Added by Naveen Mani Tripathi on February 11, 2017 at 1:36am — 6 Comments
221—2121—1221—212
कविता में सम्प्रदाय लिखा-सा मिला जहाँ
शब्दों के साथ जल गई सम्पूर्ण बस्तियाँ
धीरे से छंट रहा था कुहासा अनिष्ट का
कुछ शिष्टजन ही लेके चले आये बदलियाँ
शासक, प्रशासकों से ये संचार-तंत्र तक
घूमे असत्य भी अ-पराजित कहाँ कहाँ
ये फलविहीन वृक्ष लगाने से क्या मिला ?
दशकों से गिड़गिड़ाती, ये कहती हैं नीतियाँ
अँकुए में सिर उठाने का दृढ़ प्रण है बीज का
आती हैं तीव्र वेग से, तो…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on February 10, 2017 at 6:30pm — 9 Comments
बासंती उमंग
आज सुबह से ही बहुत भागमभाग रही|भगवानजी को पीले वस्त्रों से सुसज्जित किया ,तोरण, बंदनवार मीठे चावल ,केसरिया खीर बनाकर सरस्वतीजी को भोग लगाया |बच्चों को कई बार याद किया क्योंकि सजावट के ये सारे काम उन्हीं के सुपुर्द थे ,और वे भी बड़े उत्साह से सारी तैयारी कराते थे | ड्राइंग क्लास ,संगीत क्लास व घर की पूजा |तीनों जगह की पूजा करते करते न तो दम फूलता था ,न ही कोई परेशानी होती थी पर आज तो सुबह से ही थकान लग रही है |काम सब हो रहे हैं पर न तो कोई उमंग है न ही…
ContinueAdded by Manisha Saxena on February 10, 2017 at 1:09pm — 9 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on February 9, 2017 at 9:50pm — 6 Comments
Added by दिनेश कुमार on February 9, 2017 at 8:59pm — 11 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 9, 2017 at 8:49pm — 2 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 9, 2017 at 5:24pm — 5 Comments
बिना तुम्हारे
हे मेरी तुम
सब आधा है
सूरज आधा, चाँद अधूरा
आधे हैं ग्रह सारे
दिन हैं आधे, रातें आधी
आधे हैं सब तारे
जीवन आधा
दुनिया आधी
रब आधा है
आधा नगर, डगर है आधी
आधे हैं घर, आँगन
कलम अधूरी, आधा काग़ज़
आधा मेरा तन-मन
भाव अधूरे
कविता का
मतलब आधा है
फागुन आधा, मधुऋतु आधी
आया आधा सावन
आधी साँसें, आधा है दिल
आधी है…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 9, 2017 at 9:39am — 10 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on February 9, 2017 at 8:52am — 5 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 8, 2017 at 10:48pm — 13 Comments
Added by Aparajita on February 8, 2017 at 3:00pm — 15 Comments
ओ मेरे जीवन के सृंगार, मेरे पहले पहले प्यार,
तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार
खेतों में सरसों लहराई, चलने लगी बैरन पुरवाई,
तन - मन में है आग लगाये, सुने न मेरी वो हरजाई,
तुम बिन सूना - सूना लागे, मुझको ये संसार।।
तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ....
फागुन ने है पंख पसारे, रस्ता देखे नैन तिहारे,
चूड़ी, काजल, बिंदिया, पायल,…
ContinueAdded by Anita Maurya on February 8, 2017 at 4:48am — 7 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on February 7, 2017 at 11:30pm — 16 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ ११२
मेरी वफा का तुम्हें कुछ ख़याल हो के न हो
इनायतों का खुदा की कमाल हो के न हो
मैं हो गई हूँ मुहब्बत में क्या से क्या ए सनम
मेरी तरह से तुम्हारा ये हाल हो के न हो
बिना पढ़े ही निगाहों से दे दिया है जबाब
लिखा जो खत में वो मेरा सवाल हो के न हो
गुलाब से ही मुहब्बत करे ज़माना यहाँ
शबाब उसमे है पूरा जमाल हो के न हो
कमाँ से कितने उछाले हैं तीर भँवरे यहाँ
ये हाथ में है…
ContinueAdded by rajesh kumari on February 7, 2017 at 10:00pm — 16 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on February 7, 2017 at 9:00pm — 8 Comments
1222 1222 1222 1222
कहो तो घोल दें मिसरी ये हम अधिकार रखते हैं
सिराओं में जहर भर दे वो हम फुफकार रखते हैं
बहुत से बेशरम आते हैं छुप –छुप कर हमारे घर
उन्ही के दम से हम भी हैसियत सरकार रखते हैं
दिखाते है हमें वे शान-शौकत से झनक अपनी
तो उनसे कम नहीं घुँघरू की हम झनकार रखते हैं
छिपे होते है आस्तीनों में अक्सर सांप जहरीले
इधर हम बज्म में उनसे बड़े फनकार रखते…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 7, 2017 at 8:13pm — 12 Comments
2122 2122 212
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गीत कौवे गा रहे हैं आजकल
कंठ कोयल के भरे हैं आजकल।1
दुश्मनी सारी भुलाकर मसखरे
फिर गले से मिल रहे हैं आजकल।2
गालियाँ देते परस्पर जो रहे
प्रीत के सागर बने हैं आजकल।3
आज दुबके हैं सभी गिरगिट यहाँ
रंग बदलू आ गये हैं आजकल।4
कुर्सियों का ताव इतना बढ़ गया
धुर विरोधी भा गये हैं…
Added by Manan Kumar singh on February 7, 2017 at 7:00pm — 12 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 7, 2017 at 6:51pm — 7 Comments
Added by Rahila on February 6, 2017 at 10:08pm — 21 Comments
मन की बात
करते, कभी जाना
मन की बात
समझौते हैं
समझ का फेर, जो
समझ सको
रिश्ते नाते तो
ज्यों पतंग की डोर
उलझे जाते
मौलिक एवं अप्रकाशित.
Added by Neelam Upadhyaya on February 6, 2017 at 5:02pm — 3 Comments
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