1221--2121--1221--212
ख़तरे में जब वज़ीर था प्यादे बदल गए
मौक़ा परस्त दोस्त थे पाले बदल गये
आये न लौट कर वे नशेमन में फिर कभी
उड़ने को पर हुये तो परिन्दे बदल गये
होंठों पे इनके आज खिलौनों की ज़िद नहीं
ग़ुरबत का अर्थ जान के बच्चे बदल गए
हालाँकि मैं वही हूँ मेरे भाई भी वही
घर जब बँटा तो ख़ून के रिश्ते बदल गये
ढलने पे आफ़ताब है मेरे नसीब का
देखो ये मेरी आँखों के तारे बदल गये
लहजे में गुल-फ़िशानी न…
Continue
Added by दिनेश कुमार on June 5, 2017 at 8:46am —
6 Comments
मापनी २२१ १२२२ २२१ १२२२
नफरत के किले सारे, अब हमको ढहाना है
जब हाथ मिलाया है, दिल को भी मिलाना है
चुपचाप न बैठोगे, पाओगे सदा मंजिल,
दुश्मन है तरक्की का, आलस को भगाना है…
Continue
Added by बसंत कुमार शर्मा on June 5, 2017 at 8:30am —
4 Comments
पाकिस्तानी टीम को, मिली करारी हार।
दौडा़ दौड़ाकर उन्हें, भारत ने दी मार।।
भारत ने दी मार, मैच इकतरफा जीता।
यूवी और विराट, , लगाते रहे पलीता।।
हारा पाकिस्तान, पड़ी है मुँह की खानी।
जंग रहे या मैच, पिटेंगे पाकिस्तानी।।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**
Added by Hariom Shrivastava on June 5, 2017 at 12:07am —
No Comments
मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
दुख दर्द आह दिल की खलिश को लताड़ कर
हम चल दिये बदन पे पड़ी धूल झाड़ कर
दिल दुश्मनों के हिल गये इक पल न टिक सके
हमने नजर उठा उन्हें देखा दहाड़ कर
आवाज दी चमन ने पुकारा बहार ने
हम आ गये हसीन जहाँ छोड़ छाड़ कर
माँ भारती तरफ बढ़े नापाक जो कदम
रख देंगे तेरे दौनों जहाँ को उजाड़ कर
है रूह जिस्म जान तलक हिन्द के लिये
ओ माँ सपूत से तेरे इतना न लाड़ कर
(मौलिक एवं…
Continue
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 4, 2017 at 5:25pm —
11 Comments
(आधार बह्र ए मेरे)
रात चाँदनी और ये तारे
नहीं सुहाते बिना तुम्हारे-2
साथ रहो तुम तब है होली
तुम्ही नहीं जो फिर तो हो ली
तुमसे जीवन में सारे रंग
तुम बिन जीवन ही है बे रंग
गम का दरिया तर जाता है
तुम रहते जब साथ हमारे।
झूम-झूम कर आता सावन
लेकिन प्यासा तरसे जीवन
विरह काल में बूंदें गिर कर
चलें जलाती मेरा तन-मन
साथ तुम्हारा नहीं अगर तो
सभी फुहारें हैं अंगारे।
जले जेठ-सा जाड़ा तुम…
Continue
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on June 4, 2017 at 3:30pm —
4 Comments
किसी से कम रहो ना बेटी , पढ़ो बढ़ो तुम आगे जाओ | |
अडिग रहो अपने ही पथ पर , तुम कदम ना पीछे हटाओ | |
नाम करो अपना इस जग में , बढ़ो सुता तुम कदम बढ़ाओ | |
हर मुश्किल में रहे हौसला , हर गम सहकर बढ़ते जाओ |… |
Continue
Added by Shyam Narain Verma on June 3, 2017 at 4:39pm —
4 Comments
1222 1222 1222 1222
वो अक्सर बेरुखी से वक्त का दीदार करती हैं ।।
हवाएं इस तरह से जिंदगी दुस्वार करती हैं ।।
न जाने क्या मुहब्बत है हमारी हर तरक्की से ।
हज़ारों मुश्किलें हम से ही आंखें चार करती हैं ।।
बड़ी चर्चा है वो बदनामियों से अब नहीं डरता ।
है उसकी हरकतें ऐसी दिलों में ख्वार करतीं हैं ।।
जिन्हें खुद पर भरोसा ही नही रहता है मस्जिद में ।
खुदा की रहमतें उनको बहुत लाचार करती हैं ।।
न् जाओ तुम कभी मतलब परस्तों के इलाके में…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 3, 2017 at 3:04pm —
5 Comments
बहर- फैलुन*4
तुमसे मन की बात हो गई
सावन सी बरसात हो गई,
जब से आये हो जीवन में,
पूनम सी हर रात हो गई
नैनों से जब नैन मिले तो,
सपनों की बारात हो गई
दिल में तुमने हमें बसाया,…
Continue
Added by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 1:34pm —
4 Comments
दादा जी कहीं चले गए थे। पिताजी नहा-धो कर तैयार हो कर अपने मोबाइल चार्ज़ कर रहे थे। इंटरनेट के लिए बड़ा डाटा पैक अपने व बेटे के मोबाइलों की सिमों में कल ही डलवा लिया था। आज बोर्ड की दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित होने वाला था समाचारों के अनुसार दोपहर बारह बजे सभी अपने मोबाइलों, टी.वी. या लेपटॉप से चिपके हुए थे। मन्नू दोस्तों से मोबाइल पर वीडियो-कॉल पर बातचीत में मशगूल था।
"क्यों रे वेबसाइट खुली क्या?" दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई।
"नहीं भाई, लगता है रिज़ल्ट अभी अपलोड हो रहा…
Continue
Added by Sheikh Shahzad Usmani on June 3, 2017 at 1:27pm —
9 Comments
कल कल बहती है नदी
मेरे भीतर भी कहीं
सूर्य की तपिश में
गर्म होती है ऊपरी सतह
चाँदनी रातों में चमक जाती है
श्वेत तारों को आग़ोश में लिए हुए
सावन में हरित होती मिट्टी
सिमट जाती हैं मुझमें कभी
फिसलती रेत कभी जम जाती है
पर बहता है जल प्रवाह
निरंतर कभी ऊचें पर्वतों से
कभी निचली सतह पर अपनी गति से
ज़मीन पर से देखती है आसमां को
अपने में बहुत कुछ समेटे हुए
छोटे कंकड़ , बड़ी चट्टानें
छोटे…
Continue
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 3, 2017 at 8:56am —
8 Comments
खिंच जाएगी,
ड़ोरी सहसा,
थम जायेगी ,
ये कठपुतली,
भागते समय में निर्बाध,
यवनिका गिरेगी,
जीवन नाटक की,
और नैपथ्य में ,
गूँजेगी एक आवाज़,
कि अब तुम्हारा,
समय समाप्त ...!!"
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Arpana Sharma on June 2, 2017 at 11:23pm —
7 Comments
2122 2122
अक्ल के मारे हुए हैं
हम सभी हारे हुए हैं।1
आज मसले बेवजह के
देखिये नारे हुए हैं।2
जो नहीं थोड़ा सुहाये,
आँख के तारे हुए हैं।3
लूटते हैं जिस्म-ईमां
जान हम वारे हुए हैं।4
दान कर दीं कश्तियाँ भी
आज बेचारे हुए हैं।5
कान देते, बात बनती
वे उबल पारे हुए हैं।6
बाग भर मैं देख आया,
तिक्त फल सारे हुए हैं।7
सब लिये हैं गीत अपने
भाव को टारे हुए हैं।8
हंस ढूँढ़े, मिल…
Continue
Added by Manan Kumar singh on June 2, 2017 at 8:24pm —
13 Comments
इतनी ज्यादा बात न कर
वादों की बरसात न कर
ह्रदय बड़ा ही नाजुक है,
उस पर यूँ आघात न कर
ख्यात न हो कुछ बात नहीं,
पर खुद को कुख्यात न कर
मानव को मानव रहने दे,
ऊंची नीची जात न कर
…
Continue
Added by बसंत कुमार शर्मा on June 2, 2017 at 10:02am —
20 Comments
शराबी पति से रुई की तरह धुनी जा रही कुसमा ,गाँव में आयी पुलिस की गाड़ी देख कर दौड़ पड़ी।
"बचा लो साहब !बहुत मारा ये जल्लाद हमको,इसकी ऐसन पूजा करो कि हाँथ उठाना भूल जाए ।"एक तो अचानक आई पुलिस और ऊपर से कुसमा की शिकायत ने गोविंद पर चढ़ी दारू के सुरूर को तनिक हल्का कर दिया। वह जुबान जो अभी तक तूफ़ान की गति से गालियां उगल रही थी,तालू से जा चिपकी।वह थोड़ा सहम सा गया।
"क्यों रे!ज्यादा चर्बी चढ़ गयी लगता?
एक बार की मेहमानी में सारी पिघला देंगे। सुन रहा है ना?और तू!,पुलिस वाला कुसमा की ओर देख…
Continue
Added by Rahila on June 1, 2017 at 10:37pm —
14 Comments
(1)क़ुदरत की इनायत हैं बेटियाँ
माँ-बाप की चाहत हैं बेटियाँ
सदा सपनों को करती साकार
हर घर की ज़रूरत हैं बेटियाँ ।
(2)राहें नई बना रही हैं बेटियाँ
सपनें नये सजा रही हैं बेटियाँ
कीर्तिमानों के शिखरों को छू रही
विमानों को उड़ा रही हैं बेटियाँ ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on June 1, 2017 at 9:06pm —
11 Comments
"जीवन के आखिरी समय में, सही गलत का तो हम नही जानते बेटा, लेकिन इस बात का दुःख हमें अवश्य है कि हमारे कर्मो की सजा तुम भोग रहे हो। हो सके तो हमे क्षमा......।" बाबा की अंतिम बातों को सोच छोटे ठाकुर की आँखें नम हो गयी।
लकड़ियाँ अब आग पकड़ चुकी थी और चिता से उठती लपटो में बड़े ठाकुर की देह विलीन होने लगी थी। पास खड़ा 'भैरू' साथ साथ लकडियां व्यवस्थित कर रहा था जबकि बढ़ती आंच से बचने के लिए बाकी सभी लोग थोडा पीछे हटने लगे थे। 'कुंवरजी' पहले ही दूर जा खड़े हुए थे। आजीवन कारावास की सजा के बीच…
Continue
Added by VIRENDER VEER MEHTA on June 1, 2017 at 5:17pm —
8 Comments
क्या यह मुझे जानने में मदद करेगा
वहां उनकी हंसी है
रिक्त स्थान में भर
हवा में फसी
क्या यह मुझे सीखना शांत करेगा
हर जगह से आनंद के फैल आँसू
दिल खुश से विस्फोट
जैसा कि यह केवल उचित है.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by narendrasinh chauhan on June 1, 2017 at 4:08pm —
1 Comment
तृषित ज़िंदगी ...
गाँव की
उदास और चुप शाम
टूटे छप्पर
हवाओं से
बिखरे तिनके
बयाँ कर रहे थे
ज़ुल्म आँधियों का
बिखरे
रोटियों के टुकड़े
और
टूटे हुए मटके में
दो हाथों के इंतज़ार में
ठहरा
तृप्ति को तरसता
अतृप्त पानी
कह रहा था
चली गयी
शायद
कोई ज़िंदगी
तृषित ही
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on May 31, 2017 at 2:00pm —
8 Comments
नटी बनी थिरका करती है जब-तब डगर-मगर
अरी ज़िंदगी ले जाएगी मुझको बता किधर...
क्यों ओढ़ी तूने सतरंगी सपनों की चूनर
सपने पूरे करने की जब राहें हैं दुष्कर
माना मीठी मुस्कानें पलकों तक लाते हैं
पर कर्कश ही होते हैं बिखरे सपनों के स्वर
तिनका-तिनका ढह जाता है
नीड़ हमेशा, फिर
बुनती है क्यों वहीं घरौंदा, चंचल जिधर लहर
अरी ज़िंदगी...
छलकी आँखों को पलकों के बीच दबाती है
सिसकी के तन पर उत्सव का लेप चढ़ाती है
शब्द कहेंगे झूठ मगर…
Continue
Added by Dr.Prachi Singh on May 31, 2017 at 11:17am —
5 Comments
221 1221 1221 122
भारत की बुलन्दी का सितारा ही रहेगा ।
कश्मीर हमारा है हमारा ही रहेगा ।।
हालात बदलने में नहीं देर लगेगी ।
प्यारा है हमें मुल्क तो प्यारा ही रहेगा ।।
हम एक थे हम एक हैं हम एक रहेंगे ।
यह दर्द तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा ।।
बरबाद नहीं होगी शहीदों की निशानी ।
इतिहास में हारा है तू हारा ही रहेगा ।।
ऐ पाक कहाँ साफ़ रहा है तेरा दामन ।
है तुझ से किनारा तो किनारा ही रहेगा ।।
यह ख्वाब न् पालो के कभी तोड़…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 31, 2017 at 8:30am —
10 Comments