122 122 122 122
बहुत हो चुकी हैं शराफत की बातें
चलो अब करें कुछ व़गाव़त की बातें
....
हसद है उन्हें अब मेरी शौहरतों से
जो करते कभी थे रियाज़त की बातें
.....
दफन है बहुत आग सीने में जिसके
वो कैसे करेगा नज़ाकत की बातें
.....
बुजुर्गों की सेवा जरूरी बहुत है
करो सिर्फ इनकी इवादत की बातें
......
मुआफी के काबिल नहीं बेवफाई
न मुझसे करो तुम नदामत की बातें
......
जिसे जिन्दगी देके मैंने बचाया
वो करने लगा है…
Added by umesh katara on March 31, 2015 at 7:30pm — 17 Comments
शुरू है पत्नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है
दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है
बदन में दर्द हो उसके करो तुम तेल से मालिश
रहेगी खुश सदा तुमसे लगाओ जब उसे पालिश
सुबह पूजा करो उसकी न है अब वो चरण दासी
अगर ऐसा न कर पाये मिले भोजन तुम्हें बासी
बनाना रोज वो मुझका नया एक डिस सिखाती है
शुरू है पत्नी सेवा दल मुझे हर दम बताती है
दिखा बेलन सुबह से शाम तक मुझको डराती है
अगर उसके कभी भाई चले आये तुम्हारे घर
न…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on March 31, 2015 at 7:18pm — 12 Comments
२१२२ / २१२२/ २१२२/ २१२ |
राह चलते दिल मिला फिर याद बनकर रह गया | |
ख़्वाब जो देखा कभी वो अश्क बनकर बह गया | |
रात बीती चांदनी में खाब आँखों में लिये… |
Added by Shyam Narain Verma on March 31, 2015 at 4:38pm — 6 Comments
२१२२ २१२२ २१२१२
जो न सोचा था कभी,वो भी किया किये
हम सनम तेरे लिये,मर-मर जिया किये
***
तेरी आँखों से पी के आई जवानियाँ
दम निकलता गो रहा पर हम पिया किये
***
आँख हरपल राह तकतीं ही रही सनम..
फर्श पलकों को किये,दिल को दिया किये
***
आदतन हम कुछ किसी से मांग ना सके
और हिस्से जो लगा वो भी दिया किये
***
जख्म को अपने कभी मरहम न मिल सका
गैर के जख्मों को हम तो बस सिया…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 31, 2015 at 4:30pm — 15 Comments
दाग दार न करे ........
बहुत् हाय हाय मचेगी रे राम सुख ! तुम देखत रहो, इहाँ - बहुत मारामारी होवेगी। ई ससुरी कुर्सी की खातिर हमका न जाने कौन कौन से पहलवानी करनी पड़ेगी। सरकार,…
ContinueAdded by Sushil Sarna on March 31, 2015 at 3:30pm — 8 Comments
1.बरसों के बाद खुद को यूँ पहचान तो गया
सीने में दफ्न इश्क जुनूं जान तो गया
2.बीती तमाम उम्र तेरी आरज़ू में बस
चाहत भरा सफ़र हो ये अरमान तो गया
3.हमको कहाँ खबर थी कि दिल हार जाएगें
छो़ड़ो चलो कि दिल तेरे कुर्बान तो गया
4.मांगा खुदा से जिसको था सजदों में बारहा
मुझको वो मेरे नाम से पहचान तो गया
5. हमसे न हो सके थे जमाने के चोंचले
सब खुश हुए कि दौड़ से नादान तो गया
यह भी…
ContinueAdded by MAHIMA SHREE on March 31, 2015 at 2:00pm — 14 Comments
वो ख़ूबसूरती नहीं है उनमें
काली अंधेरी रात सी चमड़ी
जैसे अमावस की रात मुखरित
काली नदी की तरह बहाव है
उन्माद भी उनमें, आग भी
सीसम की लकड़ी सी चमक भी
मजबूरी से कसमसाती हुई
मर नहीं पाती उनके भोगने तक
ज़िंदगीभर खूबसूरती खोजती
आँखों में चकाचौंध करने वाला
सफ़ेद घोडा दौड़ता है ताकत से
चने खाता तो मानते, जिस्म खाता है
भाता है केवल रूह छोड़कर सबकुछ
जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर…
ContinueAdded by Pankaj Trivedi on March 31, 2015 at 10:00am — 16 Comments
अस्थियाँ चटकीं थीं तेरी कलाई की,
मुझसे हाँथ मिलाते हुए.
इसे समझी थी तुम, शायद,
मेरी शरारत, और,
मैं क्या समझा था, मुझे कुछ याद नही.
और अब- जबकि उसके बाद,
तुम आज तक न मिल सकी ,
सोचता हूँ - -
अस्थियों की वो चटक,
क्या एक प्रहेलिका थी
जिसका अर्थ था-
रिश्ते का 'फाइनल कट्'.
मौलिक व अप्रकाशित
Added by shree suneel on March 30, 2015 at 11:30pm — 18 Comments
“ए बच्ची सुन,यहाँ जेल में किससे मिलने आई है !”
“जी सरकार ,अपने पिताजी से !”
“ पर तू तो भले घर की लगती है, और तेरा बाप जेल में, क्या हुआ था ?”
“साहब एक हादसा हो गया था !”
“कैसा हादसा ,कब ?
“ जी ,सब कहतें हैं मेरे पैदा होने के समय !”
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 9:52pm — 12 Comments
22 12 12 11 22 12 12
मुश्किल सवाल ज़ीस्त के आसान हो गए,
ता-हश्र हम जो कब्र के मेहमान हो गए.
.
जब से कमाई बंद हुई सब बदल गया
अपनों पे बोझ हो गए सामान हो गए.
.
मेरे ये हर्फ़ बन न सके गीत और ग़ज़ल
उनके तो वेद हो गए कुर’आन हो गए.
.
उसने बना के…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 30, 2015 at 1:50pm — 28 Comments
(212 212)
मुतदारिक मुरब्बा सालिम
चांदनी रात है
वाह क्या बात है I
रात का तम गया
अब धवल प्रात है I
मौन वंशी लिए
वह खड़ा तात है I
पुष्प के बाण से
काम का घात है I
राग-अनुराग की
दिव्य बरसात है I
कामना है मधुर
भाव अवदात है I
नन्द का लाडला
नेह निष्णात है I
आपगा तीर पर
राधिका स्नात है I
नेह…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 30, 2015 at 1:37pm — 29 Comments
Added by Samar kabeer on March 30, 2015 at 12:14pm — 32 Comments
1222---1222---1222---1222 |
|
सभी खामोश बैठे हैं, सदा पर आज ताले हैं |
हमारी बात के सबने गलत मतलब निकाले हैं |
|
उजड़ते शह्र का मंजर न देखें सुर्ख रू साहिब… |
Added by मिथिलेश वामनकर on March 29, 2015 at 10:00pm — 22 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on March 29, 2015 at 4:54pm — 20 Comments
221 2121 1221 212
जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया
इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया
आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें
हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया
जलने लगे चराग सितारे चमक उठे
दीदारे ताबे हुस्न सरे शाम हो गया
बेदार शब तमाम जला चाँद अर्श पर
जाहिर जुनूने इश्क़ सरे बाम हो गया
तेरी मुहब्बतों से मुनव्वर किया दयार
आलम फ़रोज़ शम्स को आराम हो गया
मौलिक व अप्रकाशित
Added by शिज्जु "शकूर" on March 29, 2015 at 8:30am — 13 Comments
22/22/22/22 (सभी संभव कॉम्बीनेशंस)
यादो के जब पहलू निकले
जंगल जंगल आहू निकले. आहू-हिरण
.
काजल रात घटाएँ गेसू
उसके काले जादू निकले.
.
जज़्बातों को रोक रखा था
देख तुझे, बे-काबू निकले.
.
चाँद मेरी पलकों से फिसला
आँखों से जब आँसू निकले.
.
तेरे ग़म में जब भी डूबा,
मयखानों के टापू निकले.
.
भीग गया धरती का आँचल
अब मिट्टी से ख़ुशबू…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 29, 2015 at 8:30am — 22 Comments
2122—1122—1122—22
रूठ मत जाना कभी दीन दयाला मुझसे
रखना रघुनाथ हमेशा यही नाता मुझसे
हर मनोरथ हुआ है सिद्ध कृपा से तेरी
तू न होता तो हर इक काम बिगड़ता मुझसे
नाव तुमने लगा दी पार वगरना रघुवर
इस भँवर में था बड़ी दूर किनारा मुझसे
जैसे शबरी से अहिल्या से निभाया राघव
भक्तवत्सल सदा यूँ प्रेम निभाना मुझसे
एक विश्वास तुम्हारा है मुझे रघुनंदन
दूर जाना न कोई करके बहाना मुझसे
जानकी नाथ…
ContinueAdded by khursheed khairadi on March 28, 2015 at 11:16pm — 9 Comments
कहें भी तो कहें किससे जला दिल वो दिखाता है
मिला कर जाम में आँसू मुझे हरदम पिलाता है
मिटाने को अगर तुम गम चले हो जाम पीने तो
न पीना तुम कभी इसको बहुत ये दिल जलाता है
न मैखाना कभी देखे समझ लो कुछ न देखे तुम
निराली है अदा इसकी गज़ल गूगॉं सुनाता है
बड़ी बेकार दुनिया है नहीं है प्यार अब इसमें
बिना मतलब यहाँ कोई न हाथो को बढ़ाता है
न रखनी है मुझे यारी कभी धीरज से मानव अब
जिसे मैं प्यार करता हूँ उसे…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on March 28, 2015 at 7:23pm — 5 Comments
“कार से एक लड़की उतरी और बस स्टैंड की तरफ बढ़ी, एक बुजुर्ग से बोली, अंकल ये ‘मौर्या शेरेटन’ जाने का रास्ता किधर से है, बेटा आगे से जाकर दायें हाथ पर मुड़ जाना, जी शुक्रिया, तभी उसके कानों में एक मधुर संगीत गूँज उठा, “ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आँखे इन्हे देखकर जी रहे हैं सभी....! “
“उसने पलट कर देखा, रंगीन चश्मा लगाए हुए एक लड़का गा रहा था, बस देखते ही लड़की का पारा गर्म हो गया और तभी उसने उसे एक झापड़ दे मारा, ये ले!”
“बस इतना देखते ही वहाँ खड़े लोग उस पर टूट पड़े और चप्पल, लात,…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on March 28, 2015 at 3:12pm — 8 Comments
निशा की गहराती निद्रा में ,
गूँजा था जब ‘ माँ ‘ का स्वर |
चहुँ दिशाओं में देखा मैंने ,
न पाया कोई , अंदर बाहर न अम्बर ||
बोली वो पुन: आर्द्र स्वर में ,
माँ मैं तेरी अजन्मी बेटी |
तेरे अंतर्मन की व्यथित दशा ,
पलभर को भी न सोने देती ||
तेरे अश्रु की अविश्रांत धारा ,
जता रही घटना सारी |
कल होगा मेरा दुर्दांत अंत ,
भ्रूण हत्या की है तैयारी ||
जीवन के अंकुर…
ContinueAdded by ANJU MISHRA on March 28, 2015 at 12:35pm — 7 Comments
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