मिटाने फासले तुझको अगर हैं गुफ़्तगू कर ले
सियेगा ज़ख्म कोई सोच मत ख़ुद ही रफ़ू कर ले
**
मुक़ाबिल ख़ौफ़-ए-ग़म होजा अगर पीछा छुड़ाना है
ग़मों से भाग मत इक बार तू रुख़ रूबरू कर ले
**
नहीं महफ़ूज़ गुलशन में कली कच्ची अभी तक भी
बचा है कौन अब उसकी जो फ़िक्र-ए-आबरू कर ले
**
कोई तो दर्द है दिल में लबों पर आ नहीं पाता …
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 26, 2019 at 5:30pm — 2 Comments
उजड़ गई क्यों प्यार की महफिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
मैं सच्चा था या था बुजदिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
दिल का टूटना जिसे कहा था वह दुनिया का खेल था इक
अब आकर जो टूटा है दिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
सीधा रस्ता मान रहे थे जिसको हम वो उलझन थी
खुद अपने सपनों के कातिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
इक दिन मर जाना है सबको दिल में बैठ गई ये बात
कैसा रिश्ता कैसे मंजिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
नैतिकता अपराध बन गई अधिकारों की धरती…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 25, 2019 at 10:26pm — 3 Comments
2122 2122 2122 212
लड़खड़ाती साँस डगमग आस व्याकुल मन सदा
हर नफ़र इस शह्र का कुछ इस तरह बस जी रहा
अनगिनत सपने सजा कर, चाहते निंदिया नयन
रात भर बेचैनियों की, है ग़ज़ब देखो प्रथा
पत्थर-ओ-फ़ौलाद की दीवारें मुझ को चुभ रहीं
आप यदि अपने महल में खुश हैं फिर तो वाह वा
सृष्टि की हर एक रचना का अलग इक सत्य है
कैसे लिख दूँ एक है व्यवहार जल औ आग का
फूल की डाली कली से फुसफुसा कर कह गई
ओढ़ ले काँटे सुरक्षा का यही है…
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 25, 2019 at 4:00pm — 4 Comments
बहर :- 2122-2122-2122-212
ख्याल लफ्जों से उतरकर शाइरी हो जाएगा ।।
शेर लब से लब टहलकर कागजी हो जायेगा।।
अब्र से शबभर गिरेंगी ओश की बूंदें मगर ।
दिन ही चढ़ते ये समां इक मस्खरी हो जाएगा।।
हाँ खुमार -ए-इश्क है बातें तो होगी रात दिन ।
जब भी उतरेगा ये सर से मयकशी हो जाएगा।।
उसके हक़ में है सियासत देखना तुम एक दिन।
जाने वो बोलेगा क्या क्या औऱ बरी हो जायेगा।।
दर्द-ओ-गम शुहरत मुहब्बत सब मिलेगा इश्क में ।
इश्क…
Added by amod shrivastav (bindouri) on July 25, 2019 at 3:10pm — 3 Comments
प्रीत भरे दोहे .....
अगर न आये पास वो, बढ़ जाती है प्यास।
पल में बनता प्रीत का , सावन फिर आभासll
छोड़ो भी अब रूठना , सावन रुत में तात।
बार बार आती नहीं ,भीगी भीगी रात।।
नैन नैन को दे गए , गुपचुप कुछ सन्देश।
अन्धकार में देह से , हुआ अनावृत वेश। ।।
यौवन की नादानियाँ , सावन के उन्माद।
अंतस के संवाद का ,अधर करें अनुवाद।।
याचक दिल की याचना , दिल ने की स्वीकार।
बंद नयन में हो गया , अधरों का…
Added by Sushil Sarna on July 24, 2019 at 2:30pm — 3 Comments
1222 1222 1222 1222
बुलन्दी मेरे जज़्बे की ये देखेगा ज़माना भी
फ़लक के सहन में होगा मेरा इक आशियाना भी
.
अकेले इन बहारों का नहीं लुत्फ़-ओ-करम साहिब
करम फ़रमाँ है मुझ पर कुछ मिजाज़-ए-आशिक़ाना भी
.
जहाँ से कर गए हिजरत मोहब्बत के सभी जुगनू
वहां पे छोड़ देती हैं ये खुशियाँ आना जाना भी
.
बहुत अर्से से देखा ही नहीं है रक़्स चिड़ियों का
कहीं पेड़ों पे भी मिलता नहीं वो आशियाना भी
.
हमारे शेर महकेंगे किसी दिन उसकी रहमत से
हमारे साथ…
Added by SALIM RAZA REWA on July 23, 2019 at 9:30pm — 1 Comment
Added by Usha Awasthi on July 23, 2019 at 8:30pm — 4 Comments
- "कुण्डलिया छंद"-
=========================
तेरा मुखड़ा चाँद सा, उतर न जाए यान।
गंजा पति कहने लगा, बचना मेरी जान।।
बचना मेरी जान,दक्षिणी ध्रुव पर खतरा।
चिंता की है बात, उमरिया तेरी सतरा।।
एक जगह दो चाँद, एक तेरा इक मेरा।
मेरे सिर का एक, दूसरा मुखड़ा तेरा।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
-हरिओम श्रीवास्तव-
Added by Hariom Shrivastava on July 23, 2019 at 3:30pm — 2 Comments
है ख़ाक काम किया तूने जिंदगी के लिए।
मुनीर जब किया दीया न रौशनी के लिए।
बताई जो मेरी माँ ने वही तो मैं भी कही,
अ़मल कहाँ हुआ बस बात शायरी के लिए।
फ़िराग कब मिली जब ये है जिंदगी झमेला,
नसीब कब हुआ वो चाँद आशिकी के लिए।
ख्याल ढूँढ रखा जो बता सकूँ मैं तुझे,
रखी ये चीज़ जो है खास आप ही के लिए।
ख़ता कभी न हो ऐसा कहाँ लिखा है बता,
तभी हुई है कहानी ये आदमी के लिए ।
फ़जा तलाश जहाँ में कहीं यहाँ या…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on July 23, 2019 at 12:00pm — 1 Comment
मदमस्त चलती हवाएं और कार में एफएम पर मल्हार सुनकर, पास बैठी मेरी सखी साथ में गाना गाने लगती है "सावन के झूलों ने मुझको बुलाया, मैं परदेशी घर वापस आया" गाते गाते उसका स्वर धीमा होता गया और फिर अचानक वो खामोश हो गयी, उसको खामोश देखकर मुझसे पूंछे बिना नही रहा गया। फिर वो पुरानी यादों में खोई हुई सी मुझसे कहती है कि कहाँ गुम हो गए सावन में पड़ने वाले झूले, एक समय था जब सावन माह के आरम्भ होते ही घर के आंगन में लगे पेड़ पर झूले पड़ जाते थे और किशोरिया गाने लगती थी..
कच्ची नीम की निबौरी, सावन…
Added by DR. HIRDESH CHAUDHARY on July 22, 2019 at 10:00pm — 1 Comment
बीच समंदर कश्ती छोड़े धोका गर मल्लाह करे
मंज़िल कैसे ढूंढोगे जब रहबर ही गुमराह करे
**
आज हुआ है इंसानों में प्यार मुहब्बत क्यों ग़ायब
घर घर की चर्चा है अपने अपनों से ही डाह करे
**
पानी मांग नहीं पाता है साँपों का काटा जैसे
ऐसा काम भयानक अक़्सर मज़्लूमों की आह करे
**
आज अक़ीदत और इबादत का जज़्बा गुम सा देखा
दिल में जब…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 22, 2019 at 8:00pm — 2 Comments
उर-विदारक उलझन
बर्फ़ीला एहसास
गूँजता-काँपता
एक सवाल
तुम्हा्रा स्नेह भरा संवेदित हृदय
सुनता तो हूँ उसमें नित्य नि:सन्देह
संगीत-सी तरंगित अपनी-सी धड़कन
फिर क्यूँ तुम्हारे आने के बाद
मन के तंग घेरों में लगातार
सिर उठाए ठहरा रहता है हवा में
आदतन एक ख़याल
एक अंगारी सवाल --
शीशे के गिलास का
हाथ से छूट जाना
तुम्हारे लिए
सामान्य तो नहीं है न ?
…
ContinueAdded by vijay nikore on July 22, 2019 at 7:08am — 4 Comments
मेरे मन की शांत नदी में अविरल बहती भाव लहर हो
मेरे गीतों से निस्सृत अक्षर-अक्षर का गुंजित स्वर हो
मैं तुलसी तुम मेरा आँगन, मैं श्वासों का अर्पित वंदन,
साथी-सखा-स्वप्न सब तुम ही, सच कह दूँ- मेरे ईश्वर हो !
आतुर आँखें आस लगाए राह निहारें लेकिन प्रियतम
साँझ ढले और तुम ना आओ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?
धुआँ-धुआँ बन कर खो जाओ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?
आँखों ही आँखों में दर्पण चीख़ उठेगा तुमको खोकर
एक हरारत होगी दिल में संग…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on July 21, 2019 at 6:56pm — 2 Comments
स्मृतियाँ आजकल
आए-गए अचानक
कांच के टुकड़ों-सी
बिखरी
चुभती
छोटी-से-छोटी घटना भी
हिलोर देती है हृदय-तल को
हँसी डूब जाती है
नई सृष्टि ...
नए संबंध आते हैं
पर अब दिन का प्रकाश
सहा नहीं जाता
सूर्योदय से पहले ही जैसे
हम बुला लेते हैं शाम
मंडराते रह जाते हैं पतंगों की तरह
प्यार के कुछ शब्द
धुंधले वातावरण में भीतर
नए प्यार के आकार की रेखाएँ
स्पष्ट नहीं…
ContinueAdded by vijay nikore on July 21, 2019 at 3:00pm — 2 Comments
तन्हाई में ...
होती है
बहुत ज़रूरत
तन्हाई में
तन्हा हाथ को
अपने से
एक हाथ की
बोलता रहे
जिसका स्पर्श
सदियों तक
अलसाई सी तन्हाई में
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on July 20, 2019 at 8:05pm — 6 Comments
एक गीत प्रीत का
===========
"मुहब्बत की नहीं मुझसे " , प्रिये ! तुम झूठ मत बोलो |
**
लता के सम लिपट जाना , नखों से पीठ खुजलाना |
अधर से चूम लेना मुख,नयन से कुछ कहा जाना |
कभी पहना दिया हमदम,गले में हार बाहों का
अचानक गोद में लेकर,तुम्हारा केश सहलाना |
हथेली से छुपा लेना, तुम्हारा नैन को मेरे
इशारे प्यार के थे या, शरारत भेद यह खोलो |
"मुहब्बत की नहीं मुझसे " , प्रिये ! तुम झूठ मत बोलो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 20, 2019 at 4:00pm — 8 Comments
Added by Amit Kumar "Amit" on July 19, 2019 at 6:09pm — 3 Comments
सजन रे झूठ मत बोलो ...
रहने दो
मेरे घावों पर
मरहम लगाने की कोशिश मत करो
मैं जानती हूँ
तुम्हारे मन में
मैं नहीं
सिर्फ मेरा तन है
जानती हूँ
रैन होते ही तुम आओगे
कुछ बहलाओगे कुछ फुसलाओगे
धीरे धीरे मैं बहल जाऊँगी
मोम सी पिघल जाऊँगी
न न करते
मर्यादाओं की दहलीज़ लाँघ जाऊँगी
भोर के साथ नशा उतर जाएगा
हर वादा बहक जाएगा
हर बार की तरह
मेरे मन में
फिर आने की कसक छोड़ जाओगे
हर इंतज़ार
बस…
Added by Sushil Sarna on July 19, 2019 at 4:24pm — 1 Comment
दिल के बदले दिया सपना सलोना
नहीं खाली था शायद दिल में कोना
ये माना मैंने तुम सबसे हसीं हो
मगर सोना तो फ़िर भी होता सोना
ना वादा तुम करो मिलने का कोई…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 19, 2019 at 1:30pm — 3 Comments
आप आये अब गले हमको लगाने के लिए
जब न आँखों में बचे आँसू बहाने के लिए
छाँव जब से कम हुई पीपल अकेला हो गया
अब न जाता पास कोई सिर छुपाने के लिए
तितलियाँ उड़ती रहीं करते रहे गुंजन भ्रमर
पुष्प में मकरंद जब तक था लुभाने…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 19, 2019 at 9:26am — 4 Comments
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