Added by रामबली गुप्ता on July 4, 2017 at 11:30am — 21 Comments
Added by Samar kabeer on July 4, 2017 at 12:07am — 39 Comments
तुम्हारे हृदय में ...
ये
समय ठहरा था
या कोई स्मृति
वाचाल बन
मेरी शेष श्वासों के साथ
चन्दन वन की गंघ सी
मुझे
कुछ पल और
जीवित रखने का
उपक्रम कर रही थी
ये
समय का कौन सा पहर था
मैं पूर्णतयः अनभिज्ञ था
अपनी क्लांत दृष्टि से
धुंधली होती छवियों में
स्वयं को समाहित कर
अपने अंत को
कुछ पल और
जीवित रखने का
असफ़ल
प्रयास कर रहा था
शायद किसी के
इंतज़ार में
तुम…
ContinueAdded by Sushil Sarna on July 3, 2017 at 6:00pm — 8 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on July 3, 2017 at 10:39am — 6 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on July 3, 2017 at 10:12am — 12 Comments
१.
अर्थहीन प्रश्नों के
चकरदार अर्थ
अर्थहीन न तो क्या होंगे
घेर लेते हैं मुझको
छेड़ी हुई मधुमक्खियों की तरह
अब मुंद जाने दो आँखें
बन्द कर दो किवाड़
-----
२.
कोमल पत्तों पर अटकी
प्रांजल बूँदें ...
अपनी ही गढ़ी हुई
वेदना का विस्तार
शायद ... तुम ...
मन के गहरे में कुछ
पल्लवित होना चाहता है
-----
३.
कभी ऐसा भी तो होता…
ContinueAdded by vijay nikore on July 3, 2017 at 8:29am — 14 Comments
Added by Mohammed Arif on July 2, 2017 at 11:00pm — 10 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 2, 2017 at 11:00pm — 6 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on July 2, 2017 at 4:15pm — 8 Comments
Added by Hariom Shrivastava on July 2, 2017 at 12:30am — 5 Comments
घर के बाहर ही जब उसने अपने चचेरे भाई रग्घू को देखा तो उसका माथा ठनका| आज यह घर क्यों आया था, जरूर कुछ गड़बड़ होगी, वर्ना पिताजी को गुजरे इतने साल हो गए, कभी हाल पूछने भी नहीं आया था| उसकी मुस्कराहट को नजरअंदाज करते हुए वह भागती हुई घर में घुसी|
"माँ, माँ, कहाँ है तू", सामने माँ नजर नहीं आयी तो वह बेचैन हो गयी| जल्दी से उसने पिछले कमरे में प्रवेश किया तो माँ को खाट पर बैठे पाया|
"तू यहाँ बैठी है और जवाब भी नहीं दे रही है, मैं तो घबरा गयी थी| आज रग्घू क्यों आया था घर, तूने तो नहीं…
Added by विनय कुमार on July 2, 2017 at 12:30am — 4 Comments
Added by Manan Kumar singh on July 1, 2017 at 9:29pm — 12 Comments
‘कहो बिरजू कैसे आये ? वह भी सवेरे-सवेरे’
बिरजू रैदास हमारे यहाँ हलवाही का कार्य करते थे. खेती के नए उपकरण आ जाने और उम बढ़ जाने से उन्होंने अब यह कार्य छोड़ दिया था.
‘मलकिन, बिटिया की शादी तय कर दी है. अब आप से कुछ मदद होइ जाय ?’
‘अच्छा तो दिविया इतनी बड़ी हो गयी , जरूर-जरूर हमारी भी तो बेटी ही है’ –मैंने सकुचाते हुए उसे तीस ह्जार का चेक दिया.
‘जुग-जुग जियो मलकिन. बिटिया तरक्की करे‘ -वह आशीर्वाद देकर चला…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2017 at 12:00pm — 8 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on June 30, 2017 at 11:38pm — 1 Comment
Added by दिनेश कुमार on June 30, 2017 at 8:08pm — 6 Comments
२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ |
भाई बैरी से मिलके भाई को मार डाले | |
जिस ने नाजों से पाला उसको ही जार डाले | |
अनबन गर कभी हो जाये बोले ना भाई से , |
जलता है दिल में जैसे… |
Added by Shyam Narain Verma on June 30, 2017 at 6:14pm — 3 Comments
21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष.....
प्रतिदिन योग करे जो कोई,
वो रोगों से दूर रहे,
तन मन में स्फूर्ती आये ,
चेहरे पेे चमकता नूर रहे,
जो सुबह सुबह भस्त्रिका करे,
और शुद्ध वायु तन मन में भरे,
जो करे नित्य प्रति शशकासन,
उत्साह से वो भरपूर रहे,
अनुलोम विलोम , कपालभाति,
सुखमय जीवन की थाती है,
ना उदर रोग ना तन मन में,
कोई पीड़ा रह पाती है,
रह खाली पेट करें योगा ,
बस इतना ध्यान जरूर रहे.
हो नाम देश का ऊँचा…
Added by Ajay Kumar Sharma on June 28, 2017 at 9:30pm — 2 Comments
सुंदर चितवन उर बसे ,सुंदर सुंदर नैन ।
मृगनैनी को देखकर खोया खोया चैन ।।
अलक छटा बिखरी हुई यौवन पर मधुमास ।
मेघ तृप्त करने चला शुष्क धरा की प्यास ।।
श्वास श्वास में दीर्घता ,अग्नि हुई उच्छ्वास ।
दहकी सारी देह है ,प्रियतम तेरे पास ।।
ज्वाला मुखरित जब हुई,प्रणय बना उन्माद ।
प्रिय के स्वर करते गए,जीवन भर अनुनाद ।।
प्रियतम का है आगमन ,मन में हाहाकार ।
दर्पण पर होने लगी ,प्रश्नों की बौछार ।।
क्षण प्रतिक्षण वह…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 28, 2017 at 4:00pm — 6 Comments
ईद का तोहफ़ा – लघुकथा –
"चलो ना बाबा, देर हो रही है। मेरा दोस्त इंतज़ार कर रहा होगा, उसके लिये तोहफ़ा भी लेना है"
रघु के छह साल के नाती ने जैसे ही रघु के सामने अपने दोस्त के घर ईद की बधाई देने जाने की ज़िद की तो उसके सामने पचास साल पहले की वह घटना चलचित्र की तरह घूम गयी।
रघु उस समय छटी कक्षा में था। असलम भी उसी के साथ पढ़ता था। उस दिन ईद के कारण स्कूल की छुट्टी थी। शाम को सब बच्चे खेल रहे थे कि तभी इंदर ने सुझाव दिया कि चलो असलम को ईद की बधाई देकर आते हैं। सब इकट्ठे होकर…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on June 28, 2017 at 11:15am — 14 Comments
Added by Hariom Shrivastava on June 27, 2017 at 11:44pm — 10 Comments
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