Added by Mahendra Kumar on January 2, 2017 at 7:00pm — 19 Comments
बह्र : ११२१ २१२२ ११२१ २१२२
जो करा रहा है पूजा बस उसी का फ़ायदा है
न यहाँ तेरा भला है न वहाँ तेरा भला है
अभी तक तो आइना सब को दिखा रहा था सच ही
लगा अंडबंड बकने ये स्वयं से जब मिला है
न कोई पहुँच सका है किसी एक राह पर चल
वही सच तलक है पहुँचा जो सभी पे चल सका है
इसी भोर में परीक्षा मेरी ज़िंदगी की होगी
सो सनम ये जिस्म तेरा मैंने रात भर पढ़ा है
यदि ब्लैकहोल को हम न गिनें तो इस जगत…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 1, 2017 at 8:19pm — 15 Comments
2122 1212 22
श्याम तेरी अलक में खो जाऊं
एक न्यारे खलक में खो जाऊं
नेह से आँख जो हुयी बोझिल
बंद तेरी पलक में खो जाऊं
तू अँधेरे में काश दिख जाये
और मैं उस झलक में खो जाऊं
रूप ऐसा कि थे सभी पागल
मैं उसी छवि-छलक में खो जाऊं
है सुना वह तेरा ठिकाना है
तो चलूँ उस फलक में खो जाऊं
(मौलिक /अप्रकाशित…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2017 at 8:00pm — 13 Comments
ग़ज़ल(तुम सदा मुस्कराना नये साल में )
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(फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन)
क़ौले उलफत निभाना नये साल में |
मुझ को मत भूल जाना नये साल में |
क्यूँ हैं बाहर खड़े घर में आ जाइए
कीजिए मत बहाना नये साल में |
हाथ ही मिल सके अपने बीते बरस
दिल को दिल से मिलाना नये साल में |
इक कॅलंडर नया घर की दीवार पर
है ज़रूरी लगाना नये साल में |
सिर्फ़ गमगीन आशिक़…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on January 1, 2017 at 5:50pm — 16 Comments
ओजोन की परत में अब छेद खल रहा है
धरती झुलस रही है जग सारा जल रहा है
उन्नति के नाम पर हैं ये कारनामे अपने
तालाब पाट घर के हम बुन रहे हैं सपने
खेतों में चौगनी है माना फसल बढ़ी पर
सब्जी अनाज फल में बिष खा रहे हैं अपने
नूतन प्रयोग अपना खुद हमको छल रहा है
धरती झुलस रही है जग सारा जल रहा है
ये गंदगी का ढेर जो चारो तरफ लगाया
इस गंदगी के ढेर को खुद हमने है बढ़ाया
हम खूब समझते है परिणाम जानते है
पर…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2017 at 3:33pm — 12 Comments
नवबर्ष पर हार्दिक शुभकामनाये
आओ मिलकर चमन सजायें
गीत नए फिर मिलकर गायें
कुमकुम रोली से रंग धरती
दर पर वन्दनवार लगाये
जान दे रहे हैं सरहद पर
आज भारती के जो लाल
उनके सीने हैं फौलादी
उन्हें डराएगा क्या काल
मुल्क पड़ोसी को अब आओ
हम उसकी औकात दिखाएं
आओ मिलकर चमन सजायें
गीत नए फिर मिलकर गायें
अश्क बहाने से होती
तौहीन शेर दिल वीरों की
अश्कों से बलिदान…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2017 at 1:38pm — 8 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on January 1, 2017 at 10:30am — 28 Comments
वह अपनी धुंधली आँखों से बीत रहे वर्ष की पीठ पर बने रंग बिरंगे चित्रों को बहुत गौर से निहार रही थी, वह अभी उनमें छुपे चेहरों को पहचानने का प्रयास ही कर रही थी कि सहसा वे चित्र चलने फिरने और बोलने लग पड़ेI
"माँ जी! कितनी दफा कहा है कि इन बर्तनों को हाथ मत लगाया करोI"
नये टी सेट का कप उससे क्या टूटा उसके घर में कलेश ने पाँव पसार लिए थेI
अगले दृश्य में नए साल की इस झांकी को होली के रंगों ने ढक लियाI
"बेटा ये बहू की पहली होली है, तो इस बार त्यौहार धूमधाम से..."…
Added by योगराज प्रभाकर on January 1, 2017 at 12:01am — 14 Comments
नई नई कुछ परिभाषाएँ, राष्ट्र-प्रेम की आओ गढ़ लें।
लेकिन आगे कैसे बढ़ लें?
मातृभूमि के प्रति श्रद्धा हो, यह परिभाषा है अतीत की।
महिमामंडन, मौन समर्थन परिभाषा है नई रीत की।
अनुचित, दूषित जैसे भी हों निर्णय, बस सम्मान करें सब।
हम भारत के धीर-पुरुष हैं, कष्ट सहें, यशगान करें सब।
चित्र वीभत्स मिले जो कोई,
स्वर्ण फ्रेम उस पर भी मढ़ लें।
मर्यादा के पृष्ट खोलकर, अंकित करते भ्रम का लेखा।
राष्ट्रवाद का कोरा डंका, निज…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on December 31, 2016 at 11:30pm — 23 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 31, 2016 at 11:15pm — 18 Comments
दुःख बिसराये
सुख को लाये
ऐसा गीत गाऊँ मैं
खट्टी मीठी यादों को
थोड़ा सा गुन गुनाऊं मैं
दूर खड़ा पर्वत पुकारे
चलकर उसतक जाऊं मैं
बादलों से बरसे पानी
झूम झूम कर नाचूँ मैं
खेत बुलाये, परिंदे पुकारें
बोली उनकी समझूँ मैं
नाच उठे मनवा मेरा
गीत ऐसा कोई गाऊँ मैं |
बहती नदी , बहता झरना
कलकल इनकी सुन लूँ मैं
किनारे से टकराती लहरों से
कुछ देर बातें कर लूँ मैं
देखकर वहां गोरी कलाई…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 31, 2016 at 9:30pm — 19 Comments
साल इक जाए प्यास देकर,
साल इक आए आस लेकर,
संग हम इनके
खिलखिलाएं,
आओ चलो
सपने फिर सजाऐं...
कोई यादों की खिड़कियों से
आए औ' धड़कन मुस्कुरा दे,
बिन कहे कहने जब लगे वो
अपने दिल के सारे इरादे,
ऐसा इक मीठा सा तराना
अनसुना करने का बहाना,
छोड़ कर
धुन ये गुनगुनाएं,
आओ चलो
सपने फिर सजाऐं...
तोड़ कर बंधन रोज भागें
थाम कर उँगली कब चली हैं,
इनका अम्बर ही है ठिकाना
ख्वाहिशें कितनी मनचली हैं,…
Added by Dr.Prachi Singh on December 31, 2016 at 8:30pm — 12 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 31, 2016 at 1:22pm — 17 Comments
बहर 1222 1222 1222 1222
करें स्वागत सभी मिल के, नये इस वर्ष सतरह का;
नये सपने नये अवसर, नया ये वर्ष लाएगा।
करें सम्मान इसका हम, नई आशा बसा मन में;
नई उम्मीद ले कर के, नया ये साल आएगा।
मिला के हाथ सब से ही, सभी को दें बधाई हम;
जहाँ हम बाँटते खुशियाँ, वहीं बाँटें सभी के ग़म।
करें संकल्प सब मिल के, उठाएँगे गिरें हैं जो;
तभी कुछ कर गुजरने का, नया इक जोश छाए गा।
दिलों में मैल है बाकी, पुराने साल का कुछ गर;
मिटाएँ उसको पहले हम, नये…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on December 31, 2016 at 12:00pm — 12 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 31, 2016 at 8:39am — 2 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 31, 2016 at 8:30am — 12 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on December 30, 2016 at 8:43pm — 11 Comments
ग़ज़ल (दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा )
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फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन
दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा |
इक सितम गार से दिल लगाना पड़ा |
चश्मे नम से न खुल जाए राज़े वफ़ा
सोच कर यह हमें मुस्कराना पड़ा |
प्यार की इक नज़र की ही उम्मीद में
उम्र भर संग दिल से निभाना पड़ा |
दर्स ज़ालिम ले अंज़ामे फिरओन से
ज़ालिमों को भी दुनिया से जाना पड़ा…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 30, 2016 at 8:25pm — 9 Comments
ज़िन्दगी ..... (क्षणिका )
हो गया
खामोश बशर
उलझनें
सुलझाने के
फेर में
एक
मकड़ी से
शर्मिंदा
हो गयी
ज़िन्दगी
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on December 30, 2016 at 2:50pm — 7 Comments
चले भी आओ की थोड़ी सी प्रीत निभा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें
कहना यह भी था कि
जाते साल के इतने तो उधार बाकी हैं
कुछ मुझ पर कुछ तुम पर उपकार बाकी हैं
शुकराने की सुरमय सरगम सजा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें
कहना यह भी था कि
कोई वादा अभी भी अधूरा सा है
आँखों में उम्मीद का चूरा सा है
वादे की हदों की हदें ही मिटा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें
कहना यह भी था कि
कुछ चुभने हैं बाकी जो कसकती…
Added by amita tiwari on December 30, 2016 at 4:11am — 6 Comments
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