आपकी याद आई खुशी दे गयी।
होंठ में इक मधुर सी हँसी दे गयी।।
जाम हाथों मे हमने न थामा कभी।
आज तेरी छुअन बेखुदी दे गयी।।
//मौलिक व अप्रकाशित//
Added by Devendra Pandey on November 6, 2017 at 2:30pm — 6 Comments
Added by Rahila on November 6, 2017 at 2:00pm — 17 Comments
आँसुओं-सिंची आस्था
हर धूल भरी पगडण्डी पर अब मानो
फैले हैं पूर्तिहीन स्वप्नों के श्मशान
अकुलाते अनुभवों के कांटेदार गहन सत्य
तकलीफ़ भरे गड्ढों में चिन्ता की छायाएँ
रहस्यात्मक अहातों के उस पार
अन्धकार-विवरों में होगी यकीनन
अनबूझे सपनों की अनबूझी बेचैनी
लौट आएँगी अनायास असंतोष भरी
स्वाभाविक हमारी पुरानी वेदनाएँ
इस पर भी अनजाने-अनपहचाने, प्रिय
न जाने किस-किस आकाशीय मार्ग से
चली आती हैं…
ContinueAdded by vijay nikore on November 6, 2017 at 1:43pm — 21 Comments
2 122 122 122 2
नफरतों को छुपाना नहीं सीखे।
दिल किसी का दुखाना नहीं सीखे।
चेहरे पे शिकन आज भी है पर।
दर्द किसी को बताना नहीं सीखे।
जख्म छुपाते रहे हम जमाने से ।
आंख से अश्क गिराना नहीं सीखे।
चोट इश्क में कई बार खाई पर।
प्यार में हम गिराना नहीं सीखे।
बेवफा तुम भले ही बदल जाओ।
इश्क में यूँ बदलना हम नहीं सीखे।
मौलिक और अप्रकाशित
मनोज यादव
Added by manoj kumar yadav on November 6, 2017 at 11:00am — 3 Comments
जैसे चमन को फूल कली ताज़गी मिले-
वैसे ही जिंदगी तुम्हें महकी हुई मिले
-
ये है दुआ तुम्हारा मुकद्दर बुलंद …
Added by SALIM RAZA REWA on November 6, 2017 at 11:00am — 8 Comments
काफिया : आला . रदीफ़ : है
बह्र : २१२ १२२२ २१२ १२२२
हाथ में वही अंगूरी सुरा,पियाला है
रहनुमा का’ मन काला, शक्ल पर उजाला है |
छीन ली गई है आजीविका, दिवाला है
ढूंढ़ते रहे हैं सब, स्रोत को खँगाला है ||
आसमान पर जुगनू, चाँद सूर्य धरती पर
धर्म कर्म सब कुछ, भगवान का निराला है |
सब गड़े हुए मुर्दों को, उखाड़ते नेता
अब चुनाव क्या आया, भूत को उछाला है |
राज नीति में रिश्तेदार ही, अहम है सब
वो…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on November 6, 2017 at 7:30am — 2 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 5, 2017 at 10:35pm — 6 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 5, 2017 at 10:00pm — 10 Comments
Added by Gajendra shrotriya on November 5, 2017 at 7:00pm — 20 Comments
उनकी यादों की ....
ये
कैसे उजाले हैं
रात
कब की गुजर चुकी
दूर तलक
आँखों की
स्याही बिखेरते
तूफ़ां से भरे
आरिज़ों पर ठहरे
ये
कैसे नाले हैं
शब् के समर
आँखों में ठहरे हैं
लबों की कफ़स में
कसमसाते
संग तुम्हारे जज़्बातों के
लिपटे
कुछ अल्फ़ाज़
हमारे हैं
हर शिकन
चादर की
करवटों की ज़ुबानी है
जुदा होकर भी
अब तलक
ज़िंदा हैं हम
ख़ुदा कसम
ये…
Added by Sushil Sarna on November 4, 2017 at 8:30pm — 10 Comments
Added by Hariom Shrivastava on November 4, 2017 at 12:21pm — 6 Comments
Added by Gurpreet Singh jammu on November 4, 2017 at 11:30am — 12 Comments
Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 3, 2017 at 10:39pm — 14 Comments
Added by Mohammed Arif on November 3, 2017 at 10:10pm — 15 Comments
Added by Hariom Shrivastava on November 3, 2017 at 3:23pm — 10 Comments
गीत - मुखड़ा -
करे तमस को दूर दीप ही, दूर भागता अँधियारा |
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ||
सूर्य किरण उठ भोर झाँकती, नित्य सदा ही खिड़की से
दीन करे विश्राम डरे बिन, सदा मेघ की घुड़की से ।।
दीन-हीन के द्वार जहाँ भी, घिरने लगता अँधियारा
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ।
दीप जलाएं द्वारें जाकर, छँटे दीन का अन्धेरा ।
सबको दे उजियार दीप ही,पर खुद का नही सवेरा ।।
दुख दर्दों की मार झेलता, दीन हीन सा…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2017 at 2:00pm — 9 Comments
Added by Manan Kumar singh on November 3, 2017 at 10:13am — 10 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 2, 2017 at 6:00pm — 28 Comments
Added by Gurpreet Singh jammu on November 2, 2017 at 1:30pm — 9 Comments
मात-पिता पर स्वतंत्र दोहे :
मात-पिता का जो करें, सच्चे मन से मान।
उनके जीवन का करें , ईश सदा उत्थान !!1!!
जीवन में मिलती नहीं ,मात-पिता सी छाँव।
सुधा समझ पी लीजिये , धो कर उनके पाँव!!2!!
मात-पिता का प्यार तो,होता है अनमोल।
उनकी ममता का कभी, नहीं लगाना मोल !!3!!
बच्चों में बसते सदा, मात पिता के प्राण।
बिन उनके आशीष के, कभी न हो कल्याण!!4!!
सुशील…
Added by Sushil Sarna on November 2, 2017 at 12:30pm — 11 Comments
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