2122/ 2122/ 2122/ 212
बह गये तूफान में वो जा किनारे से लगे
लड़ने वाले ही मगर सब बेसहारे से लगे
हार के बाहर हुये वो चैन की अब साँस लें
जीतने की जो कहें मुझको वो हारे से लगे
बारहा मेरे करीब आकर ठहर जाते हैं यूँ
ये हवादिस मेरी किस्मत के इशारे से लगे
लुट गया सामां सफर में हर मुसाफिर का यहाँ
लोग भी बेआस बेबस गम के मारे से लगे
कागज़ों पर है नुमायाँ हाले दिल मेरा “शकूर”
राख से कुछ हर्फ़ कुछ…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on April 12, 2015 at 10:16pm — 30 Comments
अभी तुम्हारे दिल में
भीड बहुत है
काफी शोर-शराबा है
नशा -ए -दौलत का
अदा-ए-हुस्न का
जोश-ए-जवानी का
आना जाना भी बहुत है
दिल फेंक प्रेमियों का
अभी तुम भी परेशान हो
सोच-सोचकर
किसको दिल में रखूँ
किसे नहीं
..
मगर
जब ये भीड छट जाये
दिल हो जाये
खाली खाली
उस वक्त मुझे कहना
अपने दिल में रहने को
मैं रहुंगा तुम्हारे दिल में
क्योंकि
मुझे अकेलापन
बहुत पसन्द है
उमेश कटारा…
Added by umesh katara on April 12, 2015 at 2:30pm — 14 Comments
इक दिन बिकने लग जाएँगे बादल-वादल सब
दरिया-वरिया, पर्वत-सर्वत, जंगल-वंगल सब
पूँजी के नौकर भर हैं ये होटल-वोटल सब
फ़ैशन-वैशन, फ़िल्में-विल्में, चैनल-वैनल सब
महलों की चमचागीरी में जुटे रहें हरदम
डीयम-वीयम, यसपी-वसपी, जनरल-वनरल सब
समय हमारा खाकर मोटे होते जाएँगे
ब्लॉगर-व्लॉगर, याहू-वाहू, गूगल-वूगल सब
कंकरीट का राक्षस धीरे धीरे खाएगा
बंजर-वंजर, पोखर-वोखर, दलदल-वलदल सब
जो न बिकेंगे…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:19pm — 18 Comments
Added by shree suneel on April 12, 2015 at 11:27am — 18 Comments
१२२ १२२
भलाई किये जा
बुराई लिये जा
उन्हें बाँट अमृत
जहर खुद पिये जा
तेरे पास जो है
दिये जा दिये जा
उन्हें तू उठा दे
मगर खुद निये जा
जवानी लुटा दे
बुढ़ापा सिये जा
जमाना ख़रा है
भरोसा किये जा
यही जिन्दगी है
जिये जा जिये जा
-------(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Added by rajesh kumari on April 12, 2015 at 11:09am — 26 Comments
जनाजा जब उठे मेरा जरा तुम मुस्कुरा देना
दिये थे फूल जो तुमको जनाजे पे चढ़ा देना
गिराओ अश्क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो
चलो जब लाल जोड़े में इन्हें तब तुम बहा देना
वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो
न आये चैन मर कर भी मुझे वो बद्दुआ देना
गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया
न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना
समझ लो प्यार में तुम से यही चाहत बची मेरी
कभी तुम…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 11:00am — 13 Comments
Added by Samar kabeer on April 12, 2015 at 10:52am — 16 Comments
गजल/गीतिका (12/04/2015)
अश्क इधर अपने रुख़्सार आया है,
तब उधर प्यार पर एतबार आया है।
तू सिसकता रहा,लमहे गये कितने,
एक कहाँ,दफा हजार बार आया है।
आह भरती चुप उसने मिलायी नजर
ऐसी ही उसकी अदा प्यार आया है।
तू दफा कई था आशियाँ उसके गया,
उसे लगा कोई कसूरवार आया है।
भूल सब रंजोगम,बस जगायेआरजू,
उसके दर आज गुनहगार आया है।
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन
Added by Manan Kumar singh on April 12, 2015 at 10:46am — 6 Comments
कल उपार्जन केंद्र पर रामदीन को अपने नमीरहित शुष्क चमकदार गेहूं को बेचने जाना है. अचानक बे-मौसम घिर आये बादलों को देख, रामदीन अपने आँगन में पड़े अनाज को अपनी पत्नी और छोटे-छोटे बच्चों की मदद से घर में भरने को जुट गया..
उधर उपार्जन केंद्र पर किसानों से ही खरीदा हजारों क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा हुआ है. जिला प्रशासनिक अधिकारी ने चिंता जताते हुए समिति अध्यक्ष को फोन पर जानकारी लेते हुए पूछा..
“ उपज पर बारिश न हो, इसकी कैसी क्या व्यवस्था है..? अगर बारिश होती है तो अधिक से…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on April 12, 2015 at 10:38am — 16 Comments
212---1222---212---1222 |
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झूठ भी नहीं कहते, सत्य भी नहीं कहते |
दो नयन तुम्हारे पर, मौन भी नहीं रहते |
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प्रीत का कहो कैसे, आप सुख उठाएंगे… |
Added by मिथिलेश वामनकर on April 12, 2015 at 10:30am — 14 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on April 12, 2015 at 10:11am — 10 Comments
क्या ये मेरा वही गाँव है
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क्या ये मेरा वही गाँव है
सूरज अलसाया निकला है
मुर्गा बांग नहीं देता है
नहीं यहाँ चिड़ियों की चीं चीं
ना कौवे की काँव काँव है
क्या ये मेरा वही गाँव है
दो पहरी सोई सोई है
दिवा स्वप्न में कुछ खोई है
यहाँ धूल में सनी…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 12, 2015 at 9:32am — 22 Comments
नवगीत
मन थोड़ा भटका हुआ है!
सपने टूटे,दिल भी टूटा,
रातें रूठीं,दिन भी रूठा,
उम्मीदों का चाँद झाड़ पर
देखो ना अटका हुआ है!
मन थोड़ा भटका हुआ है!
नयन-गगन में नजर गड़ी,
कैसी फिजा पल्ले पड़ी,
सूख चले अब जलद-नयन,
मानस में खटका हुआ है!
मन थोड़ा भटका हुआ है!!
उठती-सी लहरें उमंगित,
उर-अर्णव कितना तरंगित,
पूरी पूनम थी कल की रात,
प्रात हुआ, झटका हुआ है!
मन थोड़ा भटका हुआ है!!!
@मनन
Added by Manan Kumar singh on April 11, 2015 at 10:30pm — 4 Comments
पल में शोहरत गर पानी है,बात अनर्गल बोलो तुम !
ताजमहल से शिव-मंदिर के कारिडोर को खोलो तुम !!
धर्म का सारा सोया सिस्टम,यूँ पल में जग जाएगा !
हर पेपर-हर चैनल में तेरा बयान ही आयेगा !!
खुली-बहस होगी तब सब जन अपना पक्ष सुनायेंगें !
कोई यमन औ जयवंती कुछ राग भैरवी गाएंगें !!
संसद की चौपाल पे फिर तेरा बयान छा जाएगा !
खो जायेंगें मुद्दे सारे - ताजमहल लहराएगा !!
मुद्दे की गर बात कही तो, खुद को हाशिये पर पाओगे !
दो कौड़ी की…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 11, 2015 at 4:00pm — 4 Comments
२१२२ २१२२ २१२
हुस्न का जादू जहाँ चल जायेगा
रिन्दों का दिल भी बहाँ जल जायेगा
जुल्फों को अपनी बिखेरेंगे वो जब
उस घड़ी ये तय है दिन ढल जायेगा
आ गए वो मौत से पहले मेरी
वक़्त मेरी मौत का टल जायेगा
हुस्न की मुझ पे इनायत हो गयी
ये रकीबों को मेरे खल जायेगा
उनसे मिलते वक़्त ये सोचा नहीं
दिल में पौदा प्यार का पल जायेगा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 11, 2015 at 10:30am — 3 Comments
अर्चक,
अर्चना करता है !
अर्धांगिनी से,
अराग होकर !
अल्लाह,
दे दे अवकाश मुझे,
इस अवदशा से !
अवर्ण्य हैं,
इनके…
ContinueAdded by rajkumarahuja on April 10, 2015 at 6:30pm — 7 Comments
जीवन का आधार प्रीत है ...........
जीवन का आधार प्रीत है
स्वप्न का श्रृंगार प्रीत है
जलते रहना दीप लौ पर
शलभ की निस्वार्थ प्रीत है
विरह में बरसात की बूंदें
सावन का रूठा संगीत है
लहरों पे वो छवि मयंक की
नयन बिम्ब की तरल प्रीत है
मधुर पलों का मौन समर्पण
अधरों पर अधरों की जीत है
भुजबंधन का तरुण स्पन्दन
आसक्त पलों की मधुर प्रीत है
आवारापन वो तिमिर-केश का
मधुप…
Added by Sushil Sarna on April 10, 2015 at 1:51pm — 8 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मेरी पलकें नम हुईं ज्यों आपको क्या हो गया
मेरा तो हर ख्वाब टूटा क्या तुम्हारा खो गया
शख्स जो कहता था मुझसे राह अब उसकी जुदा है
देख कर मुझको नशे में, बालकों सा रो…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 10, 2015 at 11:00am — 9 Comments
"ए रांड....." - परीक्षा देकर निकलते ही ऊँची आवाज में सीसा घोलती गाली वर्षा के कानों में पड़ी.. मुड़कर देखा तो संतोष सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुवे अपने मित्रों के साथ उसकी तरफ देख कर ठहाके लगा रहा था. वही जिसके प्यार को पिछले साल ठुकरा दिया था.. अपमान के एहसास से आँखों में आंसू आ गए .. पर वह चुपचाप वहां से चल दी.. क्या कहती ?
घर पहुँच कर देखा .. मुन्नी सो रही थी
"वर्षा कल का पेपर कैसे देगी.. कोर्ट की तारीख आगे बढ़वा लेती" माँ रसोई से आते आते बोली
"माँ…
ContinueAdded by Nidhi Agrawal on April 10, 2015 at 9:30am — 8 Comments
मौसम नेअभी जलवे दिखलाने हज़ारों हैं
साहिल से अभी तूफां टकराने हज़ारों हैं
इस उम्र में भी मरता है तुमपे कोई मुझसा
कहते थे कभी हमसे दीवाने हज़ारों हैं
मैंने हैं सजा रक्खे सब दिल में करीने से
जो ग़म के दिये तुमने नज़राने हज़ारों हैं
इस शहर मे भी तेरे हमदर्द तो हैं अपने
अपने तो हैं कम लेकिन बेगाने हज़ारों हैं
कितने हैं…
Added by charanjit chandwal `chandan' on April 10, 2015 at 8:30am — 1 Comment
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