मृत्यु...
जीवन का वह सत्य
जो सदियों से अटल है
शिला से कहीं अधिक।
मृत्यु पूर्व...
मनुष्य बद होता है
बदनाम होता है
बुरी लगती हैं उसकी बातें
बुरा उसका व्यवहार होता है।
मृत्यु पूर्व...
जीवन होता है
शायद जीवन
नारकीय
यातनीय
उलाहनीय
अवहेलनीय।
मृत्यु पूर्व...
मनुष्य, मनुष्य नहीं होता
हैवान होता है
हैवान, जो हैवानियत की सारी हदें
पार कर देना चाहता…
ContinueAdded by Mahendra Kumar on October 22, 2017 at 9:33am — 18 Comments
Added by Mohammed Arif on October 22, 2017 at 7:02am — 26 Comments
कौन किस वक्त क़ौल से अपने
हट के फिर जायेगा भरोसा क्या ?
कब ये आकाश टूटकर मेरे
सर पे गिर जायेगा भरोसा क्या ?
दोस्ती को निबाहने वाले
हों तो इतिहास में ही जिन्दा हों
आज के दौर का कोई बन्दा
कब मुकर जायेगा भरोसा क्या ?
प्यार की बात, साथ जन्मों का
बोलना तो सरल मगर प्यारे
प्यार का फूल किस घटी,किस पल
झर बिखर जायेगा भरोसा क्या ?
चंद जुमले उछाल कर तुम तो
अपने मित्रों के सर ही चढ़ बैठे
याद रखियेगा,…
Added by नन्दकिशोर दुबे on October 20, 2017 at 9:00pm — 6 Comments
Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 20, 2017 at 7:50pm — 27 Comments
Added by Manan Kumar singh on October 20, 2017 at 6:59pm — 13 Comments
(फेलुन -फइलुन -फेलुन -फेलुन -फेलुन -फइलुन -फेलुन -फेलुन )
लल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
छल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
ज़ालिमकेमुक़ाबिल लब यारों मैं खोलभीदूँगाअपने मगर
बल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
लम्हे जो गुज़ारे उल्फ़त में मुश्किल से मैं उनको भूला हूँ
पल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
तूफ़ां से बचा कर कश्ती को लाया तो हूँ साहिल पर लेकिन
जल का न करे कोई…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 6:00pm — 6 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 11:21am — 11 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 20, 2017 at 11:00am — 9 Comments
मफऊल -फ़ाइलात -मफाईल -फाइलुन
दिल में चरागे इश्क़ तो पहले जलाइए |
नफ़रत मिटा के दीपावली फिर मनाइए |
तहवार भाई चारे का अहले वतन है यह
लग कर गले से रस्मे महब्बत निभाइए|
होने लगीं हवाएँ भी ज़हरीली दोस्तों
आतिश फशाँ पटाखे न घर में चलाइए |
करवा के बंद हर तरफ होता हुआ जुआ
रुसवाइयों से दीपावली को बचाइए |
फरहत ही जिस ग़रीब की मंहगाई खा गई
कैसे मनाए दीपावली वो बताइए…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 9:00am — 6 Comments
मुफ्तइलुन मुफाइलुन // मुफ्तइलुन मुफाइलुन
2112 1212 // 2112 1212
क्या करें और क्यों करें, करके भी फायदा नहीं
दिल में जो दर्द है तो है, लब पे कोई गिला नहीं
उसके कहे से हो गये, लाखों के घर तबाह पर
उसने कहा कि उसने तो, कुछ भी कभी कहा नहीं
सच तो हमेशा राज था, सच था हमेशा सामने
सच तो सभी के पास था, ढूंढे से पर मिला नहीं
दोनों के दोनों चुप थे पर, गहरे में कोई शोर था
दोनों ने ही…
ContinueAdded by Ajay Tiwari on October 20, 2017 at 7:47am — 23 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 19, 2017 at 10:00pm — 2 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on October 19, 2017 at 2:40pm — 8 Comments
सभी पंक्तियों का मात्रा भार
2122 2122 2122 212 के क्रम में
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर
वेदना में याचना के
शब्द गीले हो गए
यातना के काफिलों से
पथ सजीले हो गए
आँसुओं की बेबसी में
दर्द की मनुहार पर
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर
आदमी में आदमी सा
क्या बचा है सोचिये?
पीर क्या है मुफलिसों की?
ये कभी तो पूछिये
हो रही फाकाकशी हर
तीज पर त्यौहार पर
गीत क्रंदन कर उठे…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 19, 2017 at 1:00pm — 16 Comments
Added by Manan Kumar singh on October 19, 2017 at 12:11pm — 8 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 19, 2017 at 9:42am — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 5:00am — 13 Comments
1222 1222 1222 1222
.....
वतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ .
अमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ …
Added by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 12:30am — 29 Comments
आया फिर से सन्निकट दीप-पर्व अभिराम
बागी की शुभकामना सबके लिए प्रकाम
सबके लिय प्रकाम हर्ष वैभव हो भारी
अवध पधारे राम कहें राजेश कुमारी
कहते है गोपाल चतुर्दिक सौरभ छाया
नभ का तारक–माल उतर धरती पर आया
प्राची के मन में भरा है गहरा संताप
शरद--इंदु जी किसलिए है इतने चुपचाप
है इतने चुपचाप निशा तमसावृत काली
दूर् किये सब पाप मना हमने दीवाली
कहते है गोपाल बात शत-प्रतिशत साची
निज को रही संभाल प्रतीक्षारत है…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 18, 2017 at 10:30pm — 14 Comments
माँ के निकाले हुए पुराने बर्तन बेचकर दीपावली त्योहार के लिए जरूरी सामान की सूची अनुसार पिताजी बाजार से पूजा का सामान, छोटे-छोटे पाँच फल, दो गन्ने, पाँव लड्डू-जलेबी, फूले-पतासे, लक्ष्मी जी का पाना, और रुई लाकर सामान माँ को देते हुए पूछा 21 की जगह 11 दीपक ही ले आता हूँ । इस पर माँ बोली -"मेरे पीहर के गांव कुंडा से कुम्हार आया था जो कल मना करने पर भी 21 दीपक रख गया है और पूछने पर भी रुपये नही बताये । अब उसे रुपये भाई-दूज के बाद दे आऊंगी । इस बार तो 21 दीपक ही…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2017 at 6:28pm — 18 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on October 18, 2017 at 4:33pm — 9 Comments
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