ज़रा,हालात तॊ समझॊ ॥

मैं कह रहा हूं कि, मॆरी बात तॊ समझॊ ॥१॥…



Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on February 6, 2012 at 10:00pm — 3 Comments

मासूम इश्क

देखें हैं हमने नज़ारे कई , शरारे कही  तो बहारें कई ,

लिखी-पढ़ी  है खूबसूरती की कई परिभाषाएं 

कही-सुनी है इबादत ए हुस्न की कई कवितायेँ …
Continue

Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 6, 2012 at 9:00pm — 2 Comments

वो कोशिश करते रहे रुसवा करने की ,

मांगी जो उनसे जिगर में पनाह हमने ||

देखें ऐसे जो किया हो गुनाह हमने ||

आज तक न मिला मुहब्बत सा बहर गहरा,

देखे लाखों बहर गहरे अथाह हमने ||

हमको उसने भी दिया ना जवाब कोई ,…

Continue

Added by Nazeel on February 6, 2012 at 8:10pm — No Comments

छन्न पकैया

छन्न पकैया-छन्न पकैया, जीवन तेरा- मेरा.

रोज डूबता सूरज इसमे, होता रोज सबेरा.

**

छन्न पकैया-छन्न पकैया, सांसें आती-जाती.

चलने का मतलब है जीवन,रुकना मौत कहाती.

**

छन्न पकैया-छन्न पकैया, सुख ही दुःख का कारण.

इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण.

**

छन्न पकैया-छन्न पकैया, कह गए ज्ञानी-ध्यानी.

अपना ही गुण-धर्म निभाते, हवा,आग और पानी.

**

छन्न पकैया-छन्न पकैया, धर्म वही है सच्चा.

जिसे जानता वसुंधरा का, साधो, बच्चा-बच्चा.…

Continue

Added by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 8:00pm — 5 Comments

अनछुआ एहसास

बहुत सोचा कि लिख ही डालूँ 

यादों और एहसासों को साँस दे ही डालूँ...
आई जब तन्हाई की आगोश में,
लायी जब यादों को होश में...
तब जेहन में आया किसी का जिक्र,
एहसासों का वो गुबार, 
जिसकी नहीं थी कोई फिक्र....
यादों के झरोके में पाया वो एहसास,
जिससे न थी कभी टकराने की कोई आस....
उन एहसासों को दी अल्फाजो…
Continue

Added by Yogyata Mishra on February 5, 2012 at 4:00pm — 3 Comments

तीन कुंडलियां / अविनाश बागडे

(१)

शक्तिशाली खूब बनो,साहस हो भरपूर.

विनम्रता के भाव ही,मन में रहे प्रचूर.

मन में रहे प्रचूर ,सादगी का गहना हो.

अपनी जरुरत की सरहद में ही रहना हो.

कहता है अविनाश,बढ़ेगी तब खुशहाली.

जीवन अपना और बनेगा शक्तिशाली.

(२)

भाई से भाई टकरा के होते है बरबाद.

दुश्मन के सारे मंसूबे हो जाते आबाद.

हो जाते आबाद,सभी तुम पर हंसते है.

टूटा घर दिखलाकर सब फिकरे कसते हैं.

कहता है अविनाश रोकिये जगत हंसाई

घर का झगडा घर में…

Continue

Added by AVINASH S BAGDE on February 5, 2012 at 1:00pm — 6 Comments

वक्त,,,,

वक्त,,,,

--------------

किसी किसी कॊ भला खासा, बना दॆता है वक्त ॥

किसी की ज़िंदगी का तमाशा,बना दॆता है वक्त ॥१॥





कभी चुल्लू भर पानी सॆ, भर दॆता है समंदर कई,…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on February 5, 2012 at 11:30am — 4 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
इन्तजार में

बिखरे  हुए हैं गेसू इस इन्तजार में 

आये कोई झोंका  हवा का 
और संवार दे !
ढलका हुआ है आँचल 
नर्म  जमीं के बदन पर   
कि चांदनी भी 
तारों की लड़ियाँ निसार दे !
वो बैठे हैं गिराकर 
पलकों की झालरें 
चल के आये जवां ख़्वाब कोई 
और पहलू में जिंदगी गुजार दे !
ऐ काली घटाओ !
तिल सा…
Continue

Added by rajesh kumari on February 5, 2012 at 10:00am — 10 Comments

ये आज का युवा हैं

आंधी हैं हवा हैं

बंधनों में क्या हैं

ये उफनता दरिया हैं  

किनारे तोड़ निकला हैं

मस्ती में मस्तमौला हैं

मुश्किल में हौसला हैं

अपनी पे आजाए तो जलजला हैं

ये आज का युवा हैं

 

कभी बेफिक्री का धुआँ हैं

कभी पानी का बुलबुला हैं

कभी संजीदगी से भरा हैं

ये आज का युवा हैं

पंखों को फडफडाता हैं

पेडों पे घोंसला बनाता है

अब की उड़ना ये चाहता हैं

दाव पे ज़िंदगी लगता हैं

हारा भी…

Continue

Added by shashiprakash saini on February 5, 2012 at 12:22am — 8 Comments

भरत की व्यथा

            

भरत की व्यथा 

घनी अंधियारी  काली रात ।

सूझता नहीं हाथ को हाथ ।

घोर सन्नाटा सा है व्याप्त ।

नहीं है वायु भी पर्याप्त ।



नहीं है काबू में अब मन ।

हुआ है  जब से राम गमन ।

भटकते होंगे वन और वन ।

सोंच यह व्याकुल होता मन ।



नगर से बाहर सरयू…

Continue

Added by Mukesh Kumar Saxena on February 4, 2012 at 8:51pm — 5 Comments

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

बन गया मुसाफिर इस दुनिया में

सुख दुःख की लाँघ सीमाओं को

सुबह से चलता चलता अब

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

 

कोई पुकारता है दूर चट्टानों से

कोई ढूंढ़ता है मुझे मेरे बहानो से

उन झुरमुटों को साथ ले चला आया

मैं अब किस दिशा को बढ़ चला हूँ

कंधे पर भार लगते नहीं हैं

कोई पूछे सवाल कहारों से

सुबह से चलता चलता अब

सुन रहा रात की धमनी शिराओं से

रोक कर कई पूंछते हैं 

शहर  किधर को…

Continue

Added by AJAY KANT on February 4, 2012 at 8:07pm — No Comments

हाईटैक भक्त – हाईटैक भगवान

भगवन कहां छिपे हो मुझको काल करो,

काल नहीं ना सही, प्रभु मिस काल करो ।

इक पल में ही काल रिटर्न करूँगा मैं,

किसी बात पर प्रभु ना ध्यान धरूँगा मैं,

अब तो मिलने की प्रभु कोई चाल करो।     (भगवन कहां छिपे …)

 

अगर लाँग डिस्टेंस है तो कुछ बात नहीं,

चैटिंग का पैकेज तो मंहगी बात नहीं,

डेटिंग, चैटिंग कुछ तो सूरत-ए-हाल करो।   (भगवन कहां छिपे…)

 

फ़ोन नहीं तो इंटरनैट पर आ जाओ,

स्काइप पे आकर प्रभुवर दरश दिखा…

Continue

Added by Prof. Saran Ghai on February 4, 2012 at 8:00pm — 3 Comments

बात करियॆ,,,,

बात करियॆ,,,,

-------------------

साफ़गॊई सॆ आप यूं, सब सॆ बात करियॆ ॥

जिस सॆ भी करियॆ, अदब सॆ बात करियॆ ॥१॥



बॆ-वज़ह बात करना, भी मुनासिब नहीं,…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 7:30pm — 9 Comments

ग़ज़ल

गरीबी के अब तो जमाने हुए |

मुहब्बत से खाली खजाने हुए |


नहीं मिटता…
Continue

Added by dilbag virk on February 3, 2012 at 5:30pm — 8 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122 212 घोर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service