आपकी तालीम का हर अर्थ कुछ दोहरा तो है
आकाश पर बादल नहीं पर हर तरफ कोहरा तो है
बादशाहों की हमेशा ज़िन्दगी महफूज़ है
लड़ने-मरने के लिए शतरंज में मोहरा तो है
इस महल में अब खज़ाना तो नहीं बाकी रहा
द्वार पर दरबान है, संगीन का पहरा तो है
शोर करना हर नदी की चाहे हो आदत सही
ये समंदर हर नदी से आज भी गहरा तो है
तुम क़सीदे खूब पढ़ लो पर यहाँ हर आदमी
हो न गूंगा आज लेकिन, आज भी बहरा तो…
ContinueAdded by Dr. Rakesh Joshi on January 4, 2016 at 10:30pm — 15 Comments
कितना अच्छा हो ....
अभी-अभी
हवाओं के थपेड़ों से बजते
वातायन के पटों ने
तिमिर में सुप्त चुप्पी से
चुपके से कुछ कहा //
अभी-अभी
रिमझिम फुहारों ने
चंचल स्मृति की
असीम गहराईयों संग
अंगड़ाई ली //
अभी-अभी
एक रूठा पल
घोर निस्तब्धता को
अपनी निःशब्द श्वासों से
जीवित कर गया //
अभी-अभी
एक तारा टूट कर
किसी की झोली
सपनों से भर गया //
अभी-अभी से लिपट
कभी पलक…
Added by Sushil Sarna on January 4, 2016 at 7:48pm — 12 Comments
२१२२
ज़िन्दगी भर
मौत का डर
प्यार तो है
ढाई आँखर
तोड़ पिंजरा
आजमा पर
ये सियासत
एक अजगर
होश जख्मी
हुस्न खंजर
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Added by gumnaam pithoragarhi on January 4, 2016 at 7:30pm — 7 Comments
सत्तर वर्षीय राजेश जी के इकलौते बेटे किशोर की मृत्यु पिछले साल एक कार दुर्घटना में हो गयी थी!पत्नी की मृत्यु किशोर की शादी से पहले ही हो चुकी थी! अब परिवार के नाम पर राजेश जी और उनकी जवान पुत्र बधु सीमा थी!वह भी बैंक में कार्यरत थी! जवान किशोर की मौत के सदमे ने दौनों को लगभग मूक बना दिया था!दौनों में से कोई किसी से बात चीत नहीं करते थे!वश यंत्र वत अपने अपने कार्य करते रहते थे! किशोर की बरसी की रस्म पूरी होते ही राजेश जी ने सीमा को समझाया,"सीमा तुम पढी लिखी, सुंदर, जवान और कामकाजी महिला हो!…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on January 4, 2016 at 6:30pm — 16 Comments
- गजल के चार मिसरे -
घर से जब भी निकलूं मां हमेशा मेरे थैले में
मैं जो कुछ भूल जाता हूं वो चीजें डाल देती है,
न जाने कौन सी जादूगरी है मां के हाथों में
वो सर पर हाथ रखकर सौ बलाएं टाल देती है।।
-----------
- मुक्तक -
सुहानी शाम हो जब खूबसूरत, याद रहती है
हर—इक इंसान को अपनी जरूरत याद रहती है
मोहब्बत में कसम—वादे—वफा हम भूल सकते हैं,
मगर ताउम्र हमको एक सूरत याद रहती है।।
.
मौलिक व अप्रकाशित (अतुल कुशवाह)
Added by atul kushwah on January 4, 2016 at 5:30pm — 2 Comments
पूरी रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था वो ,फिर भी काइनेटिक में सवार पिज़्ज़ा वाले लड़के से आगे नहीं निकल पा रहा था Iपिज़्ज़ा वाला पीछे मुड़ मुड़ कर उसे देखता हुआ हंस रहा था Iतभी उसने देखा कि पिज़्ज़ा वाले के पीछे निशा भी बैठी है I" रुक जा , आज मै तुझसे पहले टाइम पर पहुँच जाऊँगा, और निशा तुम कहाँ जा रही हो ?सुनो तो ,निशा ..निशा " वो जोर से चीखा I
"क्या चिल्ला रहे हो नींद में अरुण ?"पत्नी निशा उसे झंकझोर रही थी Iपसीने से लथ पथ वो उठ बैठा I
"निशा " पत्नी का हाथ पकड़ लिया उसनेI "सॉरी ,कल रात भी…
ContinueAdded by pratibha pande on January 4, 2016 at 4:00pm — 10 Comments
उड़ाया किसी ने किसी ने कमाया मुझे क्या
कहाँ अब्र बरसा कहाँ धूप छाया मुझे क्या
जहाँ पे खड़ा था वहीँ पे खड़ा हूँ कसम से
पुराना गया है नया साल आया मुझे क्या
सदा ये सलामत रहें पाँव मेरे सफ़र में
ये पेट्रोल डीजल बढ़े या किराया मुझे क्या
नया साल आया मची हाय तौबा, बला से
कहाँ कुछ करिश्मा खुदा ने दिखाया मुझे क्या?
न मेरा मुकद्दर हुआ टस से मस तो फिर क्यूँ
वही गीत गाऊँ उन्होंने जो गाया मुझे…
ContinueAdded by rajesh kumari on January 4, 2016 at 12:30pm — 18 Comments
भव्य आॅफिस। उसका पहला साक्षात्कार ...... , घबराहट लाजमी था । इसके बाद दो साक्षात्कार और । पिता नहीं रहे। घर की तंगहाली ,बडी़ होने का फ़र्ज़ ,नौकरी पाना उसकी जरूरत , आगे की पढाई को तिरोहित कर आज निकल आई थी ।
" पहले कभी कोई काम किया है ? "
"जी नहीं , यह मेरी पहली नौकरी होगी । " गरीबी ढीठ बना देती है उसने स्वंय में महसूस किया ।
" हम्म्म ! इस नौकरी को आप क्यों पाना चाहती है ?"
" कुछ करके दिखाना चाहती हूँ , यहाँ मेरे लिए पर्याप्त अवसर है…
ContinueAdded by kanta roy on January 4, 2016 at 10:02am — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
कभी इनकार लिख देना कभी इकरार लिख देना|
अगर मुझसे मुहब्बत है तो बस तुम प्यार लिख देना|
कि दिल की बात को दिल में दबाना छोड़कर दिल से,
वफ़ा-उल्फत-मुहब्बत पर भी कुछ अशआर लिख देना।
हमारे राजनेता पर भी थोड़ी बात हो जाए,
डुबाते हैं ये कश्ती को इन्हें बेकार लिख देना|
मेरा महबूब गर तुमसे मेरा जो हाल पूछे तो,
बड़ी संजीदगी से तुम दिले बीमार लिख देना|
तिरंगे में…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on January 3, 2016 at 8:30pm — 11 Comments
122 122 122 12
हमें मत भुलाना नये साल में
मुहब्बत निभाना नये साल में
ख़ुदा से दुआ आप मांगें यही
बढ़े दोस्ताना नये साल में
सुख़नवर फ़क़त तू हि बेहतरनहीं
न यह भूल जाना नये साल में
तुम्हारी ख़ुशी में ख़ुशी है मेरी
न आंसू बहाना नए साल में
खफ़ा हैं कई साल से यार जो
उन्हें है मनाना नए साल में
गये साल पूरी न हसरत हुई
गले से लगाना नये साल…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on January 3, 2016 at 6:00pm — 7 Comments
"निर्मला, कुछ सुना तूने,दौनों देशों में समझौता हुआ है! छब्बीस जनवरी को सारे कैदियों की अदला बदली होगी!तेरा भाई छुट्टन भी वापस आ जायेगा"!
"ताई सुना तो है,पर जब तक छोटू को सामने नहीं देख लेती, मुझे किसी पर भरोसा नहीं "!
"निम्मो,मुझे सब पता है! तुझे क्या क्या पापड बेलने पडे ! छुट्टू तो बेचारा सात साल की उम्र में इनके चुंगुल में फ़ंस गयाथा ! दोस्तों के उकसावे में अपनी गैंद लाने सरहद पार चला गया था "!
"ताई, छुट्टू के साथ साथ फ़ंसा तो हमारा पूरा परिवार ही था, इन ज़ालिमों की…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on January 3, 2016 at 4:00pm — 13 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 3, 2016 at 11:55am — 3 Comments
दिन में क्षण क्षण परेशान करते मीडिया तथा समाज के कटाक्ष और रात में एकाकी जीवन की भयावह राते। विलासिता की आदी हो चुकी कामना के लिए जब ये सब असहनीय हो गया तो विवश हो उसे एक ही रास्ता नज़र आया और वो उसकी ओर चल पड़ी। नशे की अत्यधिक मात्रा से अर्धचेतना में जाती कामना अतीत में खोती चली गयी।...........
"वर्षो पहले मिस मनाली का ताज पहनाते युवा विवाहित नेता मणिधर की पहचान से शुरू हुआ अनन्त इच्छाओ का आकाश कब 'लिव इन रिलेशनशिप' में बदला और कब उसने मातृत्व के सुख को पा लिया पता ही नहीं चला, लेकिन…
Added by VIRENDER VEER MEHTA on January 3, 2016 at 9:30am — 2 Comments
मैं हूँ शिखा
उस टिमटिमाते दीप की
कि जिसको है
हवा का शाश्वत भय
चुप क्यों खडा है तब
आ मार निर्दय !
मार खाने को बनी हैं
नारियां सुकुमारियाँ
मैं कांपती हूँ निरंतर
शिखा जो हूँ
प्रज्वलित उस दीप की
(मौलिक अप्रकाशित )
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 2, 2016 at 6:09pm — No Comments
बह्र : २१२२ २१२२ २१२२ २१२
जो मुझे अच्छा लगे करने दे बस वो काम तू
ज़िन्दगी सुन, ज़िन्दगी भर रख मुझे गुमनाम तू
जीन मेरे खोजते थे सिर्फ़ तेरे जीन को
सुन हज़ारों वर्ष की भटकन का है विश्राम तू
तुझसे पहले कुछ नहीं था कुछ न होगा तेरे बाद
सृष्टि का आगाज़ तू है और है अंजाम तू
डूबता मैं रोज़ तुझमें रोज़ पाता कुछ नया
मैं ख़यालों का शराबी और मेरा जाम तू
क्या करूँ, कैसे उतारूँ, जान तेरा कर्ज़ मैं
नाम…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 2, 2016 at 12:00pm — 10 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2016 at 8:40am — 7 Comments
"आज की रात वह बहुत ख़ुश था,कारण कि सुबह उसे नोकरी मिलने वाली थी,दो साल तक ठोकरें खाने के बाद एक दिन उसने समाचार पत्र में 'माइकल इंटरप्राइसेस' का विज्ञापन देखा,अर्ज़ी दी,इंटरव्यू कॉल आया और उसे इंटरव्यू में सिलेक्ट कर लिया गया,फ़र्म के मालिक मिस्टर माइकल उसकी क़ाबिलियत से बहुत मुतास्सिर हुए,उन्होंने कहा कल अपॉइंटमेंट लैटर मिल जाएगा ।
वह एक छोटे से शह्र का रहने वाला था और उसे बड़े शह्र में नोकरी की तलाश थी,गुज़र बसर के लिये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था,किराए का एक कमरा उसे रहने के लिये मिल…
Added by Samar kabeer on January 1, 2016 at 11:00pm — 10 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 1, 2016 at 7:56pm — 5 Comments
प्याज सब्जियाँ आलू दाल, किया हमें सब ने बेहाल।
खट्टी मीठी कड़वी यादें, देकर बीता पिछला साल॥
चारों तरफ से कर्जा उस पर, सभी फसल बर्बाद हुए।
आत्महत्या किसानों ने की, बात दुखद गंभीर सवाल॥
दस राज्य केंद्र में शासन है, पर बढ़ा मांस निर्यात।
चौंकाने वाली ये खबर है, गौ माता भी हुई हलाल॥
करोड़ों खर्च हुए संसद पर, काम के नाम पे ठेंगा है।
बस नारेबाजी बहिर्गमन, पुतलों का दहन, हड़ताल॥
आरोप और प्रत्यारोप हुए, मंत्री विधायक…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2016 at 7:37pm — 4 Comments
क्यों लेटी हो गुमसुम सी,
सिर्फ एक अंगडाई दो मुझे ,
ऐसे न दो तुम विदाई मुझे,
रास आती नहीं जुदाई मुझे !
क्यों चुप हो सन्नाटे सी,
कभी तो सुनाई दो मुझे
लें आती थी खुशबू तुम्हारी,
फिर वही पुरवाई दो मुझे !
सर्द रातों में रजाई ओढ़ातीं,
फिर वही रजाई दो मुझे
जिससे चिराग रोशन करतीं,
फिर वही दियासलाई दो मुझे !
जिससे मन में सुर घोलतीं
फिर वही शहनाई दो मुझे
जिससे गीत लिखे थे…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on January 1, 2016 at 7:15pm — 2 Comments
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